• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • अनौचित्य का प्रतिकार
    • दंड भी और प्यार भी
    • युगसंधि के अगले दिन
    • बुद्धिसंगत प्रतिपादनों की स्वीकृति
    • प्रगति की दिशा में बढ़ते प्रयास
    • प्रस्तुत समस्याएँ सुलझने ही जा रही हैं
    • युगांतरीय चेतना का आलोक-विस्तार
    • अगले दिनों जो करना है
    • युग-अवतरण की प्रक्रिया
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • अनौचित्य का प्रतिकार
    • दंड भी और प्यार भी
    • युगसंधि के अगले दिन
    • बुद्धिसंगत प्रतिपादनों की स्वीकृति
    • प्रगति की दिशा में बढ़ते प्रयास
    • प्रस्तुत समस्याएँ सुलझने ही जा रही हैं
    • युगांतरीय चेतना का आलोक-विस्तार
    • अगले दिनों जो करना है
    • युग-अवतरण की प्रक्रिया
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - नवसृजन के निमित्त महाकाल की तैयारी

Media: TEXT
Language: EN
TEXT SCAN


अगले दिनों जो करना है

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 7 9 Last
इस जीवनरूपी दुर्लभ ब्रह्मकमल के प्राय: ८० फूल खिल चुके हैं। संजीवनी बूटी के एक- से एक तरंगित और शोभायमान पुष्पों के खिलते रहने का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय पूरा हो चला। गहराई से पर्यवेक्षण करने पर प्रतीत होता है कि जो गुजर गया, सो ऐसा रहा, जिस पर गर्व- गौरव और आनन्द- उल्लास अनुभव किया जा सके। जो काम सौंपा गया था; जिस प्रयोजन के लिए भेजा गया था, वह क्रमबद्ध रूप से चलता रहा और दुलार बरसने वाले स्तर के साथ पूरा होता रहा। इसे संतोष की बात ही कहा जा सकता है। बदलते युग का बीजारोपण करने से लेकर, बीजांकुर आने, खाद- पानी देने और नयनाभिराम हरियाली की रखवाली करते रहने का अवसर मिलता रहा। इसे ईश्वर की महती अनुकम्पा ही कहना चाहिए।

    सूत्र- संचालक के इस जीवन का प्रथम अध्याय पूरा हुआ। यह दृश्यमान स्वरूप था। जिनने देखा, उनने इसे एक शब्द में ही प्रकट कर दिया है कि ‘जो बोया- सो काटा’ का सिद्धान्त अपनाया गया। समाज रूपी खेत में बोए सत्प्रवृत्ति के बीज, सूत्र- संचालक के जीवन में उगे, बढ़े और विशाल उद्यान के रूप सभी के सामने आए हैं। इस जीवनचर्या द्वारा यह सभी को बताया गया कि यही आदर्श दूसरों के लिए भी अनुकरणीय है। इस मार्ग पर चलना सरल भी है और सुखद भी। पथ- भ्रष्ट न हुआ जाए तो यह मार्ग अति मंगलमय एवं प्रेरणाप्रद है। आध्यात्मिक जीवन को सदा से कठिन माना जाता रहा है, पर इस जीवन- साधना द्वारा यह सिद्ध किया जाता रहा कि यह सभी के लिए सुलभ- सुखद है और साथ ही नीतिसम्मत भी।

    पिछले दिनों दृश्य काया से, परोक्ष सत्ता के मार्गदर्शन में जो कर्तृत्व बन पड़े, वे सबके सामने हैं। साधना द्वारा आत्मपरिमार्जन, युगसाहित्य का सृजन, लाखों का संगठन, समर्थ सहायकों का विकास, लोकसेवियों का निर्माण, युगसंधि का शिलान्यास व विचारक्रान्ति का सूत्र- संचालन जैसे कितने ही विलक्षण कार्य लोगों ने अपनी आँखों से देखे हैं। यह सब काया द्वारा बन पड़ी गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय है। जो जानकारी परिजनों को नहीं है, वह समय आने पर विदित हो जाएगी। उसे इस कारण उजागर नहीं होने दिया गया है कि लोगों को पीछे खोजने के लिए भी तो कुछ बाकी रहना चाहिए।

    अब जीवन का दूसरा अध्याय प्रारम्भ होता है। अब इसमें जो होना है, उसे और भी अधिक महत्त्वपूर्ण व मूल्यवान् माना जा सकता है। स्थूल के अतिरिक्त सूक्ष्म व कारण- शरीरों का अस्तित्व अध्यात्म- विज्ञानी बताते रहे हैं। उन्हें स्थूल- शरीर की तुलना में असंख्य गुना अधिक शक्तिशाली कहा गया है। उन्हीं का प्रयोग अब एक शताब्दी तक किया जाना है। यह कार्य सन् १९९० के वसन्तपर्व से आरम्भ किया जा रहा है। यहाँ से लेकर सन् २००० तक दस वर्ष युगसन्धि का समय है। परिजन देखेंगे कि इस अवधि में जो गतिविधियाँ चलेंगी, उनका केन्द्र ‘शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार’ होगा।

    युगचेतना का विस्तार इन्हीं दिनों हो रहा है। भारत के कोने- कोने में और विदेशों में भारतीय मूल के विशिष्टजनों के माध्यम से युगसन्धि का स्वरूप व्यापक बनाया जाएगा। इसके लिए जिस आध्यात्मिक साधना की, रचनात्मक क्रियाकलाप की आवश्यकता पड़ेगी, उनका विस्तार भी इन्हीं दिनों होता रहेगा। यह कार्य सूक्ष्म- शरीर द्वारा सम्पन्न होगा। स्थूल- शरीर तो इससे पहले ही साथ छोड़ चुका होगा। कारण स्पष्ट है- स्थूल की विधि- व्यवस्था में ढेरों समय खर्च हो जाता है, जबकि सूक्ष्म- शरीर बिना किसी झंझट के व्यापक क्षेत्र में अपना कार्य द्रुतगति से करता- कराता रह सकता है।

    कारण- शरीर की शक्ति बड़ी है। उसका कार्यक्षेत्र भी बड़ा है। अदृश्य जगत् में जो घटित होने जा रहा है। उसमें हस्तक्षेप करने की सामर्थ्य भी कारण- शरीर में होती है। इक्कीसवीं सदी में कई अनर्थों से जूझने की आवश्यकता पड़ेगी और कई ऐसे प्रयास सम्पन्न करने पड़ेंगे, जो न स्थूल- शरीर से बन पड़ सकते हैं और न उन्हें सूक्ष्म- शरीर ही कर सकता है। ब्राह्मीचेतना से जुड़कर दिव्य कारण- शरीर ही उन सब कार्यों को क्रियान्वित करता है, जिन्हें प्राय: अद्भुत एवं अलौकिक कहा जाता है।

    युगपरिवर्तन की प्रस्तुत वेला में इस महान् कार्य के लिए जो सुविधाएँ सामने आएँगी, उनका उद्भव अदृश्य जगत् से होगा। अदृश्य से ही दृश्य गतिविधियाँ प्रकट होंगी। जो कुछ भी किया जाना है, वह ब्राह्मीचेतना से जुड़ा कारण- शरीर ही सम्पन्न करेगा। इक्कीसवीं सदी में ऐसे ही परिवर्तन होंगे, पर यह प्रतीत न होगा कि यह कैसे हो रहे हैं और कौन कर रहा है? चूँकि पिछले दो हजार वर्षों की गड़बड़ियाँ अगले सौ वर्षों में ही ठीक होनी हैं, इसलिए सुधार की गतिविधियाँ भी अपनी चरमसीमा पर होंगी। इसे सामान्य साधन और प्रयासों से नहीं किया जा सकता। इसके लिए विशिष्ट प्रयास अनिवार्य हैं। यही कारण है कि सूत्र- संचालक ने प्रत्यक्ष मिलने- जुलने का क्रम बन्द कर कारण- शरीर में संव्याप्त सत्ता द्वारा वह सब सम्पन्न कर डालने का निश्चय वसन्त से कर लिया है। वैज्ञानिक या दार्शनिक जब कोई विशेष महत्त्वपूर्ण बौद्धिक कार्य करते हैं तो अपने स्थूल सम्पर्क को समेट लेते हैं। चेतना- स्तर पर किए जाने वाले महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए स्थूल सम्पर्क समेट लेना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है; इसीलिए ऐसा निश्चय करना पड़ रहा है।
First 7 9 Last


Other Version of this book



नवसृजन के निमित्त महाकाल की तैयारी
Type: TEXT
Language: EN
...

નવસર્જન નિમિત્તે મહાકાળની તૈયારી
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

नव सृजन के निमित्त महाकाल की तैयारी
Type: SCAN
Language: EN
...


Releted Books



21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग सृजन का आरम्भ परिवार निर्माण से
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग सृजन का आरम्भ परिवार निर्माण से
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Articles of Books

  • अनौचित्य का प्रतिकार
  • दंड भी और प्यार भी
  • युगसंधि के अगले दिन
  • बुद्धिसंगत प्रतिपादनों की स्वीकृति
  • प्रगति की दिशा में बढ़ते प्रयास
  • प्रस्तुत समस्याएँ सुलझने ही जा रही हैं
  • युगांतरीय चेतना का आलोक-विस्तार
  • अगले दिनों जो करना है
  • युग-अवतरण की प्रक्रिया
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj