प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्नता का राजमार्ग (भाग 4)

बुराई की शक्ति अपनी सम्पूर्ण प्रबलता के साथ टक्कर लेती है। इसमें सन्देह नहीं है। ऐसे भी व्यक्ति संसार में हैं जिनसे ‘‘कुशल क्षेम तो है’’ पूछने पर ‘‘आपको क्या गरज पड़ी’’ जैसे उत्तर मिल जाते हैं। ऐसे प्रसंगों से आये दिन भेंट होती है। इनसे टकराया जाये तो मनुष्य का सारा जीवन टकराने में ही चला जाता है। उनसे निबटा न जाय यह तो नहीं कहा जाता, पर किसी भी काम में हमारी विचार और ग्रहण शक्ति सात्विक और ऊर्ध्ववती रहनी चाहिये। शत्रु से युद्ध करते हुये भी उसके गुण, साहस और सूझ-बूझ की प्रशंसा करनी चाहिये।
यही बात भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाई। जब उसे पता चला कि इस संसार में सब विरोधी ही विरोधी हैं तो भगवान कृष्ण ने समझाया—अर्जुन! भद्रं मनः कृणुष्व वृत्रतूर्ये इस संसार संग्राम में तू भद्र मनस्कता के साथ युद्ध कर। कोई भी काम करते समय अपने मन को उच्च भावों और संस्कारों से ओत-प्रोत रखना ही सांसारिक जीवन में सफलता का मूल मन्त्र है। यहां निरन्तर टकराने वाले से जो ‘‘अच्छा है सो सब मेरा’’ ‘‘बुरे से प्रयोजन नहीं’’ की धारणा रखने वाला व्यक्ति निश्चय ही अपने जीवन को ऊंचा उठाता और मनुष्य जीवन का वीरोचित लाभ प्राप्त करता है।
हम जहां रह रहे हैं, उसे नहीं बदल सकते पर अपने आपको बदल कर हर स्थिति से आनन्द ले सकते हैं। सामान्य सतह पर खड़े होकर दीखने वाला दृश्य कम अच्छा लगता है। अट्टालिका पर चढ़ जाने से वही वातावरण और भी व्यापक और अच्छा लगने लगता है। स्वतः की उच्च या निम्न स्थिति के कारण ही संसार अच्छा या बुरा लगता है। जब यह अपने ही हाथ की बात है तो संसार को क्यों बुरा देखें, क्यों बुराइयों का चिन्तन करें। हम भलाई की शक्ति में निमग्न रहकर उच्च स्थिति प्राप्त कर सकते हैं तो ऐसी सुन्दर जीवन व्यवस्था को छोड़ कर अपने आपको दुःखी और दलित क्यों बनावें?
.... क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति- फरवरी 1971 पृष्ठ 33
Recent Post

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 35)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 34)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:—
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 32)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 31)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:—
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 30)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:Read More
.gif)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 29)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:—
View count
Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

अध्यात्मवाद
वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

आत्मबल
महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।
हरिद्वार 12 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

जहर की पुड़िया रखी रह गई
मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
Read More

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व मे...