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मेरा परिचय
मेरा परिचय (Kavita)
स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
बुझ नहीं सकता कभी जो, वह ज्वलित अंगार हूँ मैं
कर्तृत्व का सादृश्य अनुभव (Kahani)
Quotation
शरीर कुर्ते की तरह उतार कर फेंक दिया (Kahani)
Quotation
करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
Quotation
सबको चकित कर दिया (Kahani)
निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
बदलते समय के साथ (Kahani)
Quotation
बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
Quotation
दाँतों तले अंगुली दबा ली (Kahani)
तीन देवता, तीन संरक्षक
Quotation
स्वतंत्रता संग्राम (Kahani)
Quotation
व्यापक तंत्र खड़ा हुआ (Kahani)
Quotation
महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
Quotation
मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
नया आकाश तुम्हें दूँगा। (Kavita)
Quotation
गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
Quotation
धन्य हो उठा (Kahani)
Quotation
अध्ययन लेखन करता (Kahani)
Quotation
समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
Quotation
प्रेम का अगाध सागर (Kahani)
लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
Quotation
सीखने की अद्भुत लगन
Quotation
दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
Quotation
बात गायों पर चल रही थी (Kahani)
अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
Quotation
समाज के उत्थान की चर्चा (Kahani)
शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
Quotation
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
Quotation
कल्कि अवतार का लीला संदोह
अपना लेखन भी कर लूँगा (Kahani)
Quotation
गदगद हो गया (Kahani)
Quotation
अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
Quotation
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
Quotation
तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
Quotation
भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
Quotation
महाकाल का अवतारी स्वरूप
Quotation
अंशदान और परोक्ष (Kahani)
परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
Quotation
सरलता और महानता के संगम (Kahani)
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
Quotation
मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
Quotation
Quotation
हृदय के सम्राट (Kahani)
दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
Quotation
आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
Quotation
शिक्षण और चिकित्सा (Kahani)
माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
Quotation
प्रखरता की सर्वमान्य (Kahani)
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
Quotation
आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
Quotation
आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
Quotation
वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
Quotation
वेद विश्रुत यज्ञ से कैसे चूकते (Kahani)
1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
किसान (Kavita)
मत्त-प्रलाप (Kavita)
चीर भूमि का पेट (Kavita)
युग परिवर्तन (kavita)
जवाहर के प्रति (Kavita)
देख दुर्दशा माता की (Kavita)
सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
Quotation
सादगी व सरलता के कारण (Kahani)
लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
प्रतिपाद का अनूठापन (Kahani)
Quotation
“पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
Quotation
अखण्ड-ज्योति का प्राण (Kahani)
खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
Quotation
गुरुदेव हंसते हुए बोले (Kahani)
सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
Quotation
लोक प्रिय बन गई (Kahani)
चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
Quotation
सदैव मुस्करा देते (Kahani)
विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
Quotation
सम्मान की पूँजी (Kahani)
एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
Quotation
सच्चे लोकनायक (Kahani)
आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
Quotation
रम्परा आजीवन चली (Kahani)
प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
Quotation
आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
Quotation
चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
Quotation
महामानव मोह से परे (Kahani)
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
Quotation
श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
Quotation
पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
Quotation
संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
Quotation
नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
Quotation
ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
Quotation
ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
Quotation
भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
Quotation
स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
जलावन के काम आएगी (Kahani)
Quotation
ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
Quotation
अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
Quotation
इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
Quotation
लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
Quotation
उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
Quotation
गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
Quotation
साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
VigyapanSuchana
महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
Quotation
VigyapanSuchana
हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
VigyapanSuchana
देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
Quotation
ऋषि भगवान बना देते है (Kahani)
युग पुरुष को आश्वासन
My Note
Books
SPIRITUALITY
Meditation
EMOTIONS
AMRITVANI
PERSONAL TRANSFORMATION
SOCIAL IMPROVEMENT
SELF HELP
INDIAN CULTURE
SCIENCE AND SPIRITUALITY
GAYATRI
LIFE MANAGEMENT
PERSONALITY REFINEMENT
UPASANA SADHANA
CONSTRUCTING ERA
STRESS MANAGEMENT
HEALTH AND FITNESS
FAMILY RELATIONSHIPS
TEEN AND STUDENTS
ART OF LIVING
INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
THOUGHT REVOLUTION
TRANSFORMING ERA
PEACE AND HAPPINESS
INNER POTENTIALS
STUDENT LIFE
SCIENTIFIC SPIRITUALITY
HUMAN DIGNITY
WILL POWER MIND POWER
SCIENCE AND RELIGION
WOMEN EMPOWERMENT
Akhandjyoti
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मेरा परिचय
मेरा परिचय (Kavita)
स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
बुझ नहीं सकता कभी जो, वह ज्वलित अंगार हूँ मैं
कर्तृत्व का सादृश्य अनुभव (Kahani)
Quotation
शरीर कुर्ते की तरह उतार कर फेंक दिया (Kahani)
Quotation
करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
Quotation
सबको चकित कर दिया (Kahani)
निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
बदलते समय के साथ (Kahani)
Quotation
बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
Quotation
दाँतों तले अंगुली दबा ली (Kahani)
तीन देवता, तीन संरक्षक
Quotation
स्वतंत्रता संग्राम (Kahani)
Quotation
व्यापक तंत्र खड़ा हुआ (Kahani)
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महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
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मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
नया आकाश तुम्हें दूँगा। (Kavita)
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गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
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धन्य हो उठा (Kahani)
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अध्ययन लेखन करता (Kahani)
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समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
Quotation
प्रेम का अगाध सागर (Kahani)
लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
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सीखने की अद्भुत लगन
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दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
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बात गायों पर चल रही थी (Kahani)
अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
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समाज के उत्थान की चर्चा (Kahani)
शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
Quotation
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
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कल्कि अवतार का लीला संदोह
अपना लेखन भी कर लूँगा (Kahani)
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गदगद हो गया (Kahani)
Quotation
अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
Quotation
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
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तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
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भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
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महाकाल का अवतारी स्वरूप
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अंशदान और परोक्ष (Kahani)
परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
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सरलता और महानता के संगम (Kahani)
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
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मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
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हृदय के सम्राट (Kahani)
दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
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आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
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शिक्षण और चिकित्सा (Kahani)
माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
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प्रखरता की सर्वमान्य (Kahani)
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
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आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
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आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
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वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
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वेद विश्रुत यज्ञ से कैसे चूकते (Kahani)
1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
किसान (Kavita)
मत्त-प्रलाप (Kavita)
चीर भूमि का पेट (Kavita)
युग परिवर्तन (kavita)
जवाहर के प्रति (Kavita)
देख दुर्दशा माता की (Kavita)
सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
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सादगी व सरलता के कारण (Kahani)
लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
प्रतिपाद का अनूठापन (Kahani)
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“पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
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अखण्ड-ज्योति का प्राण (Kahani)
खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
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गुरुदेव हंसते हुए बोले (Kahani)
सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
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लोक प्रिय बन गई (Kahani)
चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
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सदैव मुस्करा देते (Kahani)
विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
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सम्मान की पूँजी (Kahani)
एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
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सच्चे लोकनायक (Kahani)
आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
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रम्परा आजीवन चली (Kahani)
प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
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आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
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चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
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महामानव मोह से परे (Kahani)
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
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श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
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पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
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संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
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नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
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ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
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ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
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भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
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स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
जलावन के काम आएगी (Kahani)
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ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
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अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
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इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
Quotation
लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
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उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
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गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
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साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
VigyapanSuchana
महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
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VigyapanSuchana
हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
VigyapanSuchana
देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
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ऋषि भगवान बना देते है (Kahani)
युग पुरुष को आश्वासन
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Year 1990 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
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मेरा परिचय (Kavita)
स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
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कर्तृत्व का सादृश्य अनुभव (Kahani)
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शरीर कुर्ते की तरह उतार कर फेंक दिया (Kahani)
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करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
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सबको चकित कर दिया (Kahani)
निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
बदलते समय के साथ (Kahani)
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बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
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दाँतों तले अंगुली दबा ली (Kahani)
तीन देवता, तीन संरक्षक
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स्वतंत्रता संग्राम (Kahani)
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व्यापक तंत्र खड़ा हुआ (Kahani)
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महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
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मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
नया आकाश तुम्हें दूँगा। (Kavita)
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गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
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धन्य हो उठा (Kahani)
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अध्ययन लेखन करता (Kahani)
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समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
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प्रेम का अगाध सागर (Kahani)
लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
Quotation
सीखने की अद्भुत लगन
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दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
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बात गायों पर चल रही थी (Kahani)
अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
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समाज के उत्थान की चर्चा (Kahani)
शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
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कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
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कल्कि अवतार का लीला संदोह
अपना लेखन भी कर लूँगा (Kahani)
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गदगद हो गया (Kahani)
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अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
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महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
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तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
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भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
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महाकाल का अवतारी स्वरूप
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अंशदान और परोक्ष (Kahani)
परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
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सरलता और महानता के संगम (Kahani)
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
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मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
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हृदय के सम्राट (Kahani)
दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
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आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
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माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
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जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
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आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
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आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
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वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
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1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
किसान (Kavita)
मत्त-प्रलाप (Kavita)
चीर भूमि का पेट (Kavita)
युग परिवर्तन (kavita)
जवाहर के प्रति (Kavita)
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“पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
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खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
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सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
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सदैव मुस्करा देते (Kahani)
विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
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सम्मान की पूँजी (Kahani)
एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
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आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
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रम्परा आजीवन चली (Kahani)
प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
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आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
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चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
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महामानव मोह से परे (Kahani)
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
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श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
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पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
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संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
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नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
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ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
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ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
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भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
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स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
जलावन के काम आएगी (Kahani)
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ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
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अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
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इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
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लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
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उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
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गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
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साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
VigyapanSuchana
महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
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