सादा जीवन-उच्च विचार...

मानवी सत्ता शरीर और आत्मा का सम्मिश्रण है। शरीर प्रकृति पदार्थ है। उसका निर्वाह स्वास्थ्य, सौन्दर्य,...

Oct. 13, 2024, 1:02 p.m.

अपने आप का निर्माण...

मित्रो ! आत्मा को, अपने आप का निर्माण कर लेना-नम्बर एक। अपने परिवार का निर्माण कर लेना-नम्बर दो। अपन...

Oct. 13, 2024, 11:06 a.m.

कहिए कम-करिये ज्यादा (भाग 1)...

मानव स्वभाव की एक बड़ी कमजोरी प्रदर्शन प्रियता है। बाहरी दिखावे को वह बहुत ज्यादा पसन्द करता है। यद्...

Oct. 13, 2024, 10:35 a.m.

कहिए कम-करिये ज्यादा (अन्तिम भ...

इसे हम बराबर देखते हैं कि केवल बातें बनाने वाला व्यक्ति जनता की नजरों से गिर जाता है। पहले तो उसकी ब...

Oct. 13, 2024, 10:33 a.m.

दुष्कर्मों के दण्ड से प्रायश्च...

यह ठीक है कि जिस व्यक्ति के साथ अनाचार बरता गया अब उस घटना को बिना हुई नहीं बनाया जा सकता। सम्भव है ...

Oct. 13, 2024, 10:30 a.m.

प्राप्त का दुरूपयोग न होने दें...

जन्मा, कुछ दिन खेला-कूदा, किशोरावस्था आने पर कल्पना की रंगीली उड़ानें भरना, युवा होते-होते विवाह बंधन...

Oct. 13, 2024, 10:28 a.m.

विचारणीय...

मुफ्त में अनुदान-वरदान पाने की अपेक्षा, किसी को भी, किसी से भी नहीं करनी चाहिए। देवताओं से वरदान और ...

Oct. 12, 2024, 1:41 p.m.

महान कैसे बनें?...

मित्रो ! तुम्हें ऐसे व्यक्तियों का प्रेमपात्र बनने का सदैव प्रयत्न करते रहना चाहिए जो कष्ट पडऩे पर त...

Oct. 12, 2024, 1:40 p.m.

संघर्षों की विजयादशमी (Kavita)...

संघर्षों की विजयादशमी चढ़ आई है, तज कर तन्द्रा, आ पंचशील के राम, उठो! तुम भटक चुके हो नाथ, बहुत दण्ड...

Oct. 12, 2024, 1:36 p.m.

साहस और संकल्प का महापर्व : वि...

शहरों, कस्बों और गाँवों में रावण के पुतलों को जलाने की तैयारियाँ देखकर दशहरा के आगमन का अनुमान होने ...

Oct. 12, 2024, 1:30 p.m.

असत्य पर सत्य की जीत का महापर्...

देसंविवि में रामलीला मंचन में कलाकारों ने खूब तालियाँ बटोरी हरिद्वार 13 अक्टूबर। देवसंस्कृति विश्ववि...

Oct. 13, 2024, 8:24 p.m.

हाउस ऑफ लॉर्ड्स लंदन में प्रबु...

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड...

Oct. 13, 2024, 9:53 a.m.

व्यसन मुक्त भारत को बनाना विश्...

पाली राजस्थान  व्यसन मुक्त भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका अत्यंत आवश्यक है। जब युवा न केवल स्व...

Oct. 12, 2024, 11:11 a.m.

लोकसभा अध्यक्ष माननीय श्री ओम ...

कार्यशाला के समापन पर शक्तिकलशों का शान्तिकुञ्ज में भ्रमण लोकसभा अध्यक्ष माननीय श्री ओम बिरला जी ने ...

Oct. 12, 2024, 10:38 a.m.

अखण्ड ज्योति के प्राकट्य एवं ...

बसंत पंचमी सन् 1926 में परम पूज्य गुरूदेव द्वारा  अखण्ड ज्योति प्राकट्य और शक्तिस्वरूपा परम वंदनीया ...

Oct. 12, 2024, 10:17 a.m.

करिष्ये वचनं तव का लिया संकल्प...

शांतिकुंज में 27 कुण्डीय तथा देसंविवि में 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन  हरिद्वार 11 अक्टूबर। ...

Oct. 11, 2024, 4:47 p.m.

‘अस्मिता खेलो इंडिया योगासन’ ...

भारत एवं उत्तर प्रदेश योगासन स्पोर्ट एसोसिएशन के तत्त्वावधान में दिनांक  1 से 3  सितंबर की तिथियों म...

Oct. 11, 2024, 10:43 a.m.

क्षेत्र में प्रथम बार आगमन से...

पीतल नगरी में प्रथम आगमन पर भव्य स्वागत, गायत्री चेतना केन्द्र मुरादाबाद में चल रही अपनों से अपनी बा...

Oct. 11, 2024, 10:37 a.m.

डॉ. पण्ड्या जी का भव्य स्वागत,...

आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी रूद्रपुर में आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए रूद्रपुर पहुँचने पर...

Oct. 11, 2024, 10:16 a.m.

व्यक्ति के पास उद्देश्य हो तो...

रूद्रपुर। उत्तराखण्ड  ‘‘व्यक्ति के पास उद्देश्य हो तो जीवन उत्सव में बदल  जाता है।’’ गायत्री परिवार ...

Oct. 11, 2024, 10:04 a.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज