
भूत-प्रेतों की दानवीय संस्कृति होगी हावी
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मित्रो! ये सारे के सारे लोग कौन हैं? ये कौन हैं? भूत। ये कौन हैं? प्रेत। ये कौन हैं? डाकू। ये कौन हैं? हत्यारे। सब नीरस, सारी की सारी दुनिया नीरस-न मोहब्बत, न कहीं प्यार, न कहीं सहकारिता, न कोई भलमनसाहत। कहीं कोई किसी का नहीं है। आदमी मशीन के तरीके से भागता हुआ चला जा रहा है। अगले दिनों क्या हो जाएगा? यही हो जाएगा। अमेरिका का बिलकुल यही हाल है; क्योंकि वहाँ तो आधुनिक संस्कृति है आपकी संस्कृति देव संस्कृति है। आप देव संस्कृति का परित्याग करते चले जा रहे हैं, तो दानवीय संस्कृति आपको यही करेगी। वह आपको पैसा जरूर देगी और सुख-सुविधा के साधन देगी, लेकिन लंका में ये सुख -सुविधा के साधन क्या कम थे! आप विश्वास रखिए आपको भी ये सब मिल जाएँगे। विज्ञान जितनी तेजी से बढ़ रहा है और आर्थिक उन्नति के जो साधन चल रहे हैं। बिजली इस कदर पैदा हो रही है कि इससे आपको सुख-सुविधा के वे सभी साधन मिल जाएँगे, जो आप चाहते हैं। जो लंका में थे, वे आपको सब मिल जाएँगे, पर इससे क्या होगा? आप हैरान होंगे।