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Friday 25, April 2025

कृष्ण पक्ष द्वादशी, बैशाख 2025




पंचांग 25/04/2025 • April 25, 2025

बैशाख कृष्ण पक्ष द्वादशी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र | द्वादशी तिथि 11:45 AM तक उपरांत त्रयोदशी | नक्षत्र पूर्वभाद्रपदा 08:53 AM तक उपरांत उत्तरभाद्रपदा | इन्द्र योग 12:30 PM तक, उसके बाद वैधृति योग | करण तैतिल 11:45 AM तक, बाद गर 10:09 PM तक, बाद वणिज |

अप्रैल 25 शुक्रवार को राहु 10:37 AM से 12:15 PM तक है | चन्द्रमा मीन राशि पर संचार करेगा |

 

सूर्योदय 5:44 AM सूर्यास्त 6:46 PM चन्द्रोदय 3:50 AM चन्द्रास्त 4:11 PM अयन उत्तरायण द्रिक ऋतु ग्रीष्म

 

  1. विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत - 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत - बैशाख
  4. अमांत - चैत्र

तिथि

  1. कृष्ण पक्ष द्वादशी   - Apr 24 02:32 PM – Apr 25 11:45 AM
  2. कृष्ण पक्ष त्रयोदशी   - Apr 25 11:45 AM – Apr 26 08:28 AM

नक्षत्र

  1. पूर्वभाद्रपदा - Apr 24 10:49 AM – Apr 25 08:53 AM
  2. उत्तरभाद्रपदा - Apr 25 08:53 AM – Apr 26 06:27 AM


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उतना बोलिए जितना आवश्यक हो, Utana Boliye Jitana Aavashyak Hai

उतना बोलिए जितना आवश्यक हो, Utana Boliye Jitana Aavashyak Hai

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!! ज्योति कलश यात्रा हेतु कार्यकर्ताओं को मिला मार्गदर्शन !!

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वेदमूर्ति प्रभु वेद मूर्ति प्रभु हमें ऐसा विमल वरदान दो

वेदमूर्ति प्रभु वेद मूर्ति प्रभु हमें ऐसा विमल वरदान दो

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 रामभक्त और शिवभक्त की आस्था : श्रद्धा

रामभक्त और शिवभक्त की आस्था : श्रद्धा

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विवाहित जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन | Vivahit Jiavn Me Bhramchya Ka Palan

विवाहित जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन | Vivahit Jiavn Me Bhramchya Ka Palan

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हमारे जीवात्मा का स्तर ऊँचा होना चाहिए | Hamare Jivatama Ka Estar Uncha Hona Chahiye

हमारे जीवात्मा का स्तर ऊँचा होना चाहिए | Hamare Jivatama Ka Estar Uncha Hona Chahiye

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कुण्डलिनी ध्यान: शक्ति केंद्रों को जागृत करने की विधि | Kundalini Jagran | Pt Shriram Sharma Acharya

कुण्डलिनी ध्यान: शक्ति केंद्रों को जागृत करने की विधि | Kundalini Jagran | Pt Shriram Sharma Acharya

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गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन

गायत्री माता
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गायत्री माता - अखंड दीपक
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चरण पादुका
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चरण पादुका
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सजल श्रद्धा - प्रखर प्रज्ञा (समाधि स्थल)
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प्रज्ञेश्वर महादेव - देव संस्कृति विश्वविद्यालय
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शिव मंदिर - शांतिकुंज
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हनुमान मंदिर - शांतिकुंज
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आज का सद्चिंतन (बोर्ड)

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आज का सद्वाक्य

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नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन


!! आज के दिव्य दर्शन 25 April 2025 !! !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

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!! परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी का अमृत सन्देश !!

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परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश



यदि हमारा स्तर गया गया गुजरा है और हमने केवल नाम प्राप्त करने के लिए यश प्राप्त करने के लिए पद प्राप्त करने के लिए जनता के सामने अपनी विशेषता जाहिर करने के लिए कोई खेल खड़ा कर दिया है पदाधिकारी हो गए हैं संस्थाओं के संचालक बन गए हैं अथवा कोई और ऐसा काम करते हैं जिससे कि दूसरों की निगाह में हम आएं तो यश कामना से किए हुए यदि हमारे क्रियाकलाप हैं तो समझना चाहिए ढोल की पोल है और इसका थोड़ा सा ही खेलकूद होगा पर परिणाम कुछ नहीं निकलेगा और उसका कोई ठोस परिणाम ठोस प्रभाव नहीं होगा समय पर थोड़ी उछल कूद हो जाएगी समय पर थोड़े से विज्ञापन हो जाएगा समय पर थोड़ा सा कुछ काम दिखाई पड़ेगा लेकिन उसका स्थाई परिणाम नहीं होगा स्थाई परिणाम जब कोई हुआ है तो श्रेष्ठ श्रेष्ठ और श्रेष्ठ व्यक्तियों का हुआ है श्रेष्ठ भावनाओं का हुआ है भली से वो परिणाम आज न हो कल हो लेकिन होगा तभी जब की हम उच्चस्तरीय व्यक्ति होंगे ईसा मसीह के 13 शिष्य उनके जीवन में बने थे 12 शिष्य तो उनके पीछे रह गए एक शिष्य ने तो एक काम किया कि तीन सौ रुपया इनाम लेने के लोभ में अपने गुरु को पकड़वा दिया और उनको फांसी की सजा लग गई ईसा मसीह जमानतदार हो गए तो एक थे उनके साथ साथ वहां पर गया जहां अदालत की कचहरी से लेकर के और फांसी के तख्ते पर ले जाया जा रहा था साथ साथ चल रहा था पीछे पीछे उनके न्यायाधीश के नौकरों ने पूछा क्या तेरा भी इस आदमी के साथ कोई संबंध है तू भी उसके साथ जाएगा तू भी ऐसे ही इसका सहायक था क्या तो उसने कसम खाकर कहा मैं तो साहब इसको जानता भी नहीं मैं तो इसके साथ साथ चल रहा हूं उस जमाने में कौन थे उनके सहायक कौन कह सकता था ईसाई विश्व में इतना विस्तृत हो जाएगा इतने उसके अनुयायी बन जाएंगे क्योंकि उनकी नियत शुद्ध और पवित्र थी क्योंकि उनका चरित्र उत्कृष्ट था क्योंकि उनकी शक्ति उनके भीतर समाई हुई थी जो उत्कृष्ट चरित्र से पैदा होती है ईमानदारी से होती है अपनी निस्वार्थ होती है सच्चाई से होती है पवित्रता से होती है वह सारी शक्ति उत्पन्न कर ली थी ईसा मसीह में उसी का फल स्वरूप था उनकी जिंदगी में जो काम ना हो सका उसके लाखों गुना करोड़ों गुना काम उनके मरने के बाद हुआ हम लोगों को सफलताएं कितनी मिलती है इसका महत्व नहीं है हम लोगों ने कितना काम किया इसका लेखा-जोखा इस तरीके से नहीं लिया जा सकता कि उस काम का कितना विस्तार हुआ काम का लेखा-जोखा इसी मायने में लिया जाएगा कि काम करने वालों का स्तर क्या है काम करने वालों की उसकी भावनाएं क्या है काम करने वालों की निष्ठायें क्या है काम करने वालों का दृष्टकोण क्या है अगर हम इन सब बातों का ठीक तरीके से कर सकते हो तो उसका लाभ हमको मिलेगा मिलना ही चाहिए यही युग निर्माण आंदोलन की पृष्ठभूमि है अगर हम स्पष्ट रूप में हम समझ सकते हैं तो हमारे जो हमारे क्रियाकलाप हैं वह कई सामथ्र्यवान और प्रकाशवान होंगे हम में से युग निर्माण द्वारा संबंध रखने वाले हर आदमी को यह बात पर विचार करना चाहिए कि भगवान का तो है अगला आंदोलन है और हमें पहली पंक्ति में खड़ा करके भगवान ने विशेष अनुग्रह दिया है और हमको अपने आप को उन सिद्धांतों और आदर्शों से ओत प्रोत करना चाहिए जो हम दूसरों को सिखाने के लिए चले हैं इतनी बातों को अगर हम ध्यान रखें तो हम सच्चे युग निर्माण सेना के कार्यकर्ता बन सकते हैं और उस लक्ष्य तक सहज ही पहुंच सकते है

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अखण्ड-ज्योति से



बेटे! मैं ये कह रहा था आपसे, आप गायत्री माता की उपासना का छोटा-सा स्वरूप अपना लें, छोटी-सी उपासना किया करें। मैंने तो आपको कितना बता दिया है! अनुष्ठान बता दिए हैं। क्या-क्या बता दिए हैं? मैंने तो आपको बी0ए0, एम0ए0 तक की पढ़ाई बता दी है; पर मान लीजिए बी0ए0, एम0ए0 तक की न आती हो, पहले दर्जे की पढ़ाई पढ़ना चाहते हों। मान लीजिए आप पहले दर्जे के विद्यार्थी हों तो पहले दर्जे की पढ़ाई को आप ठीक तरह से पढ़ लें, तो काम चल सकता है। कैसे पढ़ें? आप ऐसे कीजिए कि मन्त्र के साथ-साथ में आपने पढ़ा होगा— योगशास्त्र में लिखा है—क्या लिखा है? मन्त्र को अर्थ समेत जपना चाहिए। अर्थ समेत आप कहाँ जपते हैं? ये गलत बात है।

गायत्री मन्त्र की जिस प्रकार से बोलने की स्पीड है, उस तरह से विचार की स्पीड नहीं हो सकती। ‘भूः’ का अर्थ ये है, ‘भुवः’ का अर्थ ये है, तत् का अर्थ ये है। इस प्रकार से अर्थचिन्तन के साथ जप का समन्वय सम्भव नहीं और देखें जुबान कितनी तेजी से चलती है। अर्थ का चिंतन कितने धीमे से होता है? जप के साथ चिंतन नहीं हो सकता। गलत कहा है—गलत या तो गलत लिखा है या आपने गलत समझा है। गलत क्या बात है? इसका अर्थ ये है—कोई आप कृत्य करते हैं। प्रत्येक कृत्य के पीछे पता चलाना पड़ेगा। क्या पता चलाना पड़ेगा कि इसके पीछे प्रेरणा क्या है? शिक्षा क्या है?

स्थूल शरीर से आप प्रतीकों का पूजन करेंगे, चावल चढ़ाएँ, हाथ जोड़ें, नमस्कार करें, माला घुमाएँ, मन्त्र का उच्चारण करें। ये स्थूल शरीर की क्रियाएँ हैं। इतने से काम बनने वाला नहीं। फिर क्या करना चाहिए? आदमी को ये करना चाहिए कि प्रत्येक कर्मकाण्ड के पीछे की विचारणाएँ, प्रेरणाएँ समझें। विचारणाएँ क्या हैं? प्रत्येक कर्मकाण्ड हमको कुछ शिक्षा देता है, कुछ नसीहत देता है, कुछ उम्मीदें कराता है। आपने उपासना की है, कर्मकाण्ड किया है, तो इस कर्मकाण्ड के माध्यम से जो आपको अपने जीवन में हेर-फेर करने चाहिए, विचारों में परिवर्तन करने चाहिए, उस परिवर्तन के लिए आप विचारमग्न हों, और विचार करें कि आखिर ये क्यों किया जाए?

 क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य

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