Thursday 24, July 2025
कृष्ण पक्ष अमावस्या, श्रवण 2025
पंचांग 24/07/2025 • July 24, 2025
श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), आषाढ़ | अमावस्या तिथि 12:40 AM तक उपरांत प्रतिपदा | नक्षत्र पुनर्वसु 04:43 PM तक उपरांत पुष्य | हर्षण योग 09:50 AM तक, उसके बाद वज्र योग | करण चतुष्पद 01:31 PM तक, बाद नाग 12:41 AM तक, बाद किस्तुघन |
जुलाई 24 गुरुवार को राहु 02:05 PM से 03:47 PM तक है | 10:59 AM तक चन्द्रमा मिथुन उपरांत कर्क राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 5:36 AM सूर्यास्त 7:11 PM चन्द्रोदय 4:35 AM चन्द्रास्त 7:14 PM अयन दक्षिणायन द्रिक ऋतुवर्षा
- विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
- शक सम्वत - 1947, विश्वावसु
- पूर्णिमांत - श्रावण
- अमांत - आषाढ़
तिथि
- कृष्ण पक्ष अमावस्या
- Jul 24 02:29 AM – Jul 25 12:40 AM
- शुक्ल पक्ष प्रतिपदा
- Jul 25 12:41 AM – Jul 25 11:23 PM
नक्षत्र
- पुनर्वसु - Jul 23 05:54 PM – Jul 24 04:43 PM
- पुष्य - Jul 24 04:43 PM – Jul 25 04:00 PM

अमृतवाणी:- सच्चा साधक कौन हैं ? | Saccha Sadhak Koun Hai पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

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गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन









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अमृतवाणी: विज्ञानमय कोष किसे कहते है पं श्रीराम शर्मा आचार्य
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
किसे कहते हैं विज्ञानमय कोष विज्ञानमय किसे कहते हैं बस बेटे हृदय में ध्यान कर बैठे बैठे ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे हो रही है ऐसी ऐसी हो रही है ऐसी ऐसी हो रही है अरे महाराज जी फिर इसे हो जाएगा नहीं बेटे इससे नहीं होगा क्या हो जाएगा अपने जीवन में हृदय चक्र जिसको हम जागृत करने के लिए आपसे कहते हैं आप अपनी सहृदयता को जगाइए सहृदयता को जगाइए सहृदयता को जगाइए सहृदयता को जगा लेंगे तो लोग हमको ले ठग जाएंगे और हमसे नाजायज फायदा उठा लेंगे हां बेटे यह भी संभव है यह जोखिम है यह जोखिम है लेकिन आखिर में अगर समझदारी से कम लेगा तो लोग फायदा तुझसे नहीं उठा सकेंगे जो आदमी जिसके पास है वही फायदा उठाएंगे चल एक बार को यह भी मैं मान लूं कि तुझसे कोई अनुचित फायदा उठा ले जाएगा तो भी तू नफे में है साईं आप ठगाइए और न ठगया कोय आप ठगया सुख ऊपजे और ठगया दुख होय गलती से चलिए बेवकूफी से ही मान लीजिए आप ठग भी जाएं ठग भी जाएं और आप घाटे में भी रहे तो भी मैं यह कहता हूं कि आप अपनी शालीनता की वजह से सज्जनता की वजह से जो शालीनता की प्रतिक्रिया जो सज्जनता की प्रतिक्रिया आपके ऊपर होगी उससे आप निहाल होते हुए चलेंगे और जो आपसे अनुचित लाभ उठा लेंगे अरे वह मरे और वह नष्ट हो जाएगा और वह हजम कर नहीं सकेगा और समाप्त हो जाएगा बेटे आ आपकी सज्जनता आपके लिए फिर भी बनी रहेगी इसका मतलब यह नहीं है कि यह कहने जा रहा हूं की दुष्टों को और दुराचारियों को और ठगो को और बेईमानों को आपको मदद करनी चाहिए और उनकी भी हिमायत करनी चाहिए |
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड-ज्योति से
मन का वश में करने के अनेकानेक लाभ हैं। वह शक्तियों और विभूतियों का पुँज है। जिस काम में भी लगता है उसे जादुई ढंग से पूरा करके रहता है। कलाकार, वैज्ञानिक, सिद्धपुरुष, महामानव, सफल सम्पन्न सभी को वे लाभ मन की एकाग्रता, तन्मयता के आधार पर मिले हुए होते हैं। इस तथ्य को जानने वाले इस कल्पवृक्ष को दूर रखे रहना नहीं चाहते। इस दुधारू गाय को, तुर्की घोड़े को पालने का जी सभी का होता है। पर वह हाथ आये तब न?
जंगली वन्य पशु अनाड़ियों की तरह भटकते हैं पर जब वे पालतू बन जाते हैं तो मालिक की इच्छानुसार अपनी गतिविधियों को बदल देते हैं। मन के सम्बन्ध में भी यही बात कही जा सकती है। उसकी रंगीली उड़ाने वासना, तृष्णा की जन्म जन्मान्तरों से अभ्यस्त रही हैं इसलिए इस जन्म में भी वह पुराना, पहचाना मार्ग ही जाना-पहचाना समझ-बूझा लगता है। इसलिए स्वेच्छाचार के लिए वह आतुर फिरता है किन्तु मनुष्य पर अनेक बंधन हैं। पशुओं की तरह वह कुछ भी कर गुजरने के लिए स्वतंत्र नहीं है।
मर्यादाएँ, वर्जनाएँ और जिम्मेदारियाँ एक सीमा तक ही सीमित रहने के लिए उसे विवश करती हैं इसलिए वह एक जगह काम न बनता देखकर दूसरी जगह दौड़ता है। मृगतृष्णा में भटकने वाले हिरन की तरह उसकी कुलाचें मार्ग-कुमार्ग पर भटकती रहती हैं। कल्पनाओं के अम्बार छाये रहते हैं। बन्दर जैसी उछल-कूद जारी रहती है। किसी डाली पर देर तक बैठे रहने की अपेक्षा उसे जिस-तिस का रंग-ढंग देखने और उन्हें हिलाने पर मिलने वाले चित्र-विचित्र अनुभव की तरह विभिन्नताएँ और विचित्रताएँ देखने की उमंग उठती रहती है। यही है मन की भगदड़, जिसे रोकने के लिए मूलभूत आधार बदलने की आवश्यकता पड़ती है।
क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति 1990 नवम्बर
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