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Books - शिक्षा व्यवस्था कैसी हो?

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Language: HINDI
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जापान की आदर्शवादिता

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First 8 10 Last
जापान ने भी जो उन्नति की है, कुटीर उद्योगों के माध्यम से की है। उन्होंने गाँव-गाँव, घर-घर और मोहल्ले-मोहल्ले में इस तरह का प्रयत्न किया है कि हर व्यक्ति का जो श्रम बच जाता है, जो समय बच जाता है, उसका उपयोग किया जा सके। जापान में पढ़ने के बाद में स्कूली बच्चे भी कुछ काम कर लेते हैं अपने घर में लगी हुई मशीनों के द्वारा। महिलाएँ खाना-पकाने के बाद और घर की व्यवस्था बनाने के बाद जो बच्चों को सँभालती हैं, घर में रहती हैं, उनके लिए भी ऐसे गृह उद्योग मिल जाते हैं जिसमें कि वे कई घंटे काम कर सकें, कई घंटे काम करके जीविका कमा सकें। प्रत्येक व्यक्ति को अपने श्रम का उपयोग करने के लायक कुछ काम मिल सके, इसकी बहुत सख्त जरूरत है। उसके बिना हमारी आर्थिक व्यवस्था का सुधार नहीं हो सकता।

एक आदमी कमाए और सारा घर खाए ये क्या बात है? एक कमाता है, बाकी लोग जो समर्थ हैं, बड़ी उमर के हैं और जो काम करने में समर्थ हैं, उनको काम क्यों नहीं मिलना चाहिए?

इतने आदमियों की श्रम शक्ति बेकार चली जाए तो राष्ट्रीय उत्पादन में कमी होना स्वाभाविक ही है। एक ही आदमी कमाए सारा घर खाए तो घर में आर्थिक संकट होना स्वाभाविक ही है। हर आदमी को किसी न किसी रूप में कमाना चाहिए। यह हमारे समाज की व्यवस्था का काम है, शिक्षा की व्यवस्था का काम है कि ऐसा शिक्षण दे, खासतौर से कुटीर उद्योगों के संबंध में कि प्रत्येक घर में कोई न कोई उद्योग लगे और उन कुटीर उद्योगों से बनी वस्तुओं को बेचने का और उनको मार्केट में लाने का, बिक्री करने का कार्य कोऑपरेटिव सोसायटी से होना चाहिए। एक आदमी चीज बनाए और वही बेचता फिरे। ये क्या ढंग है? साबुन घर में कोई बनाए और वही सिर पर रखकर घर-घर में बेचे, तो एक चौथाई समय बनाने के लिए और तीन चौथाई समय बेचने के लिए। फिर क्या लागत आएगी? बिक्री का काम उत्पादक का नहीं होना चाहिए। उत्पादक अलग हों और विक्रय करने वालों की संस्थाएँ अलग हों। इससे बनाने वाले को भी निश्चिंतता होती है, बिक्री के लिए स्रोत भी ठीक बन जाते हैं और बाहर भेजना हो तो वो भी ठीक बन जाता है। हमारे शिक्षण का उद्देश्य स्वावलंबन होना चाहिए।

शिक्षा का उद्देश्य मानव जीवन की हर समस्या के बारे में व्यक्ति को जानकारी कराना है, जैसे स्वास्थ्य की समस्या, एनाटॉमी से लेकर फीजियोलॉजी तक। हमारे अंग किस तरीके से काम करते हैं और क्यों बीमार हो जाते हैं, बीमार हुए लोगों को किस तरीके से ठीक किया जा सकता है और घर में कोई बीमार पड़ जाए तो उसकी परिचर्या के लिए और प्राथमिक सहायता के लिए क्या किया जाना चाहिए? ये शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग होना चाहिए पर हम देखते हैं कि ये अंग बहुत कम हैं। हर आदमी जब बड़ा हो जाता है, तो उसको पैसे कमाने पड़ते हैं और उद्योग करना पड़ता है, रोटी कमानी पड़ती है, हिसाब-किताब रखना पड़ता है, पर हम ये देखते हैं कि जो सामान्य शिक्षा है उसमें आवश्यक बातों के लिए कोई स्थान नहीं। प्रत्येक व्यक्ति का एक कुटुंब होता है, परिवार होता है, परिवार की समस्या होती है, स्त्री की समस्या होती है, बच्चे पैदा होने की समस्या होती है, गर्भवती की समस्या होती है, बालकों के विकास की समस्या होती है। जो आदमी कुटुंब बनाता है और कुटुंब में रहता है, उनको इस बात की जानकारी होनी चाहिए लेकिन हम देखते हैं कि दुर्भाग्यवश जीवन का इतना महत्त्वपूर्ण अंग और हमारी शिक्षा में इनके लिए कोई गुंजाइश नहीं। मनुष्य की राष्ट्रीय समस्याएँ सामाजिक समस्याएँ धार्मिक समस्याएँ आत्मिक समस्याएँ जीवन के विकास करने की समस्याएँ व्यक्तित्व को ठीक रखने की समस्याएँ इत्यादि असंख्य समस्याएँ मनुष्य के जीवन में हैं और खासतौर से आज इस प्रगतिशील जमाने में तो इनकी संख्या और भी बढ़ गई है। इन समस्याओं के समाधान क्या हो सकते हैं और क्या होने चाहिए और दुनिया के लोगों ने किस तरीके से अपने-अपने देश की आवश्यकता को पूरा किया। कठिनाइयों का समाधान किया। इसकी जानकारी देना शिक्षा का काम है, लेकिन हम देखते हैं कि कूड़े-कबाड़ी की तरीके से निरर्थक बातें बच्चों के दिमाग में ठूँसी जाती हैं? उसको जबानी याद करने के लिए मजबूर किया जाता है, जबानी याद करने की क्या बात है?
First 8 10 Last


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