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Magazine - Year 1949 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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“अमृत फल” घर में ही होता है।

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(डॉ. विश्वनाथ प्रमद श्रीवास्तव, बस्ती)

किसी मनुष्य को पता चला कि दुनिया में एक अमृतफल है, जिसे मिल जाता है वह तन्दुरुस्त और खुश हो जाता है, ज्यादा उम्र पाता है, अतः उसे अमृतफल पाने का शौक हुआ। आदमी सीधा साधा परन्तु धुन का पक्का था, लोगों से पूछता, क्यों भाई ऐसा फल कहाँ होता होगा अगर मिले तो मैं भी उसे खाऊँ और बहुत दिन जीऊँ। कोई कुछ कहता और कोई कुछ कहता, जितने मुँह उतनी बात, किसी ने साफ नहीं बताया।

लगन बुरी होती है, उसे अमृतफल की लगन लग गई और घर से उसी की तलाश में निकल पड़ा, कोई राजा के बाग में देखने को कहता तो वह राजा महाराजों के बगीचों को ढूंढ़ता फिरता। कभी जंगल पहाड़ खोजता। कोई सुनकर पागल कहता, कोई हंस पड़ता, कोई सोचने लगता कि भगवान की सृष्टि में सब कुछ मुमकिन है। लोगों के ऐसे उत्तरों से वह परेशान हो जाता परन्तु हिम्मत न हारी।

खोजने वाला ही पाता है। खोजते-2 आखिर उसे एक बुजुर्ग बुड्ढा आदमी मिला। “गर्ज वाला बावला” उससे पूँछ बैठा- बाबा आपको मालूम है कि अमृतफल किसके यहाँ है? बूढ़े की कमर झुकी थी बाल बर्फ की तरह सफेद थे, बदन में झुर्रियां पड़ गई थीं। उसने हंस कर कहा कि अमृतफल तो मेरे ही खानदान में है, मुझे तो नहीं मिला परन्तु मेरा बड़ा भाई इसका मालिक है। यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ और पता पूछकर बड़े भाई के घर पहुँचा। वह भी बूढ़ा था और आँखें धंसी व झुर्रियाँ पड़ी थीं परन्तु छोटे भाई से कुछ अच्छा था। बाल अधपके थे सवाल करने पर वह भी मुस्कराया और कहा कि हाँ अमृतफल मेरे ही खानदान मैं है जरूर लेकिन मैं बदनसीब हूँ मेरे हाथ नहीं लगा यह सिर्फ मेरे बड़े भाई को मिला है।

उसे चैन कहाँ? खोजता-खोजता उसके बड़े भाई के पास पहुँचा। वह दोनों से तगड़ा लेकिन आँखों पर ऐनक लगा रखी थी उससे सवाल करने पर बूढ़े ने ऐनक से देखकर वही उत्तर दिया कि मेरा बड़ा भाई अमृतफल का मालिक है। उसकी हैरत बढ़ती ही जाती थी कि सभी अपने बड़े भाई के पास बताते हैं परन्तु उम्र में सभी एक से एक कम मालूम होते जाते हैं। खैर, वह फौरन चल पड़ा और कुछ देर बाद पते पर जा पहुँचा। वहाँ एक मनुष्य मिला जो बिल्कुल नौजवान था। सर के बाल भंवरे की तरह काले थे। रोशन आँखें, सर से पाँव तक सुडौल, कहीं झुर्री का नाम नहीं, वह दरवाजे के अन्दर तख्त पर बैठा हुक्का पी रहा था, इसे मेहमान समझ कर उठा। यथोचित स्वागत सत्कार किया और बातें होने लगीं।

मुसाफिर ने पूछा क्या आपके पास अमृत फल है? बड़े भाई ने हंसते हुए जवाब दिया कि है तो जरूर। मुसाफिर ने कहा- मैं इसी को पाने की इच्छा से हजारों मील से ठोकर खाता तलाश करता यहाँ पहुँचा हूँ, बड़े भाई ने उत्तर दिया कि यह किसी-किसी बड़े अच्छे भाग्य वाले को ही मिलता है सबको नहीं मिलता। परन्तु आप उसे देख सकते हैं, दिखाने में कोई हर्ज नहीं। मुसाफिर ने कहा कि अच्छा कम से कम उसे देख तो लो। बड़े भाई ने कहा इतनी जल्दी क्या है इतने लम्बे सफर से आप आ रहे हैं, जरा आराम करें थकावट दूर होते ही आप बखुशी देखें।

मुसाफिर उसके घर मेहमान हो गया, बड़े भाई ने आवाज दी कि मुन्नू की माँ जरा इधर तो आना, एक खूबसूरत जवान स्त्री इस आवाज के साथ ही हाजिर हुई और हाथ बाँध कर हुक्म के इन्तजार में अदब के साथ खड़ी हो गई। बड़े भाई ने कहा मुन्नू की माँ आज खुशकिस्मती से तुम्हारे घर मेहमान आया है स्नान के लिए गरम पानी दो और अच्छे से अच्छा खाना बनाओ। स्त्री ने जबान तक नहीं खोली और घर में चली गई, मिनटों में ही सब काम खत्म कर लिया, नहाने के कपड़े वगैरह का स्त्री ने खुद ही इन्तजाम कर दिया। बड़े भाई के साथ मुसाफिर चौके में खाने बैठा तो निहायत साफ सुथरा खाना। सुन्दर स्वादिष्ट भोजन ठीक से थाल में सजा कर सामने रख दिया। मेहमान बहुत खुश हुआ और बार-बार मेहमाननवाजी का शुक्रिया अदा करता रहा, बड़ा भाई मुस्कराता ही रहा। मुन्नी की माँ ने हाथ धुलाए और दोनों बैठक में चले गए। इसके बाद मुसाफिर ने अलग पलंग पर आराम किया। इसी प्रकार कई हफ्ते खत्म हो गए मुसाफिर रोज सोचता कि अभी तक बड़े भाई ने अमृत फल नहीं दिखाया। वह जाने की भी सोचता परन्तु इन लोगों की खातिरदारी की खुशी को देखकर जाने के वास्ते कहने की हिम्मत ही न पड़ती।

एक दिन मुसाफिर ने कहा आपने मुझ पर बड़ी मेहरबानी की, इस तरह कोई अपने घर इतने दिन नहीं रहने देता परन्तु आप लोग खातिरदारी से नहीं उकताते। अब मुझे जाना बहुत आवश्यक है और आपने अमृतफल भी अभी तक नहीं दिखाया, जिसकी ख्वाहिश मुझे यहाँ तक खींच लाई है।

बड़े भाई ने कहा यह आप क्या कह रहे हैं। आप रोज अमृतफल देखते हैं और फिर भी इन्कार करते हैं, मैंने तो आपको खूब-खूब दिखाया, दिखाने में कोई कसर नहीं रखी, आपने न पहचाना तो मैं क्या करूं?

मुसाफिर को यह सुनकर बड़ी हैरत हुई और कहा कि भाई न मैंने देखा और न आपने दिखाया, आखिर आप इस तरह क्यों कहते हैं?

बड़ा भाई जोर से कह कहा लगा कर हंसा और मुन्नू की माँ को आवाज दी जरा इधर तो आना, मुसाफिर को अमृतफल दिखाना है।

आवाज के साथ ही स्त्री आ गई। बड़े भाई ने कहा इन्हें अमृतफल दिखाओगी या मैं ही दिखाऊँ, स्त्री शरमा गई और आँचल से मुँह ढांप लिया।

बड़े भाई ने कहा- ‘मुसाफिर यह मुन्नू की माँ ही अमृतफल है जो मेरे हाथ लगी है। यह कई लड़कों की माँ है। 95 वर्ष की हैं मेरी उम्र 83 वर्ष है परन्तु हम दोनों अब तक जवान हैं जब से ब्याह कर आई है इसने एक बात भी ऐसी नहीं की जिससे मेरे दिल को ठेस लगे। तमाम जिन्दगी मुझ से कभी अनबन नहीं हुई ‘यह मेरा अमृतफल हैं’। यह फल जब से मेरे हाथ लगा निहाल हो गया, इसने मेरा चाल-चलन सुधारा, लड़कों की राह पर लगाया, घर को बैकुँठ बना दिया। किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई इसकी बरकत से घर में किसी बात की कमी नहीं, मेरे घर को स्वर्ग का नमूना बना दिया। मैं दरख्त हूँ यह बेल हैं जो मुझसे लिपटी रहती है और यह औलाद खिले हुए फूल हैं। क्यों अब आपने देख लिया? घर में नौकर चाकर सब हैं परंतु मेरी खिदमत यह अकेली आप ही करती है। किसी नौकर को मेरी खिदमत का हिस्सेदार नहीं बनाती, और मैं भी हमेशा इसकी मुहब्बत और खिदमत का दम भरता हूँ। तुमने अब भी अमृतफल देखा या नहीं, यही सच्चा अमृतफल है।

मुसाफिर की आँखें खुल गई और इत्मीनान जाहिर किया कि-

औरत अगर हो अच्छी तो घर स्वर्ग धाम है। औरत बुरी तो नर्क का फिर घर मुकाम है॥

औरत अगर है अच्छी तो है मर्द बादशाह।

हासिल है उसको दौलतोजार और मालोजाह॥

औरत अगर है नेक तो सब कुनबा नेक है।

औरत से बढ़ के कीमती कोई नहीं है शेष॥

मुसाफिर ने कहा यह सब तो मैंने खूब समझ लिया लेकिन यह क्या वजह है कि आप सबसे बड़े भाई और यह उम्र, आप छोटे भाई जितने ही छोटे हैं उतने ही ज्यादा उम्र के मालूम पड़ते हैं। भाई ने कहा-अच्छा चलिए यह राज भी जाहिर हो जावेगा। बड़ा भाई मुसाफिर को लेकर छोटे भाई के घर आया और अपने भाई से कहा यह बहुत दूर से आए हैं। मेरे घर कई हफ्ते रहे हैं कुछ दिन तुम भी इन्हें ठहरालो और खातिर कर दो। वह अपने घर में गया स्त्री से कहा कि बड़े भाई के मेहमान भाई के साथ आयें हैं, उन्हें अच्छा-अच्छा खाना दो, दावत करनी है। औरत ने नाराजगी जाहिर की और नाक भौं चढ़ाकर किसी तरह बनाकर पटक कर चलती हुई। दोनों खाना खाकर उससे छोटे भाई के घर गए और वहीं बात पेश की उसकी स्त्री तेज मिज़ाज थी, बोली- “बढ़ा भाई वाला बना है मुसाफिर को घर लाया है, घर में लकड़ी तक नहीं, तुझे चूल्हें में झोंक दूँ या तेरे बड़े भाई को या मुसाफिर को।

खैर, बहुत कहने सुनने के बाद खिचड़ी पकाई और दोनों ने जब्त कर के खाई, फिर सबसे छोटे भाई के भी घर गए और वही दरख्वास्त किया, औरत हाँड़ी में चावल पका रही थी, सुनते ही आग बबूला हो गई और गुस्से में वही हाँड़ी अपने शौहर के सर पर उठा कर पटक दी। हाँडी टूट गई उसका मुँहकड़ा उसके गले में अटक गया, वह इसी तरह हाँड़ी की हंसुली पहने चावल से लथपथ चिल्लाता हुआ बाहर चला आया, और रो रोकर अपनी दर्दनाक कहानी सुनाने लगा। दोनों को उस पर तरस आया और उसकी मलहम पट्टी की और बड़ा भाई 10-5 रुपये देकर मुसाफिर को साथ वापस लाया और कहा देखिए मुझे तो अमृतफल मिला है परन्तु मेरे भाइयों को विष फल मिला है। इसी सबब से वे बूढ़े होते जा रहे हैं। मैं उनकी बराबर मदद करता हूँ लेकिन यह लोग अपनी बीवियों से तंग आ गये हैं और अपनी या अपनी बीवी की मौत का इन्तजार करते हैं- इतना कहकर मुसाफिर को विदा कर दिया। मुसाफिर खुशी-खुशी अपने घर चला आया। वह अमृतफल देखना चाहता था उसने अमृतफल देख लिया।

First 7 9 Last


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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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Type: SCAN
Language: HINDI
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