• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • मेरा परिचय
    • मेरा परिचय (Kavita)
    • स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
    • बुझ नहीं सकता कभी जो, वह ज्वलित अंगार हूँ मैं
    • कर्तृत्व का सादृश्य अनुभव (Kahani)
    • Quotation
    • शरीर कुर्ते की तरह उतार कर फेंक दिया (Kahani)
    • Quotation
    • करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
    • Quotation
    • सबको चकित कर दिया (Kahani)
    • निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
    • बदलते समय के साथ (Kahani)
    • Quotation
    • बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
    • Quotation
    • दाँतों तले अंगुली दबा ली (Kahani)
    • तीन देवता, तीन संरक्षक
    • Quotation
    • स्वतंत्रता संग्राम (Kahani)
    • Quotation
    • व्यापक तंत्र खड़ा हुआ (Kahani)
    • Quotation
    • महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
    • महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
    • Quotation
    • मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
    • नया आकाश तुम्हें दूँगा। (Kavita)
    • Quotation
    • गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
    • Quotation
    • धन्य हो उठा (Kahani)
    • Quotation
    • अध्ययन लेखन करता (Kahani)
    • Quotation
    • समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
    • Quotation
    • प्रेम का अगाध सागर (Kahani)
    • लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
    • Quotation
    • सीखने की अद्भुत लगन
    • Quotation
    • दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
    • Quotation
    • बात गायों पर चल रही थी (Kahani)
    • अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
    • Quotation
    • समाज के उत्थान की चर्चा (Kahani)
    • शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
    • Quotation
    • कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
    • कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
    • Quotation
    • कल्कि अवतार का लीला संदोह
    • अपना लेखन भी कर लूँगा (Kahani)
    • Quotation
    • गदगद हो गया (Kahani)
    • Quotation
    • अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
    • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
    • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
    • Quotation
    • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
    • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
    • Quotation
    • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
    • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
    • Quotation
    • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
    • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
    • Quotation
    • महाकाल का अवतारी स्वरूप
    • Quotation
    • अंशदान और परोक्ष (Kahani)
    • परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
    • Quotation
    • सरलता और महानता के संगम (Kahani)
    • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
    • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
    • Quotation
    • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
    • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
    • Quotation
    • Quotation
    • हृदय के सम्राट (Kahani)
    • दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
    • Quotation
    • आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
    • अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
    • Quotation
    • शिक्षण और चिकित्सा (Kahani)
    • माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
    • Quotation
    • प्रखरता की सर्वमान्य (Kahani)
    • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
    • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
    • Quotation
    • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
    • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
    • Quotation
    • आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
    • Quotation
    • वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
    • किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
    • Quotation
    • वेद विश्रुत यज्ञ से कैसे चूकते (Kahani)
    • 1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
    • किसान (Kavita)
    • मत्त-प्रलाप (Kavita)
    • चीर भूमि का पेट (Kavita)
    • युग परिवर्तन (kavita)
    • जवाहर के प्रति (Kavita)
    • देख दुर्दशा माता की (Kavita)
    • सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
    • Quotation
    • सादगी व सरलता के कारण (Kahani)
    • लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
    • प्रतिपाद का अनूठापन (Kahani)
    • Quotation
    • “पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
    • Quotation
    • अखण्ड-ज्योति का प्राण (Kahani)
    • खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
    • Quotation
    • गुरुदेव हंसते हुए बोले (Kahani)
    • सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
    • Quotation
    • लोक प्रिय बन गई (Kahani)
    • चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
    • Quotation
    • सदैव मुस्करा देते (Kahani)
    • विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
    • Quotation
    • सम्मान की पूँजी (Kahani)
    • एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
    • Quotation
    • सच्चे लोकनायक (Kahani)
    • आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
    • Quotation
    • रम्परा आजीवन चली (Kahani)
    • प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
    • Quotation
    • आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
    • Quotation
    • चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
    • युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
    • Quotation
    • महामानव मोह से परे (Kahani)
    • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
    • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
    • Quotation
    • श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
    • Quotation
    • पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
    • Quotation
    • संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
    • सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
    • Quotation
    • नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
    • Quotation
    • ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
    • प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
    • Quotation
    • ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
    • एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
    • Quotation
    • भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
    • युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
    • Quotation
    • स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
    • प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
    • जलावन के काम आएगी (Kahani)
    • Quotation
    • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
    • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
    • Quotation
    • अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
    • गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
    • Quotation
    • इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
    • Quotation
    • लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
    • उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
    • Quotation
    • उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
    • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
    • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
    • Quotation
    • गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
    • Quotation
    • साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
    • VigyapanSuchana
    • महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
    • Quotation
    • VigyapanSuchana
    • हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
    • VigyapanSuchana
    • देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
    • Quotation
    • ऋषि भगवान बना देते है (Kahani)
    • युग पुरुष को आश्वासन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login





Magazine - Year 1990 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


Quotation

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 135 137 Last
ईश्वर विश्वास का फलितार्थ है-आत्मविश्वास और सदाशयता के सत्परिणामों पर भरोसा।

प्रसन्नता वसंत की तरह है जिसके आगमन पर हृदय की कलियाँ खिले फूल की तरह हँस पड़ती है।

अश्लील चिन्तन और लोलुप दृष्टिकोण मानसिक व्यभिचार है।

First 135 137 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • मेरा परिचय
  • मेरा परिचय (Kavita)
  • स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
  • बुझ नहीं सकता कभी जो, वह ज्वलित अंगार हूँ मैं
  • कर्तृत्व का सादृश्य अनुभव (Kahani)
  • Quotation
  • शरीर कुर्ते की तरह उतार कर फेंक दिया (Kahani)
  • Quotation
  • करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
  • Quotation
  • सबको चकित कर दिया (Kahani)
  • निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
  • बदलते समय के साथ (Kahani)
  • Quotation
  • बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
  • Quotation
  • दाँतों तले अंगुली दबा ली (Kahani)
  • तीन देवता, तीन संरक्षक
  • Quotation
  • स्वतंत्रता संग्राम (Kahani)
  • Quotation
  • व्यापक तंत्र खड़ा हुआ (Kahani)
  • Quotation
  • महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
  • महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
  • Quotation
  • मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
  • नया आकाश तुम्हें दूँगा। (Kavita)
  • Quotation
  • गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
  • Quotation
  • धन्य हो उठा (Kahani)
  • Quotation
  • अध्ययन लेखन करता (Kahani)
  • Quotation
  • समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
  • Quotation
  • प्रेम का अगाध सागर (Kahani)
  • लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
  • Quotation
  • सीखने की अद्भुत लगन
  • Quotation
  • दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
  • Quotation
  • बात गायों पर चल रही थी (Kahani)
  • अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
  • Quotation
  • समाज के उत्थान की चर्चा (Kahani)
  • शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
  • Quotation
  • कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
  • कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
  • Quotation
  • कल्कि अवतार का लीला संदोह
  • अपना लेखन भी कर लूँगा (Kahani)
  • Quotation
  • गदगद हो गया (Kahani)
  • Quotation
  • अयोध्यावासियों से विदा लेते हुए (Kahani)
  • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
  • व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
  • Quotation
  • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
  • महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
  • Quotation
  • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
  • तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
  • Quotation
  • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
  • भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
  • Quotation
  • महाकाल का अवतारी स्वरूप
  • Quotation
  • अंशदान और परोक्ष (Kahani)
  • परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
  • Quotation
  • सरलता और महानता के संगम (Kahani)
  • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
  • ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
  • Quotation
  • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
  • मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
  • Quotation
  • Quotation
  • हृदय के सम्राट (Kahani)
  • दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
  • Quotation
  • आत्मविश्वास से परिपूरित (Kahani)
  • अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
  • Quotation
  • शिक्षण और चिकित्सा (Kahani)
  • माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
  • Quotation
  • प्रखरता की सर्वमान्य (Kahani)
  • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
  • जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
  • Quotation
  • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
  • आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
  • Quotation
  • आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
  • Quotation
  • वह व्यक्ति चला गया (Kahani)
  • किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
  • Quotation
  • वेद विश्रुत यज्ञ से कैसे चूकते (Kahani)
  • 1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
  • किसान (Kavita)
  • मत्त-प्रलाप (Kavita)
  • चीर भूमि का पेट (Kavita)
  • युग परिवर्तन (kavita)
  • जवाहर के प्रति (Kavita)
  • देख दुर्दशा माता की (Kavita)
  • सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
  • Quotation
  • सादगी व सरलता के कारण (Kahani)
  • लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
  • प्रतिपाद का अनूठापन (Kahani)
  • Quotation
  • “पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
  • Quotation
  • अखण्ड-ज्योति का प्राण (Kahani)
  • खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
  • Quotation
  • गुरुदेव हंसते हुए बोले (Kahani)
  • सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
  • Quotation
  • लोक प्रिय बन गई (Kahani)
  • चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
  • Quotation
  • सदैव मुस्करा देते (Kahani)
  • विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
  • Quotation
  • सम्मान की पूँजी (Kahani)
  • एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
  • Quotation
  • सच्चे लोकनायक (Kahani)
  • आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
  • Quotation
  • रम्परा आजीवन चली (Kahani)
  • प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
  • Quotation
  • आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
  • Quotation
  • चमत्कार की सही परिभाषा (Kahani)
  • युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
  • Quotation
  • महामानव मोह से परे (Kahani)
  • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
  • कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
  • Quotation
  • श्री कृष्णदत्त पालीवाल जी (Kahani)
  • Quotation
  • पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
  • Quotation
  • संदर्भ ढूंढ़ने को कहते (Kahani)
  • सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
  • Quotation
  • नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
  • Quotation
  • ऐसा सुन्दर भाष्य (Kahani)
  • प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
  • Quotation
  • ब तीस वर्ष बाद आए (Kahani)
  • एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
  • Quotation
  • भावनाओं का ख्याल नहीं (Kahani)
  • युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
  • Quotation
  • स्वावलम्बन विद्यालय (Kahani)
  • प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
  • जलावन के काम आएगी (Kahani)
  • Quotation
  • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी
  • ज्योति जो तुमने जलायी वह नहीं हरगिज बुझेगी (Kavita)
  • Quotation
  • अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
  • गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
  • Quotation
  • इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
  • Quotation
  • लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
  • उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
  • Quotation
  • उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
  • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
  • उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
  • Quotation
  • गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
  • Quotation
  • साढ़े तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
  • VigyapanSuchana
  • महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
  • Quotation
  • VigyapanSuchana
  • हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
  • VigyapanSuchana
  • देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
  • Quotation
  • ऋषि भगवान बना देते है (Kahani)
  • युग पुरुष को आश्वासन
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj