अंगदान — यह केवल एक चिकित्सकीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि परोपकार, संवेदना और आत्मिक उन्नति का संदेश है। समाज के लिए जीना और मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन का कारण बनना, यही सच्चा धर्म है। अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP), जो युग निर्माण योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों को जागरूक बना रहा है, अंगदान जैसे पवित्र कर्म को एक युगधर्म के रूप में प्रस्तुत करता है। “हम बदलेंगे, युग बदलेगा” के सूत्रवाक्य को चरितार्थ करते हुए, गायत्री परिवार का अंगदान जागृति अभियान समाज में चेतना, सेवा, और जीवन के प्रति नए दृष्टिकोण का संचार कर रहा है।
अभियान की पृष्ठभूमि और प्रेरणा
गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने मानव जीवन को एक देवत्व की साधना माना है। उनका मानना था कि—
“जीना तभी सार्थक है, जब वह दूसरों के लिए हो।”
इसी विचारधारा से प्रेरित होकर, गायत्री परिवार ने अंगदान को "मरणोपरांत भी परोपकार" का माध्यम बनाया। यह अभियान न केवल चिकित्सा की दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक उन्नयन और युग निर्माण के उद्देश्य से प्रारंभ हुआ।
अभियान के उद्देश्य
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समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाना
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धार्मिक भ्रांतियों को तोड़ना और अंगदान को धर्मसम्मत सिद्ध करना
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युवाओं में सेवा और दान की भावना जाग्रत करना
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नेत्रदान, देहदान, और अंगदान के लिए प्रेरित करना
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सामूहिक संकल्प कार्यक्रमों द्वारा जनभागीदारी बढ़ाना
कार्यप्रणाली और गतिविधियाँ
गायत्री परिवार का यह अभियान व्यापक स्तर पर योजनाबद्ध ढंग से संचालित किया जा रहा है:
1. संकल्प सभाएँ और युग चेतना केंद्र
गायत्री शक्तिपीठों और प्रज्ञा संस्थानों में नियमित रूप से अंगदान संकल्प सभाएँ होती हैं, जहाँ लोग सामूहिक रूप से नेत्र, किडनी, लिवर, या सम्पूर्ण देहदान के लिए संकल्प लेते हैं।
2. साहित्य और पत्रक वितरण
"युग निर्माण योजना", "देव संस्कृति संवाद", और अन्य लघु पुस्तिकाओं में अंगदान पर सटीक, वैज्ञानिक और धार्मिक जानकारी दी गई है, जो जनजागरण का कार्य करती हैं।
3. युवाओं में विशेष पहल
प्रज्ञा युवा मंडलों और देव युवा संगठनों के माध्यम से कॉलेज, विश्वविद्यालयों, और गांवों में जागरूकता रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक, चर्चा समूह, और संकल्प शिविर लगाए जाते हैं।
4. धार्मिक और सांस्कृतिक समर्थन
अभियान में शास्त्रों के उदाहरण, जैसे दधीचि ऋषि, राजा शिबि, और स्वयं भगवान बुद्ध के उपदेशों को आधार बनाकर यह बताया जाता है कि अंगदान धर्मविरुद्ध नहीं, बल्कि पुण्यकर्म है।
5. ऑनलाइन पहल
गायत्री परिवार की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो संदेश, प्रेरक कथाएँ और संकल्प लिंक प्रसारित किए जाते हैं।
परिणाम और प्रभाव
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हजारों लोगों ने अंगदान की औपचारिक शपथ ली है।
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नेत्रदान और देहदान के लिए स्थानीय मेडिकल संस्थानों से समन्वय स्थापित हुआ है।
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धार्मिक भ्रांतियाँ टूटीं, और समाज में सकारात्मक सोच का निर्माण हुआ।
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अंगदान को एक सामाजिक आंदोलन का रूप मिला है।
विशेष कथन
डॉ. चिन्मय पण्ड्या, (AWGP के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक और DSVV के प्रो-वाइस चांसलर) कहते हैं:
"अंगदान केवल किसी की मृत्यु के बाद जीवन देना नहीं है, यह उस आत्मा को ऊर्ध्वगामी बनाने का मार्ग है, जो सेवा में रत रही।"
चुनौतियाँ
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धार्मिक और सांस्कृतिक मिथक
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जागरूकता की कमी
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अंगदान के लिए औपचारिक प्रक्रिया की कठिनाइयाँ
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चिकित्सा संस्थानों से समन्वय में बाधाएँ
AWGP इन सभी चुनौतियों का समाधान सेवा, संयम और सद्भावना से निकाल रहा है।
गायत्री परिवार का अंगदान जागृति अभियान केवल अंगदान के लिए प्रेरित नहीं करता, बल्कि समाज को सहृदयता, सेवा और सच्चे धार्मिक जीवन की ओर अग्रसर करता है। यह अभियान बताता है कि
"मृत्यु के बाद भी जीवन दिया जा सकता है — अगर संकल्प हो सेवा का।"
इस अभियान को आगे बढ़ाना हम सबकी संयुक्त जिम्मेदारी है। आइए, हम भी गायत्री परिवार के इस युग निर्माण मिशन से जुड़ें और जीवन को परोपकार से अमर बनाएं।

