• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • धर्म न तो अवैज्ञानिक है और न अनुपयोगी
    • तप का अवलम्बन एवं साधना की सार्थकता
    • Quotation
    • आत्मिकी का परिष्कार एवं उसकी चमत्कारी परिणतियाँ
    • मानवी काया की चेतन सत्ता का वैज्ञानिक विवेचन
    • कृष्ण से भेंट करने युधिष्ठिर गये (kahani)
    • ध्यान योग का उद्देश्य और स्वरूप
    • मनोनिग्रह ऋद्धि-सिद्धियों का भाण्डागार
    • महावीर साधना में लीन (kahani)
    • बीज जैसी जीवन की तीन गतियाँ
    • Quotation
    • गुह्य योग साधनाओं का पात्रता सम्बन्धी अनुशासन
    • भक्त का स्तर एवं भगवान की मनुहार
    • सन्त मंसूर (kahani)
    • प्रकृति का अनुसरण कीड़े मकोड़ों जैसा आचरण नहीं
    • दुनिया के दर्पण में अपना ही चेहरा दिख पड़ता है।
    • Quotation
    • काम विज्ञान का आध्यात्मिक स्वरूप
    • ज्ञान और विज्ञान एक दूसरे का अवलम्बन अपनाएँ
    • सुकरात से पूछा (kahani)
    • भीतर की दुनिया हर हालत में सही रहे
    • धर्म का व्यावहारिक स्वरूप
    • समष्टि की हलचलों का व्यष्टि चेतना पर प्रभाव
    • जो मान लिया गया वह अन्तिम नहीं है।
    • Quotation
    • समरसता एवं सहानुभूति पर आधारित ज्योतिर्विज्ञान
    • बड़ा संयमी असुर था (kahani)
    • सतत् गतिशील उस विराट् की एक झाँकी
    • धन प्राप्त करने का आशीर्वाद (kahani)
    • सम्भव है मनुष्य देवताओं का वंशज रहा हो
    • स्वप्नों के माध्यम से शरीर और मन की विवेचना
    • साधना से सिद्धि
    • पण्डित गंगाधर शास्त्री (kahani)
    • सम्भावित घटनाक्रमों के पूर्वाभास
    • Quotation
    • क्या यह भवितव्यता टाली नहीं जा सकती?
    • राजा शतायुध (kahani)
    • तनाव जन्य व्यथा से कैसे छूटें?
    • सभी जीव−जन्तु परेशान (kahani)
    • प्रज्ञा परिजनों के लिये विशेष ज्ञातव्य
    • विशेष धारावाहिक लेखमाला-1 - जिज्ञासा, संदेह और उसका समाधान
    • Quotation
    • प्रयाण गीत
    • प्रयाण गीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • धर्म न तो अवैज्ञानिक है और न अनुपयोगी
    • तप का अवलम्बन एवं साधना की सार्थकता
    • Quotation
    • आत्मिकी का परिष्कार एवं उसकी चमत्कारी परिणतियाँ
    • मानवी काया की चेतन सत्ता का वैज्ञानिक विवेचन
    • कृष्ण से भेंट करने युधिष्ठिर गये (kahani)
    • ध्यान योग का उद्देश्य और स्वरूप
    • मनोनिग्रह ऋद्धि-सिद्धियों का भाण्डागार
    • महावीर साधना में लीन (kahani)
    • बीज जैसी जीवन की तीन गतियाँ
    • Quotation
    • गुह्य योग साधनाओं का पात्रता सम्बन्धी अनुशासन
    • भक्त का स्तर एवं भगवान की मनुहार
    • सन्त मंसूर (kahani)
    • प्रकृति का अनुसरण कीड़े मकोड़ों जैसा आचरण नहीं
    • दुनिया के दर्पण में अपना ही चेहरा दिख पड़ता है।
    • Quotation
    • काम विज्ञान का आध्यात्मिक स्वरूप
    • ज्ञान और विज्ञान एक दूसरे का अवलम्बन अपनाएँ
    • सुकरात से पूछा (kahani)
    • भीतर की दुनिया हर हालत में सही रहे
    • धर्म का व्यावहारिक स्वरूप
    • समष्टि की हलचलों का व्यष्टि चेतना पर प्रभाव
    • जो मान लिया गया वह अन्तिम नहीं है।
    • Quotation
    • समरसता एवं सहानुभूति पर आधारित ज्योतिर्विज्ञान
    • बड़ा संयमी असुर था (kahani)
    • सतत् गतिशील उस विराट् की एक झाँकी
    • धन प्राप्त करने का आशीर्वाद (kahani)
    • सम्भव है मनुष्य देवताओं का वंशज रहा हो
    • स्वप्नों के माध्यम से शरीर और मन की विवेचना
    • साधना से सिद्धि
    • पण्डित गंगाधर शास्त्री (kahani)
    • सम्भावित घटनाक्रमों के पूर्वाभास
    • Quotation
    • क्या यह भवितव्यता टाली नहीं जा सकती?
    • राजा शतायुध (kahani)
    • तनाव जन्य व्यथा से कैसे छूटें?
    • सभी जीव−जन्तु परेशान (kahani)
    • प्रज्ञा परिजनों के लिये विशेष ज्ञातव्य
    • विशेष धारावाहिक लेखमाला-1 - जिज्ञासा, संदेह और उसका समाधान
    • Quotation
    • प्रयाण गीत
    • प्रयाण गीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1985 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


प्रज्ञा परिजनों के लिये विशेष ज्ञातव्य

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 39 41 Last
बसन्तोत्सव

बसन्त पर्व इस बार प्रायः सभी 2400 गायत्री शक्ति पीठों तथा 12 हजार स्वाध्याय मण्डल प्रज्ञा संस्थानों में उत्साहपूर्वक मनाया गया। सभी संचालकों ने एक ही प्रतिज्ञा की कि गुरुदेव का प्रत्यक्ष संपर्क न होने पर भी हम सदा उन्हें अपने निकट अनुभव करेंगे और मिशन का अपने−अपने क्षेत्र में आलोक वितरण में तनिक भी शिथिलता न आने देंगे।

हिमालय का सन्देश वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्रों के लिए

बसन्त पर्व प्रज्ञा अभियान का जन्मदिवस एवं प्रेरणा पर्व है। उस दिन मिशन के वरिष्ठजनों को उनकी स्थिति एवं स्तर के अनुरूप हिमालय के ध्रुव केन्द्र से प्रेरणा उपलब्ध होती रही है। अब तक मिशन के सूत्र−संचालक को एक प्रेरणा मिलती थी और एक नया कदम आगे बढ़ाने के लिए कहा जाता था। इस उपक्रम को चलते लम्बा समय हो गया।

संचालक को जो आदेश मिल रहे हैं वे विशुद्ध रूप से उन्हीं से सम्बन्धित और एकाकी हैं। उनका किन्हीं अन्य से सीधा सम्बन्ध नहीं है? सूक्ष्मीकरण की साधना कब तक चलेगी। कहाँ चलेगी? किस रूप में चलेगी? इसका स्वरूप और उद्देश्य सीध उन्हीं से सम्बन्धित है। इसलिए उसका प्रकटीकरण अब एकाकी उन्हीं तक सीमित रहेगा। प्रकाशित न हुआ करेगा। गुरुदेव अब शान्तिकुंज हैं, हिमालय हैं, या कहाँ हैं? यह कोई पूछताछ न करें। न मिलने का या दर्शन का आग्रह करें। उनके बारे में इतना ही सोचें की उनकी सूक्ष्म प्रेरणा एवं सहायता सदा उपलब्ध रहेगी।

विभीषिकाएँ निरस्त होंगी

इन दिनों हर क्षेत्र में अवाँछनीयताओं और आशंकाओं के घटाटोप छाये हुए हैं। लगता है कि कुमार्ग गामिता और अनीति परायणता संसार को विनाश के गर्त में धकेल कर छोड़ेगी।

किन्तु इन्हीं दिनों आशा की एक अभिनव किरण जगी है। घटाएँ छटती जायेंगी और सन्तोषदायक प्रकाश उत्पन्न होगा। भविष्य को शान्तिमय और प्रगतिशील बनाने के लिए इन्हीं दिनों दिव्य अध्यात्म साधनाएँ चल रही हैं उसका परिणाम निष्फल न होगा। गुरुदेव की इन दिनों इसी विशेष प्रयोजन के लिए चल रही है।

साधना के अनुभव

साधना के अनुभव अभी तक सर्वसाधारण को विदित नहीं हैं। उनके सम्बन्ध में कहा जाता रहा है कि वे हमारे जीवित रहते प्रकाशित न होंगे। सूक्ष्मीकरण प्रक्रिया ऐसी है उसे अदृश्य होना समझा जा सकता है। इसलिए उन अनुभवों में से कुछ को प्रकाशित करने में हर्ज नहीं समझा गया।

अखण्ड−ज्योति के इस अंक से ही यह शुभारम्भ कर दिया गया है। आगामी पाँच अंकों में वे अनुभव गुरुदेव की कलम से लिखे हुए ही छपेंगे। पहली−बार यह रहस्योद्घाटन उन्हीं की लेखनी से होने जा रहा है। पाठक उनकी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करें।

108 वरिष्ठों को एक सन्देश

अब एक के स्थान पर 108 वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्रों की एक श्रृंखला ऐसी बनी है जिन्हें सीधे हिमालय से संकेत प्राप्त होते रहेंगे। ठीक वैसे ही जैसे अब तक गुरुदेव को प्राप्त होते रहे हैं। इस बार वसन्त पर्व का उच्चस्तरीय आदेश एक ही आया है कि लोभ मोह की हथकड़ी बेड़ी तोड़ें और शांतिकुंज पहुँचने की योजना बनायें। यहीं से समग्र प्रज्ञा अभियान का सूत्र संचालन एवं कार्य विधि का निर्धारण होगा।

यह एक ही सन्देश वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्रों को बसन्त के दिन मिला है। उनके अपने प्रत्यक्ष अनुभव का विवरण भी लिख भेजा है। किसे क्या काम सौंपा जाय। यह शान्तिकुंज में बता दिया जायेगा। अपने घरेलू कामकाज की चिन्ता न करें। एक बीज बोकर सौ दाने उत्पन्न होने की सिद्धि जिस प्रकार गुरुदेव ने पाई उसी प्रकार उनके उपरान्त के अन्य 108 वरिष्ठों को भी अपने लिए वही निर्देशन समझना चाहिए और उसे कार्यान्वित करना चाहिए।

सम्प्रति शांतिकुंज में कार्यरत पूर्व समयदानी कार्यकर्ता की संख्या कम है। गुरुदेव ने अपने जीवन काल में पाँच से अधिक व्यक्तियों का जीवन जिया है एवं अपने मार्गदर्शक द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्व को पूरी तरह निभाया है। अब वे ही सूक्ष्म संकेत भेज रहे हैं कि जिन्हें युग परिवर्तन के महान प्रयोजन में श्रेयार्थी बनना है, अपने जीवन की शेष अवधि, प्रतिभा रूपी संपदा को समाज को समर्पित कर दें। जो इस नाजुक घड़ी को जानते समझते होंगे, वे अब देर करेंगे नहीं, उनकी अन्तः प्रेरणा उन्हें सतत् कचोटती ही रहेंगी।

प्रज्ञा पुराण का दूसरा और तीसरा खण्ड गुरुदेव ने पूरा कर दिया है। यह भी गायत्री जयन्ती तक छप जायेंगे। मूल्य दोनों खण्डों का बीस−बीस रुपया होगा।

चालीस पैसा सीरीज के चार सौ फोल्डर हिन्दी में गायत्री जयन्ती तक पूर्ण हो जायेंगे। इनमें से विशेष रूप से छाँटे हुए फोल्डर 200 की संख्या में गुजराती, मराठी, उड़िया और अँग्रेजी में भी छपने दे दिये गये हैं। यह साहित्य गुरुदेव ने इस बसन्त पर्व तक लिखकर पूर्ण कर दिया है।

टैप कैसेट और वीडियो कैसेट्स

गुरुदेव को सर्वसाधारण से जो कहना था, विगत जून के अंक में छप चुका है। जिन्हें उनके मुख से सुनना था। उनके लिए छः टैप कर दिये गये हैं। जो सुनना चाहेंगे उन्हें सुन सकेंगे।

उन्हीं के वीडियो कैसेट से भी छः टैप किये गये हैं। जो लोग छवि देखते हुए सुना चाहते हैं वे उनसे सुन सकेंगे। आडियो टैप और वीडियो टैप दोनों ही उपलब्ध हैं।

आंवलखेड़ा में स्कूल और अस्पताल

गुरुदेव की जन्मभूमि आंवलखेड़ा (आगरा) में गुरुदेव का बनवाया हुआ हाईस्कूल पहले से ही था। अब एक बड़ा अस्पताल और भव्य गायत्री मन्दिर भी गायत्री जयन्ती तक बनकर तैयार हो जायेगा। जिन्हें कभी देखना हो गायत्री जयन्ती के बाद जा सकते हैं। आगरा से 27 किलोमीटर जलेसर रोड पर आंवलखेड़ा स्थित है।

First 39 41 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • धर्म न तो अवैज्ञानिक है और न अनुपयोगी
  • तप का अवलम्बन एवं साधना की सार्थकता
  • Quotation
  • आत्मिकी का परिष्कार एवं उसकी चमत्कारी परिणतियाँ
  • मानवी काया की चेतन सत्ता का वैज्ञानिक विवेचन
  • कृष्ण से भेंट करने युधिष्ठिर गये (kahani)
  • ध्यान योग का उद्देश्य और स्वरूप
  • मनोनिग्रह ऋद्धि-सिद्धियों का भाण्डागार
  • महावीर साधना में लीन (kahani)
  • बीज जैसी जीवन की तीन गतियाँ
  • Quotation
  • गुह्य योग साधनाओं का पात्रता सम्बन्धी अनुशासन
  • भक्त का स्तर एवं भगवान की मनुहार
  • सन्त मंसूर (kahani)
  • प्रकृति का अनुसरण कीड़े मकोड़ों जैसा आचरण नहीं
  • दुनिया के दर्पण में अपना ही चेहरा दिख पड़ता है।
  • Quotation
  • काम विज्ञान का आध्यात्मिक स्वरूप
  • ज्ञान और विज्ञान एक दूसरे का अवलम्बन अपनाएँ
  • सुकरात से पूछा (kahani)
  • भीतर की दुनिया हर हालत में सही रहे
  • धर्म का व्यावहारिक स्वरूप
  • समष्टि की हलचलों का व्यष्टि चेतना पर प्रभाव
  • जो मान लिया गया वह अन्तिम नहीं है।
  • Quotation
  • समरसता एवं सहानुभूति पर आधारित ज्योतिर्विज्ञान
  • बड़ा संयमी असुर था (kahani)
  • सतत् गतिशील उस विराट् की एक झाँकी
  • धन प्राप्त करने का आशीर्वाद (kahani)
  • सम्भव है मनुष्य देवताओं का वंशज रहा हो
  • स्वप्नों के माध्यम से शरीर और मन की विवेचना
  • साधना से सिद्धि
  • पण्डित गंगाधर शास्त्री (kahani)
  • सम्भावित घटनाक्रमों के पूर्वाभास
  • Quotation
  • क्या यह भवितव्यता टाली नहीं जा सकती?
  • राजा शतायुध (kahani)
  • तनाव जन्य व्यथा से कैसे छूटें?
  • सभी जीव−जन्तु परेशान (kahani)
  • प्रज्ञा परिजनों के लिये विशेष ज्ञातव्य
  • विशेष धारावाहिक लेखमाला-1 - जिज्ञासा, संदेह और उसका समाधान
  • Quotation
  • प्रयाण गीत
  • प्रयाण गीत (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj