• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • महायोगी अरविंद
    • जन्म और शिक्षा
    • जीवन का मार्ग परिवर्तन
    • सार्वजनिक जीवन की तैयारी
    • योगाभ्यास की प्रगति
    • गिरफ्तारी और कारागारवास-
    • आत्मा की पुकार
    • पांडिचेरि में आरंभिक जीवन-
    • राजनीति से पृथकता -
    • आर्य का प्रकाशन और अन्य रचनाएँ-
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • महायोगी अरविंद
    • जन्म और शिक्षा
    • जीवन का मार्ग परिवर्तन
    • सार्वजनिक जीवन की तैयारी
    • योगाभ्यास की प्रगति
    • गिरफ्तारी और कारागारवास-
    • आत्मा की पुकार
    • पांडिचेरि में आरंभिक जीवन-
    • राजनीति से पृथकता -
    • आर्य का प्रकाशन और अन्य रचनाएँ-
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - महायोगी अरविंद

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


जन्म और शिक्षा

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 1 3 Last
श्री अरविंद (जन्म सन् १८७१) के पिता बंगाल के एक बहुत प्रसिद्ध डॉक्टर थे। वे सिविल सर्जन के पद पर काम करते थे। अत्यंत परोपकारी और उदार स्वभाव के थी। वे अपने रोगियों की दवा- दारू द्वारा ही सहायता नहीं करते थे, वरन् आवश्यकता जान पड़ती, तो उनके लिए पथ्य और वस्त्र की सहायता भी अपनी तरफ से करते थे। पर उनके स्वभाव में एक विशेषता यह भी थी कि वे अंग्रेजियत के कट्टर समर्थक थे। इन देश वालों की अकर्मण्यता और संकीर्ण मनोवृति को देखकर वे भारतीय सभ्यता और संस्कृति को निस्सार समझने लगे थे, और इसलिए चाहते थे कि उनके पुत्रों को भारतीयता की हवा भी न लगे और वे पूरी तरह से अंग्रेजों के गुण- भावापन्न हो जायें। इस से उनकी तुलना भारत के महान् नेता पं० जवाहर लाल जी नेहरू से ही की जा सकती है, जिनको बहुत छोटी अवस्था में ही इंगलैंड भेजकर- एक अंग्रेज परिवार में रखकर शिक्षा- दीक्षा दिलाई गई थी। अपने इस विचार को पूरा करने के लिए उनके पिता किसी बंगला भाषा बोलने वाले को अपने यहाँ नौकर भी नहीं रखते थे। इस प्रकार घर में रहते हुए अरविंद और उनके भाइयों ने अंग्रेजी के सिवा भारतीय भाषाओं का एक शब्द भी नहीं सीखा।

पाँच वर्ष की आयु में ही श्री अरविंद को दार्जिलिंग के एक ऐसे स्कूल में दाखिल करा दिया गया, जो पूर्णतया योरोपियन था। इसमें पढ़ने वाले बालक और पढ़ाने वाले शिक्षक सब योरोपियन थे और भारतीय भाषाओं का कोई वहाँ नाम भी नहीं लेता था। दो वर्ष बाद सात वर्ष की अवस्था में उनको विलायत शिक्षा प्राप्त करने भेज दिया गया। कम उम्र होने के कारण उनको होस्टल में न रखकर मि० ड्रिवेट नामक गृहस्थ के घर में रहने की व्यवस्था की गई। वे महाशय योरोप की प्राचीन भाषा लैटिन के, जिसका सम्मान उस महाद्वीप में हमारी संस्कृत भाषा की तरह किया जाता है, बड़े विद्वान् थे। उनके यहाँ रहकर श्री अरविन्द ने छोटी अवस्था में ही इस भाषा का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया। सन् १८८५ में जब मि० ड्रिवेट इंगलैंड छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में रहने को चले गये, तो अरविंद को सेंटपाल स्कूल में दाखिल करा दिया गया। वहाँ के हैडमास्टर को इतनी छोटी आयु में इनकी लैटिन भाषा की योग्यता को देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ और उनसे प्रसन्न होकर निजी तौर पर इनको दूसरी प्राचीन भाषा ग्रीक पढ़ाना आरंभ कर दिया। इसको भी उन्होंने शीघ्र ही सीख लिया। योरोप की समस्त वर्तमान भाषाओं की जननी 'लैटिन' और 'ग्रीक' भाषाएँ ही मानी जाती हैं। इनका उच्च ज्ञान प्राप्त कर लेने से श्रीअरविंद को वहाँ की सभी भाषाएँ सीखने में बड़ी सुविधा हो गई और वे बहुत जल्दी ऊँचे दर्जो में चढ़ा दिये गये। वास्तव में उनमें नई भाषा के सीखने की असाधारण क्षमता थी। श्री अरविंद साधारण विद्यार्थी न थे। तेरह वर्ष की आयु में जब उन्होंने मि० ड्रिवेट का घर छोड़ा ,, तभी अपनी विशेष प्रतिभा, समझदारी और विनम्रता से उन्होंने आदरणीय स्थान प्राप्त कर लिया था। अपनी इस विकसित योग्यता के द्वारा उन्होंने सेंटपाल स्कूल की पढ़ाई चार वर्ष में ही पूरी कर लीं और लगभग सत्रह वर्ष की आयु में कैंब्रिज के 'किंग्स कॉलेज' के लिए ८० पौंड (लगभग ५५००रू) की सर्वोच्च छात्र- वृत्ति प्राप्त कर ली। अंग्रेजी और फ्रांसीसी भाषाओं की विशेष योग्यता के साथ उन्होंने जर्मन, इटालियन और स्पेनिश भाषाओं का भी साधारण ज्ञान प्राप्त कर लिया। चौदह वर्ष की आयु में उन्होंने एक कविता- पुस्तक रच डाली, जिसकी अनेक विद्वानों ने प्रंशसा की। ग्रीक और लैटिन की काव्य- संबंधी योग्यता के लिए कैंब्रिज विश्व- विद्यालय में जो पुरस्कार दिये जाते थे, वे प्रतिवर्ष इन्हीं को मिलते थे।

पिता के आदेश से श्री अरविंद ने आई० सी० एस० (इंडियन सिविल सर्विस) की परीक्षा बिना किसी शिक्षक से सहायता लिए ही दे डाली और उसमें उच्च श्रेणी में पास हो गए, पर उन्होंने घुड़सवारी की ओर ध्याननहीं दिया, जिससे परीक्षा का प्रमाण पत्र इनको न मिल सका। पर जो विद्यार्थी अन्य विषयों में अच्छी योग्यता दिखलाते थे, उनको घुड़सवारी का इम्तिहान दुबारा देने का मौका दिया जाता था, पर इन्होंने उसकी तरफ कुछ ध्यान नहीं दिया। इससे अनेक लोगों ने बाद में यह ख्याल किया कि वे इस परीक्षा में जानबूझ कर फेल हो गये, क्योंकि उनकी यह आकांक्षा नहीं थी कि भारतवर्ष में कलेक्टर या कमिश्नर बनकर अंग्रेजी नौकरशाही के एक अंग बन जाएँ। भगवान् को भी यह अभिप्रेत नहीं था कि, जिस व्यक्ति को संसार के मार्ग प्रदर्शन के लिए भेजा गया है, वह कोई बड़ा सरकारी अफसर बनकर खाने- पीने और फैशन की बातों में अपनी जिंदगी बिता दे। इसलिए उनकी विचारधारा किसी दूसरी तरफ ही बहने लग गई थी।

First 1 3 Last


Other Version of this book



महायोगी अरविंद
Type: TEXT
Language: HINDI
...

મહાયોગી અરવિંદ
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

महयोगी अरविंद
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

संत विनोबा भावे
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

आध्यात्मिक कायाकल्प का विधि- विधान-२
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग सृजन का आरम्भ परिवार निर्माण से
Type: TEXT
Language: HINDI
...

वाल्मीकि रामायण से प्रगतिशील प्रेरणा
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • महायोगी अरविंद
  • जन्म और शिक्षा
  • जीवन का मार्ग परिवर्तन
  • सार्वजनिक जीवन की तैयारी
  • योगाभ्यास की प्रगति
  • गिरफ्तारी और कारागारवास-
  • आत्मा की पुकार
  • पांडिचेरि में आरंभिक जीवन-
  • राजनीति से पृथकता -
  • आर्य का प्रकाशन और अन्य रचनाएँ-
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj