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Magazine - Year 1990 - Version 2

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  • अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
  • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
  • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
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  • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
  • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
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  • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
  • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
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  • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
  • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
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  • महाकाल का अवतारी स्वरूप
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  • अंशदान और परोक्ष (Kahani)
  • परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
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  • सरलता और महानता के संगम (Kahani)
  • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
  • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
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  • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
  • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
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  • हृदय के सम्राट (Kahani)
  • दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
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  • आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
  • अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
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  • शिक्षण और चिकित्सा (Kahani)
  • माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
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  • प्रखरता की सर्वमान्य (Kahani)
  • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
  • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
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  • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
  • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
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  • आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
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  • वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
  • किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
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  • वेद विश्रुत यज्ञ से कैसे चूकते (Kahani)
  • 1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
  • किसान (Kavita)
  • मत्त-प्रलाप (Kavita)
  • चीर भूमि का पेट (Kavita)
  • युग परिवर्तन (kavita)
  • जवाहर के प्रति (Kavita)
  • देख दुर्दशा माता की (Kavita)
  • सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
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  • सादगी व सरलता के कारण (Kahani)
  • लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
  • प्रतिपाद का अनूठापन (Kahani)
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  • “पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
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  • अखण्ड-ज्योति का प्राण (Kahani)
  • खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
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  • गुरुदेव हंसते हुए बोले (Kahani)
  • सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
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  • लोक प्रिय बन गई (Kahani)
  • चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
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  • सदैव मुस्करा देते (Kahani)
  • विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
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  • सम्मान की पूँजी (Kahani)
  • एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
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  • सच्चे लोकनायक (Kahani)
  • आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
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  • रम्परा आजीवन चली (Kahani)
  • प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
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  • आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
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  • चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
  • युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
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  • महामानव मोह से परे (Kahani)
  • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
  • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
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  • श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
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  • पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
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  • संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
  • सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
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  • नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
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  • ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
  • प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
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  • ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
  • एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
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  • भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
  • युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
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  • स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
  • प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
  • जलावन के काम आएगी (Kahani)
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  • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
  • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
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  • अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
  • गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
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  • इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
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  • लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
  • उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
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  • उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
  • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
  • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
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  • गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
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  • साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
  • VigyapanSuchana
  • महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
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  • हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
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  • देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
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  • ऋषि भगवान बना देते है (Kahani)
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