• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ‘बलमुपास्व-‘बल की उपासना करो
    • तीन तथ्य-तीन सत्य
    • प्रेम एवं परमात्मा
    • पत्थर की मूर्ति में भगवान के दर्शन
    • पाँच वजह
    • विद्या का मर्म इस तरह समझें
    • हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए
    • मरणोत्तर जीवन जो देखा सुना समझा जा सकता है।
    • Quotation
    • मन से मन का योग
    • क्षुद्रं हृदय दौर्बल्य त्यक्तोत्तिष्ठ परंतप
    • शतमन्यु का बलिदान
    • इन्द्र का वज्र था या कोई ब्रह्मास्त्र
    • असह्य भार-लम्बा परिवार, सीमित सन्तान-सदा बलवान्
    • शरीर एक बिजली घर
    • स्वर्ग से भी महान्-तप लोक
    • सुशिक्षित कहलाने का अधिकार
    • जीव जन्तुओं की मूक भाषा
    • Quotation
    • चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नहीं
    • महत्वाकांक्षा ही सर्वनाश का कारण
    • धरती माता को बाँझ न बनाया जाये?
    • क्रोध ऐसे संकट उत्पन्न करता है।
    • पंख नहीं मिले
    • सुरुचि का विकास इतना आवश्यक
    • तृतीय विश्वयुद्ध होगा तो-पर 1995 के बाद
    • आध्यात्मिक काम-विज्ञान - 2
    • Quotation
    • तेजौ वै गायत्री, ज्योतिर्वै गायत्री, गायत्र्यैव भर्ग
    • Quotation
    • निर्दोष पर दया
    • अपनों से अपनी बात - हमारी जीवन साधना के अन्तरंग पक्ष-पहलू
    • VigyapanSuchana
    • भगवान् धरा पर आते हैं।
    • भगवान् धरा पर आते हैं (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ‘बलमुपास्व-‘बल की उपासना करो
    • तीन तथ्य-तीन सत्य
    • प्रेम एवं परमात्मा
    • पत्थर की मूर्ति में भगवान के दर्शन
    • पाँच वजह
    • विद्या का मर्म इस तरह समझें
    • हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए
    • मरणोत्तर जीवन जो देखा सुना समझा जा सकता है।
    • Quotation
    • मन से मन का योग
    • क्षुद्रं हृदय दौर्बल्य त्यक्तोत्तिष्ठ परंतप
    • शतमन्यु का बलिदान
    • इन्द्र का वज्र था या कोई ब्रह्मास्त्र
    • असह्य भार-लम्बा परिवार, सीमित सन्तान-सदा बलवान्
    • शरीर एक बिजली घर
    • स्वर्ग से भी महान्-तप लोक
    • सुशिक्षित कहलाने का अधिकार
    • जीव जन्तुओं की मूक भाषा
    • Quotation
    • चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नहीं
    • महत्वाकांक्षा ही सर्वनाश का कारण
    • धरती माता को बाँझ न बनाया जाये?
    • क्रोध ऐसे संकट उत्पन्न करता है।
    • पंख नहीं मिले
    • सुरुचि का विकास इतना आवश्यक
    • तृतीय विश्वयुद्ध होगा तो-पर 1995 के बाद
    • आध्यात्मिक काम-विज्ञान - 2
    • Quotation
    • तेजौ वै गायत्री, ज्योतिर्वै गायत्री, गायत्र्यैव भर्ग
    • Quotation
    • निर्दोष पर दया
    • अपनों से अपनी बात - हमारी जीवन साधना के अन्तरंग पक्ष-पहलू
    • VigyapanSuchana
    • भगवान् धरा पर आते हैं।
    • भगवान् धरा पर आते हैं (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1971 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


मरणोत्तर जीवन जो देखा सुना समझा जा सकता है।

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 7 9 Last
वह भ्रम अब क्रमशः छटता जा रहा है जिसमें मरणोत्तर जीवन एवं पुनर्जन्म से इन्कार किया जाता था। ईसाई और मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार सृष्टि और प्रलय के मध्य मात्र एकबार जन्म होता है। दूसरे जन्म की बात प्रयत्न से न्याय हो जाने के बाद ही सम्भव होती है। सृष्टि और प्रलय के मध्य अरबों वर्ष का अन्तर होना चाहिए। इतनी अवधि के बाद जन्म होना एक प्रकार से निराशाजनक ही माना जायेगा और यही कहा जायेगा कि अवसर जिसके हाथ से गया उसे हाथ से प्रायः सदा के लिए चला गया।

दूसरा वर्ग प्रत्यक्षवादियों का है जो आत्मा का अस्तित्व ही स्वीकार नहीं करते और कहते हैं, शरीर के साथ ही जीवन का आरम्भ होता है और उसकी समाप्ति के साथ उस सत्ता का सदा सर्वदा के लिए अन्त हो जाता है। उसकी दृष्टि में जीवन ही जीव है। जीवन की समाप्ति के साथ ही जीव का अत्यन्तिक अन्त है।

इन प्रतिपादनों को पुनर्जन्म की घटनाएँ चुनौती देती हैं और पूछती हैं कि पुनर्जन्म की स्मृति से सम्बन्धित जो प्रमाणिक घटनाएँ सामने आती रहती है फिर उनका कारण क्या है?

ऐसी घटनाएँ संसार भर में घटित होती पाई गई हैं जिसमें बच्चों ने अपने पूर्व जन्मों के विवरण न केवल सुनाये हैं वरन् उन अपरिचित स्थानों पर पहुँच कर वस्तुओं एवं व्यक्तियों को पहचाना तथा घटित हुए घटनाओं का ऐसा विवरण बताया है, जिसके सम्बन्ध में कुछ सम्बद्ध लोगों के अतिरिक्त अन्यों का कुछ पता ही नहीं हो सकता था। ऐसी दशा में सिखा-पढ़ा कर कुछ कहला लेने का सन्देह भी नहीं जा सकता।

ऐसी घटनाओं में से दो घटनाएँ इस प्रकार हैं- बिहार के दरभंगा जिले के बेहरा नामक स्थान के निवासी श्री ब्रजकिशोर वर्मा एक होम्योपैथ डॉक्टर थे। उनके एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम कुमकुम रखा गया। बचपन से ही वह अपनी दादी श्रीमती गंगावती वर्मा से अत्यधिक स्नेह रखती थी।

एक दिन दादी-अम्मा बच्चों को चूड़ा परोस रही थी, तभी कुमकुम बोली-‘दादी अम्मा!” आप ही की तरह मैं भी अपने बच्चों को चूड़ा परोसा करती थी। मैं सच कह रही हूँ, दादा अम्मा मेरा घर दरभंगा में ही उर्दू बाजार में है।

घर के लोग प्रारम्भ में उसकी बातों में काफी रस लेते थे। कुमकुम उनके हर प्रश्न का ऐसा उत्तर देती थीं मानो सचमुच वह किसी सम्पन्न घर की पुरखिन हो। लेकिन कुछ ही दिनों में उसके माता-पिता उससे परेशान हो गए। वे समझ नहीं पाते थे कि इस साढ़े तीन-चार वर्ष की बच्ची को कैसे समझाया जाय।

एक दिन बेहरा में मेला लगा था। कुमकुम की माँ ने उस दिन सोने के लाकेट वाली चेन और नयी साड़ी पहनी। कुमकुम को भी नयी फ्राक पहनाई गयी। माँ के गले की चेन देखकर उसने कहा-‘मेरी चेन तुम्हारी चेन से अधिक चमकीली थी। मैं भी गहने पहनूँगी। मैं अपनी तिजोरी से पैसा निकालूँगी और बहुओं से मिलने जाऊंगी।’ इस प्रकार से हठ करते हुए वह रोने लगी। वह अक्सर अपने पूर्वजन्म के बहु-बेटों से मिलने के लिए मचलने लगती थी।

आखिर डॉ0 ब्रजकिशोर वर्मा ने दरभंगा राज के एक स्पेशल अफसर और अपने अन्तरंग मित्र पण्डित हरिश्चन्द्र मिश्र के सामने अपनी पकड़ से बारह होता प्रतीत हो रहा था।

पंडितजी ने सोचा, हो न हो यह मामला पुनर्जन्म का हो। सो कुमकुम से स्वयं पूछने पर ज्ञात हुआ कि उसके उर्दू बाजार वाले घर के सामने एक शिवजी का मन्दिर था जहाँ वह नित्य-नियमित रूप से पूजा करने जाया करती थी। उसकी बहू ने जहर खिलाकर उसकी जान ले ली। उन लोगों के यह पूछने पर कि वे उसके घर को कैसे पहचानेंगे ? उसने बताया कि मेरे घर के पीछे एक सिनेमा घर है।

डॉ0 वर्मा कुमकुम की सूचना और पं0 हरिशचद्र मिश्र की सहायता से कुमकुम के पूर्वजन्म के मकान को बिना किसी दिक्कत के खोजने में सफल हो गए। घर के मुखिया मिसरीलाल (कुमकुम के पूर्वजन्म का बढ़ा बेटा) ने घर के बाजू में बने पोखर के बारे में बताया कि वह उसकी माँ के जीवन काल में ही तैयार किया गया था। पड़ौसियों ने यह भी बताया कि मिसरीलाल की माँ ने एक पूँछ कटा साँप भी पाल रखा था जिस वह बड़ी हिफाजत से रखती थी। वह एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी और बिना मन्दिर में भगवान शंकर की पूजा किये वह भोजन नहीं करती थी।

पारलौकिक विद्या के प्रसिद्ध विद्वान डॉ0 इवान स्टीवेसन ने कुमकुम के पूर्वजन्म के विवरणों का अध्ययन कर उसे सही पाया। उस समय वे पुनर्जन्म की सत्यता की जाँच के सिलसिले में विभिन्न देशों का भ्रमण करते हुए भारत आए थे। डॉ0 स्टीवेसन ने बताया कि मृत्यु के समय व्यक्ति की जैसी बुद्धि होती है, वैसा ही अगला जन्म होता है।

उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी निवासी श्री लक्ष्मी नारायण मिश्र के एक पुत्री हुई। घर में उसे लोग मधु के नाम से पुकारते थे। लेकिन जब बालिका कुछ बड़ी हुई तो अपने को अक्सर वह अपने को हरिजन बतलाती और सुअर का मांस खाने की चर्चा भी बेहिचक करती थी।

एक दिन वह पिता के साथ रेलवे स्टेशन के करीब से गुजर रही थी। तभी सामने से आती हुई ट्रेन को देखकर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। उसने अपने पिता को बताया कि इसी गाड़ी से कटकर में मर गई थी।

जब वह चार वर्ष की थी, उसने एक दिन अपने पिता के औषधालय में एक आदमी को देखकर मुंह फेर लिया और बताया कि यह मेरा जेठ है।

बाद में उसने बताया कि लालाराम हरिजन उसका पति था। शराब पीने की उसकी बुरी लत थी। रामनवमी के दिन उसने अपने पति से शराब छोड़ देने के लिए कहा। इस पर उसने अपनी पत्नी को झाडू से पीटकर लहू-लुहान कर दिया। आत्म ग्लानि और स्वाभिमान टूटने के दुःख में उसने रेल से कटकर आत्महत्या कर ली। साथ ही उसने अपने छिपाए हुए पैसे, बेटे-बेटियों का हुलिया आदि सारी बातें बतायी और बिना किसी मार्गदर्शन के अपने पूर्वजन्म के मकान में जाकर अपने उन सम्बन्धियों को भी पहचान लिया।

भारत आस्तिक देश है। हिन्दू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता चिर पुरातन है। पर अन्य धर्मावलंबियों को विशेषतया प्रत्यक्षवादी नास्तिक समुदाय को यह विचारना पड़ेगा कि उनने जो अब तक मान रखा है वह सही नहीं है।

ऐसी घटनाएँ संसार भर से घटित होती रहती है। कुछ समय पूर्व तक उन्हें इसलिए छिपाया जाता था कि उससे उनकी मान्यताओं का खण्डन होता था। पर अब सत्यान्वेषी वर्ग ने जब यथार्थता खोज निकालने का निश्चय किया है तो पुनर्जन्म की भारत जैसी अनेकों घटना देखने-सुनने को मिलने लगी है और मरणोत्तर जीवन को असंदिग्ध माना जाने लगा हैं।

यह प्राचीन मान्यताओं के खण्डन मण्डन का विषय नहीं है वरन् एक तथ्य का प्रतिपादन है जो सतत् और चिरंतन जीवन का विश्वास दिलाता है और मरण के साथ आने वाली व्यथा एवं निराशा का अन्त करता है। आत्मोत्कर्ष के लिए अन्तिम समय तक पुरुषार्थ करने की अदम्य अभिलाषा उन्हीं हो रह सकती है जो मरण की मात्र विराम समझें और अनवरत जीवन शृंखला पर विश्वास रखे। यह एक ऐसा लाभ है जिससे जीवन का स्तर और स्वरूप ऊँचा उठता है और प्रगति पथ पर बढ़ने के लिए वृद्धावस्था में भी उत्साह कम नहीं होता ।

First 7 9 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • ‘बलमुपास्व-‘बल की उपासना करो
  • तीन तथ्य-तीन सत्य
  • प्रेम एवं परमात्मा
  • पत्थर की मूर्ति में भगवान के दर्शन
  • पाँच वजह
  • विद्या का मर्म इस तरह समझें
  • हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए
  • मरणोत्तर जीवन जो देखा सुना समझा जा सकता है।
  • Quotation
  • मन से मन का योग
  • क्षुद्रं हृदय दौर्बल्य त्यक्तोत्तिष्ठ परंतप
  • शतमन्यु का बलिदान
  • इन्द्र का वज्र था या कोई ब्रह्मास्त्र
  • असह्य भार-लम्बा परिवार, सीमित सन्तान-सदा बलवान्
  • शरीर एक बिजली घर
  • स्वर्ग से भी महान्-तप लोक
  • सुशिक्षित कहलाने का अधिकार
  • जीव जन्तुओं की मूक भाषा
  • Quotation
  • चमत्कार कोई अवैज्ञानिक तथ्य नहीं
  • महत्वाकांक्षा ही सर्वनाश का कारण
  • धरती माता को बाँझ न बनाया जाये?
  • क्रोध ऐसे संकट उत्पन्न करता है।
  • पंख नहीं मिले
  • सुरुचि का विकास इतना आवश्यक
  • तृतीय विश्वयुद्ध होगा तो-पर 1995 के बाद
  • आध्यात्मिक काम-विज्ञान - 2
  • Quotation
  • तेजौ वै गायत्री, ज्योतिर्वै गायत्री, गायत्र्यैव भर्ग
  • Quotation
  • निर्दोष पर दया
  • अपनों से अपनी बात - हमारी जीवन साधना के अन्तरंग पक्ष-पहलू
  • VigyapanSuchana
  • भगवान् धरा पर आते हैं।
  • भगवान् धरा पर आते हैं (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj