स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा

गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है। गुरु दीक्षा के उपरांत शिष्य गुरु की आध्यात्मिक सत्ता का उत्तराधिकारी बन जाता है। गुरु दीक्षा एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें गुरु और शिष्य के मध्य ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। गुरु दीक्षा के उपरान्त गुरु और शिष्य दोनों के उत्तरदायित्व बढ़ते हैं। गुरु का उत्तरदायित्व समस्त बाधाओं को दूर करते हुए शिष्य को आध्यात्मिकता की तरफ अग्रसर करना होता है, वहीं शिष्य का उत्तरदायित्व हर परिस्थिति में गुरु के द्वारा बताए गए नियमों का पालन करना होता है। आज मुंबई अश्वमेध के तीसरे दिन 23 फरवरी 2024 को स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा प्रदान किया गया। दीक्षा लेने वाले शिष्यों में अप्रवासी भारतीय एवं अनेक देशों के विदेशी मूल के भी बहुत ही शिष्य थे।
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