मूर्खता के लक्षण
मूर्खता के लक्षण छोड़ेंगे तब सद्गुण धारण कर सकेंगे. आगे ऐसे कई मुर्ख के लक्षण बताए गए थे, और भी कुछ लक्षण यहाँ बताए है, श्री समर्थ रामदास स्वामी कहते है कि “इस लक्षणों को जो एकाग्र होकर सुनेगा-पढ़ेगा उसमें से मूर्खता के अवगुण दूर होंगे तथा उसको चातुर्य के लक्षण प्राप्त होगे.”
१] संसार दुःख के लिए जो ईश्वर को गाली देता है तथा जो अपने मित्रों के दोष-त्रुटी बताता रहेता है वह मुर्ख है।
२] जो एकत्रित समूह [सभा] का रसभंग हो ऐसा वाणी-वर्तन करता है तथा क्षण में अच्छा क्षण में बुरा बनता है, वह मुर्ख है।
३] जो अपने पुराने सेवको की छुट्टी कर देता है, जिसकी सभा निर्नायक होती है, वह मुर्ख है।
४] जो अनीति से रुपये एकत्र करता है, धर्म नीति-न्याय को त्याग देता है तथा अपने सहयोगियों को दुःख हो ऐसे बर्तन करता है, वह मुर्ख है।
५] घर में सुन्दर स्त्री हो तो भी जो हमेशा परस्त्री के घर जाता है, सब का उच्छिष्ट स्वीकारता है, वह मुर्ख है।
६] दुसरे के धन की अभिलाषा करने वाला तथा हरामी लोगों से लेनदेन का व्यवहार करने वाला मुर्ख है।
७] आये हुए अतिथि को जो सताता है, कुग्राम में जो रहेता है तथा जो हमेशा चिन्ता करता रहेता है वह मुर्ख है।
८] दो लोगों के संभाषण में जो दखल करता है वह मुर्ख है।
९] उल्टी करके पानी बिगाड़ता है, पैर से पैर खंजोता है, हीन कुल के लोगों की जो सेवा करता है वह मुर्ख है।
१०] परस्त्री से जघड़ता है, मूक प्राणी को मारता रहेता है तथा मूर्खो के साथ रहेता है वह मुर्ख है।
११] जो झगडा केवल देखता है, छुड़ाने की कोशिश नहीं करता वह मुर्ख है।
१२] अमीर होते जो पुराने सम्बन्ध-पहचान भूल जाता है तथा देव-ब्राह्मण पर भी सत्ता चलाता है वह मुर्ख है।
13] अपना काम हो तब तक नम्र रहता है लेकिन परोपकार मात्र ना करता हो वह मुर्ख है।
१४] जो ना तो पढ़ता है, ना दूसरे को पढ़ने देता है, पुस्तक बंद करके रखता है वह मुर्ख है।
१५] ऐसे मुर्ख लक्षण संकेत रूप में थोड़े से बताए है, जो बुद्धिमान एकाग्र होकर समझ के उसे मानता है उसे चातुर्य समज में आता है।
Recent Post
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्या— आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य:
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर्या आत्मशक्ति के उद्भव हेतु अनिवार्य
Read More
कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न हुई भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं...
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 121): चौथा और अंतिम निर्देशन
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 120): चौथा और अंतिम निर्देशन
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 119): चौथा और अंतिम निर्देशन
Read More
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 118): चौथा और अंतिम निर्देशन
Read More
