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Magazine - Year 1947 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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अपने परिवार को सुदृढ़ बनाओ।

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छोटे-छोटे कण मिलकर एक विशाल काय वस्तु बनती है। यह कण पृथक-पृथक रह कर उतने शक्ति सम्पन्न एवं कार्यशील न हो पाते, जितना कि उनके एक स्थान पर एकत्रित होने से संभव है। पानी की एक बूँद का पृथक सत्ता के रूप में कुछ महत्व नहीं, पर जब वह बूँद किसी बड़े संगठन का अंग बन जाती है तो उसकी शक्ति उतनी ही बढ़ जाती है जितना कि बड़ा वह संगठन है।

हम सब लोग लोक सेवा, परमार्थ एवं धर्म विस्तार के लिए अपने साधन, अवसर, तथा रुचि के अनुसार कार्य करते ही हैं। इनका सुफल भी हमें प्राप्त होता ही है, पर यह सामूहिक रूप से इस दिशा में कदम उठाया जाय तो बहुत बड़ा कार्य हो सकता है। यह माना हुआ सिद्धान्त है कि निर्जीव वस्तुएं एक और एक मिलकर दो होती है पर सजीव आत्माएं एक और एक मिलकर (11) ग्यारह हो जाती हैं। एक विचार एक आदर्श, एक हृदय के थोड़े से व्यक्ति भी यदि कभी मिल जाते हैं तो उनकी सम्मिलित शक्ति बहुत ही प्रभावशाली हो जाती है। अखण्ड ज्योति परिवार के प्रायः सभी सदस्य एक आदर्श और एक विचार के हैं। हम सभी व्यक्ति गत और सामूहिक जीवन में सत्य, प्रेम, तथा न्याय की स्थापना तथा वृद्धि चाहते हैं। विविध कार्यों द्वारा इस एक ही लक्ष की ओर अग्रसर होने का हम सब प्रयास करते हैं। विचार और आदर्शों के उच्च एवं सतोगुणी होने के कारण हम सबके हृदय भी एक है। इस सात्विक एकता के कारण हमारा परिवार एक सतोगुणी शक्तियों का पुँज-प्रेरणा केन्द्र बनता जा रहा है। इस परिवार की जितनी ही वृद्धि होती हैं। उतना ही हमारी शक्ति बढ़ती है और लक्ष की ओर प्रगति होती है। पानी की बूँदों का छोटा समूह गड्ढा, उससे बड़ा तालाब, उससे बड़ा सरोवर, उससे बड़ा समुद्र कहलाता है, इनकी उत्तरोत्तर शक्ति अधिक होती जाती है। आज अखण्ड ज्योति परिवार जितना बड़ा है -यह भविष्य में उससे बड़ा हो जाय तो निश्चित रूप से शक्ति उसी अनुपात से बढ़ेगी और वर्तमान काल में तामसी तत्वों की जो लोकव्यापी बाढ़ आई हुई है उस पर नियंत्रण करना सुगम होगा। असुरता के आक्रमण से आज जो हृदय विदारक दृश्य उपस्थित हुए हैं तथा भविष्य में होने की संभावना है, उनको रोकने का एक ही तरीका है कि हैवानियत और शैतानियत पर काबू पाने वाली इंसानियत को मजबूत बनावें, आगे बढ़ावें। यह कार्य सतोगुणी शक्तियों को बढ़ाने से हो सकता है। इसके अनेक तरीके हैं उनमें से एक अखण्ड ज्योति परिवार का सुदृढ़ एवं सुविस्तृत बनाना भी है।

अखण्ड ज्योति परिवार के सदस्य यदि सच्चे हृदय से इसे करें तो कोई कारण नहीं कि दस-दस, बीस-बीस नये पाठक न बना सकें। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं कि साधारण श्रेणी के लोगों ने थोड़े प्रयत्न से पचास-पचास सौ-सौ नये पाठक बना दिये। सत् मार्ग की प्रेरणा प्रदान करने वाले, सम कोटि के पत्रों में सबसे सस्ती अखण्ड ज्योति को एक वर्ष तक प्राप्त करने के लिए ढाई रुपया खर्च कर देने को अपने दस पाँच मित्र रजामंद कर लेना जरा भी कठिन नहीं है। कठिन केवल एक ही वस्तु है, वह है अपने अन्दर धर्म कार्य के लिए थोड़ा उत्साह होना। जिसके मन में थोड़ा भी उत्साह इस दिशा में होगा यह दस-पाँच नये सदस्य बड़ी ही आसानी से बढ़ा सकता है। ऐसी हमारी सुनिश्चित मान्यता है। हमारे परिवार के सदस्य अनेक शुभ कर्मों के लिए प्रयत्न करते हैं, समय देते हैं, दूसरों को उत्साहित करते हैं। हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि अखण्ड ज्योति परिवार की वृद्धि करना किसी उत्तम शुभ कर्म से कम नहीं हैं। संसार में सत गुण को बढ़ाना, लोगों को सतोगुणी बनाना, अनेकों शुभ कर्मों के वृक्ष लगाना है। इसका वृक्षादान का पुण्य फल अक्षय है। स्वजनों को सन्मार्ग के लिए प्रेरणा देना- उनके साथ सबसे बड़ा उपकार करना है। भौतिक सहायता से हम किसी को उतना सुख नहीं पहुँचा सकते जितना कि उसकी आत्मोन्नति के सहायक बनकर उसके लिए अनन्त सुखों का द्वार खोलते हैं। अपने मित्रों की सच्ची सेवा की दृष्टि से उन्हें अखण्ड ज्योति का पाठक बनाना किसी भी बड़े से बड़े महत्व पूर्ण सहयोग या उपकार से कम नहीं हैं। परमार्थ भावना को चरितार्थ करने का भी प्रयत्न होना चाहिए। स्वयं जिसे लाभदायक समझते हैं उसे दूसरों के सामने भी प्रस्तुत क्यों न करें। अखण्ड ज्योति की सदस्यता यदि आत्मोन्नति में सहायक होती हैं तो दूसरी को भी उसके लिए प्रेरणा देकर उसके साथ में सच्चा उपकार क्यों न किया जाय? पाठको! अखण्ड ज्योति परिवार के सदस्यों! अपने परिवार को पुष्ट करो, इसे बढ़ाओं, और बलवान बनाओ। सात्विकता का प्रकाश अपने आस-पास अधिक क्षेत्र में फैलाने के लिए हाथ में मशाल लेकर आगे बढ़ो। अखण्ड ज्योति अपने जीवन के दस वर्ष व्यतीत करके ग्यारहवें में प्रवेश कर रही है। इस शुभ अवसर पर उसकी शक्ति को दस गुनी बनाने का प्रयत्न करो, दस मित्रों को इस परिवार में प्रविष्ट कराने को प्रयत्न करो। विश्वास रखो, सत्य से परिपूर्ण प्रयत्न भगवान सत्य नारायण की कृपा से अवश्य पूरे होते हैं। अपने अन्तःकरण के भीतर भरे हुए महान सत्य को प्रोत्साहित करो-इस दिशा में प्रयत्न आरंभ करो- आपकी, आपके परिवार की, शक्ति बात की बाद में दस गुनी हो जायगी। यह संवर्धन हम सबके लिए लोक हित के लिए-कितना कल्याणकारी होगा- इसके प्रत्यक्ष के प्रमाण को आवश्यकता की नीति के अनुसार थोड़े ही दिनों में आँखों के आगे प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकेगा।

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