कठिन प्रसंग आने पर
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(लेखिका- श्रीमती सावित्री देवी तिवारी, जयपुर)
तुम्हारे जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब चित्त बड़ा व्याकुल हो जाता है, किसी काम में मन नहीं लगता, कुछ समझ में नहीं आता क्या करें, और क्या न करें। मन बड़ा खिन्न हो जाता है, चारों और दुःख और अरुचि ही छाई दीखती है संसार बड़ा कड़ुवा लगता है। इसका कारण क्या है? इसमें दोषी कौन है?
इसका कारण हमारा अपना दृष्टिकोण है। जब तुम उल्टी दृष्टि से दुनिया को देखते हो तो इसकी हर एक वस्तु उल्टी मालूम देती है। यदि अंधेरी कोठरी में अपने को बन्द करोगे तो समस्त ब्रह्माण्ड अन्धकार में भरा हुआ देखोगे। जब प्रकाश में होगे तो हर चीज चमकती हुई दिखाई देगी।
अपने को ईश्वर के हाथ का खिलौना मानो। खुद ईश्वर मत बनो। संसार से यह आशा मत करो कि उसकी सब वस्तुएँ तुम्हारी इच्छानुकूल बन जायँ वरन् अपने को ऐसा बनाओ कि जैसी कुछ भी परिस्थिति आ जाय उसे धैर्यपूर्वक सह लो। संसार के सब पदार्थों को परमात्मा भाव से देखो अपने को उनका सेवक समझो, स्वामी मत बनो। अपना कर्तव्य पालन करो और प्रसन्नता से मुस्कुराओ।
संसार में यदि अप्रिय घटनाएं होती हैं तो उनसे दूर मत भागो और न घबराओ। हृदय में धैर्य रखो और साहस के साथ उनका सामना करो। बाहरी जगत में फेरफार करने से पूर्व अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करो। जब कोई कठिन अवसर आवे तो आंखें बन्द करके गहरे उतरो और अन्तरात्मा के निकट पहुँचो। बाहरी तूफान को बिल्कुल भुला दो। पूर्ण शाँति का अनुभव करो। तुम्हें इस कठिन अवसर पर क्या करना चाहिए? इसका उत्तर तुम्हारी अंतरात्मा चुपके-चुपके देख रही होगी उसे ध्यानपूर्वक सुनो और उसका अनुसरण करो।

