अंगदान एक अत्यंत मानवीय और पुण्य कार्य है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने अंगों और ऊतकों (Tissues) को जरूरतमंद रोगियों के जीवन को बचाने या सुधारने के लिए दान करता है। यह कार्य जीवन के दौरान भी किया जा सकता है (कुछ सीमित अंगों के लिए) और मृत्यु के बाद भी। अंगदान, विज्ञान, चिकित्सा और करुणा का संगम है जो न केवल किसी की मृत्यु के बाद जीवन की अमरता को दर्शाता है, बल्कि कई परिवारों को नया जीवन भी देता है।
अंगदान उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर से स्वस्थ और कार्यशील अंगों को निकालकर ऐसे किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिसके अंग खराब हो चुके हैं और उसे जीवित रहने के लिए नए अंग की आवश्यकता है।
अंगदान के प्रकार:
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जीवित अंगदान (Living Organ Donation):
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कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपने कुछ अंगों का हिस्सा दान कर सकता है, जैसे:
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एक गुर्दा (Kidney) — इंसान के दो गुर्दे होते हैं, और एक गुर्दे के साथ भी स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
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यकृत (Liver) का हिस्सा — यकृत पुनः विकसित हो सकता है।
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मृत्यु के बाद अंगदान (Deceased Organ Donation):
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ब्रेन डेड (Brain Dead) या कार्डियक डेड (हृदय बंद होने के बाद) व्यक्ति के अंग दान किए जा सकते हैं।
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जैसे: हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे, अग्न्याशय, आंखें (कॉर्निया), त्वचा आदि।
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