कैसे मज़बूत बनें
ऐसा क्यों होता है कि कठिन परिस्थितियों में कुछ लोग बिलकुल टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं, जबकि इन्ही परिस्थितियों का कुछ लोग न सिर्फ दृढ़ता से सामना करते हैं, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में वो और भी ज्यादा निखर जाते हैं। दुनिया में ऐसा कोई भी नहीं जिसके जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियां नहीं आतीं, परंतु कुछ लोग बुरी से बुरी परिस्थिति से सफलतापूर्वक लड़कर कठिन से कठिन परिस्थिति से बाहर आ जाने की क्षमता रखते हैं। यदि आप भी अपनी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक क्षमताओं को कुछ इसी तरह से विकसित करना चाहते हैं तो आगे दिए जा रहे सुझावों पर अमल कर सकते हैं।
1: मानसिक शक्ति को बनाए रखें
हमेशा याद रखें, आपकी कर्म-प्रधान जिंदगी में होने वाली घटनाओं को आप स्वयं नियंत्रित करते हैं: जीवन में घट रही घटनाओं पर नियंत्रण की ताकत ही शक्ति है, जबकि ऐसी शक्ति के आभाव और लाचारी की स्थिति को कमजोरी कहते हैं। आप चाहे किसी भी परिस्थिति में हों, कुछ बातें ऐसी होती है जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं। हाँ, कुछ बातें अवश्य होती हैं जो आपके नियंत्रण के बाहर होती हैं। वो बातें, जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं, उनपर ध्यान देना मानसिक शक्ति के विकास की दिशा में उठा पहला कदम है। जो बातें आपको परेशान कर रही हैं, उनकी एक सूची बना लीजिये। फिर इन परेशानियों को हल करने के लिए जिन बातों की आवश्यकता है, उन्हें भी सूचीबद्ध कर लीजिये। पहले वाली सूची की सारी बातों को ह्रदय से स्वीकार करिये, क्योंकि यही सच्चाई है। फिर, अपनी सारी ऊर्जा को अपने द्वारा बनाई गयी दूसरी सूची पर केंद्रित करें।
मुश्किल परिस्थितियों से लड़ लेने की क्षमता रखने वाले लोगों पर किये गए अध्यन से स्पष्ट हुआ है कि धैर्यवान और जुझारू लोग हर परिस्थिति में सकारात्मक बने रहते हैं। हर स्थिति में उन बातों पर ध्यान देते हैं, जिन्हें वो नियंत्रित कर सकते हैं। चाहे उनकी परेशानी किसी और की दी हुई क्यों ना हो, वो उस परेशानी से बाहर आने को अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। वहीँ, वैसे लोग जो थोड़ी सी परेशानी में ही बिखर जाते है, उनके लिए पाया गया है कि वो जिम्मेदारी से भागते हैं, समस्या से निकालने वाले क़दमों को नजरअंदाज करते हैं। ऐसे लोगों को यह लगता है कि उनकी बुरी स्थिति के लिए वो खुद तो जिम्मेदार हैं नहीं, फिर वो कैसे इस पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।
.... क्रमशः जारी
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