
सैनिकों की आवश्यकता है।
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(श्री स्वामी शिवानन्द जी)
सुन्दर स्वास्थ्य आपके लिए सबसे बड़ी सम्पत्ति है। स्वास्थ्य ही धन है। निस्संदेह स्वास्थ्य प्राप्त करने योग्य वस्तु है। यह सबके लिए समान रूप से कल्याणकारी है। अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो आप जीवन की किसी भी दिशा में अग्रसर नहीं हो सकते।
जिसे शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक बल प्राप्त है वह एक आदर्श व्यक्ति है। शारीरिक बल से नैतिक बल उत्तम है। आध्यात्मिक बल संसार में सर्वश्रेष्ठ है। गाँधी जी को नैतिक बल प्राप्त है। उन्होंने इस बल को अहिंसा, सत्य और ब्रह्मचर्य से प्राप्त किया है। गाँधी जी में शारीरिक बल नहीं है तो भी उनमें मानसिक और नैतिक बल मौजूद है। दुबले पतले और कमजोर शरीर के अन्दर भी शक्तिशाली आत्मा का वास हो सकता है।
संसार को सुन्दर स्वास्थ्य वाले माता-पिताओं और बालक-बालिकाओं की आवश्यकता है, लेकिन इन दिनों हम भारत में क्या देखते हैं? वह भारत जो किसी समय सुविख्यात वीरों का देश था, जहाँ पर अदम्य साहस और अप्रतिम वीरता वाले अगणित योद्धाओं और सरदारों का वास था, वही भारत आज क्लीव और निःशक्त लोगों से भर उठा है। बच्चे, बच्चे पैदा करते हैं। स्वास्थ्य के नियमों की उपेक्षा की जाती है। आज राष्ट्र दुख भोग रहा है और मर रहा है।
इस समय संसार को सच्चे वीरों की-नैतिक, आध्यात्मिक सैनिकों की-आवश्यकता है जिनमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये पाँचों गुण मौजूद हों, जिन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया हो। केवल ऐसे ही सच्चे सैनिक संसार को वास्तविक स्वतंत्रता प्राप्त करा सकते हैं।