
पू. गुरुदेव प्रणीत अध्यात्मविद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न
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गायत्री−विद्या के अमूल्य ग्रन्थरत्न
हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों के सहयोग एवं चालीस वर्ष की व्यक्ति गत उपासकों के सहयोग एवं चालीस वर्ष की व्यक्तिगत साधना के फलस्वरूप विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक−एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री साधना से समुचित लाभ उठाने के इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभवी गुरु के समान पथ−प्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं तथा शंकाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजूद है।
1−गायत्री महाविज्ञान सजिल्द (तीनों भाग) 22.5 (2)गायत्री यज्ञ विधान (प्रथम भाग) 3.00 (3)सामूहिक गायत्री यज्ञ विधान (द्वितीय भाग) 3.00 (4)गायत्री चित्रावली 4.00 (5)गायत्री मन्त्रार्थ 3.50 (6)गायत्री सम्बन्धी छोटा प्रचार साहित्य।
(अ)छोटा गायत्री ट्रैक्ट साहित्य सैट−आकर्षक कवरों वाले 32-32 पृष्ठ के गायत्री ट्रैक्ट जिनमें गायत्री उपासना तथा उसकी वैज्ञानिकता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। प्रचार की दृष्टि से इन ट्रैक्टों का महत्व असाधारण है। प्रत्येक ट्रैक्ट का मू. 80 पैसा मात्र 15 पुस्तकों के सैट का मू. 12.00 ट्रैक्टों के नाम इस प्रकार है।
1. गायत्री का स्वरूप और रहस्य। 2. गायत्री की गुप्त शक्ति। 3. सर्वसुलभ गायत्री साधना। 4. गायत्री का शक्ति स्रोत सविता देवता। 5. गायत्री और उसकी प्राण प्रक्रिया। 6. गायत्री पंचमुखी और एकमुखी। 7. गायत्री की पंचविधि दैनिक साधना। 8. गायत्री की विशेष साधना। 9.गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति। 10. गायत्री की असंख्य शक्तियाँ। 11. गायत्री की सिद्धियाँ 12. गायत्री शक्ति का नारी स्वरूप। 13.स्त्रियों का गायत्री अधिकार। 14. गायत्री और यज्ञोपवीत। 15. गायत्री और यज्ञ का सम्बन्ध। (ब) संक्षिप्त गायत्री हवन विधि मू.60 पैसे। (स) दैनिक गायत्री साधना मू. 60 पैसे (द)गायत्री चालीसा मू. 10 पैसे।
अध्यात्म का वैज्ञानिक प्रतिपादन साहित्य
प्रस्तुत बुद्धिवादी युग में तर्क, तथ्य, प्रत्यक्ष, प्रमाण एवं विज्ञान को प्रामाणिकता मिली है और शास्त्र, श्रद्धा एवं आप्त वचनों को अमान्य किया गया है। इस मनःस्थिति में पनपने वाले नास्तिकवाद एवं स्वेच्छाचार को निरस्त करने के लिए युगदृष्टा गुरुदेव की लेखनी से अभिनव युग साहित्य सृजा गया है। प्रत्येक पुस्तक विचारशील वर्ग के लिए अत्यन्त प्रेरणाप्रद है।
(1) विवाद से परे ईश्वर का अस्तित्व, (2) ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है? (3) दृश्य जगत के माध्यम संचालन सूत्र, (4) चेतना की प्रचण्ड−क्षमता एक दर्शन, (5) असीम पर निर्भर ससीम जीवन, (6) मनुष्य चलता−फिरता पेड़ नहीं है, (7) पाँच प्राण−पाँच देव, (8) दिव्यशक्तियों का उद्भव प्राण शक्ति से, (9) मानवीय क्षमता−असीम अप्रत्याशित, (10) अणु भ विणु−सागर में सागर, (11) आत्मा न नर है, न नारी, (2) मानवीय मस्तिष्क विलक्षण कम्प्यूटर (13) अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि, (14) जड़ के भीतर विवेकवान चेतना, (15) शरीर की अद्भुत क्षमताएं और विलक्षणताएं, (16) मस्तिष्क प्रत्यक्ष कल्पवृक्ष, (17) क्या धर्म अफीम की गोली है? (18) धर्म और विज्ञान विरोधी नहीं पूरक, (19) विज्ञान को शैतान बनने से रोकें, (20) पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य, (21) स्वर्ग नरक की स्वसंचालित प्रक्रिया, (22) तात्विक दृष्टि से बन्धन मुक्ति, (23) मरें तो सही पर बुद्धिमत्ता के साथ, (24) भूत कैसे होते हैं? क्या करते हैं? (25) पितरों को श्रद्धा दें—वे शक्ति देंगे, (26) सपने झूठे भी सच्चे भी, (27) शब्द ब्रह्म−नाद ब्रह्म, (28) आध्यात्मिक बाम विज्ञान,(29) जीव−जन्तु बोलते भी हैं सोचते भी हैं (30) संसार चक्र की गति प्रगति, (31) अमान्य एवं विलक्षण किन्तु सम्भव और सुलभ, (32) मनुष्य गिरा हुआ देवत या उठा हुआ पशु, (33) दृश्य−जगत की अदृश्य पहेलियाँ, (34) हम सब एक दूसरे पर निर्भर, (35) चेतना का हज स्वभाव−स्नेह, सहयोग (36) सहृदयता आत्मिक प्रगति के लिए अनिवार्य, (37) बच्चे बढ़ाकर अपने पैरों कुल्हाड़ी न मारें, (38) युग शक्ति गायत्री का अभिनव अवतरण, (39) ब्रह्मवर्चस् की ध्यान−धारणा, (40) कुण्डलिनी महाशक्ति और उसकी संसिद्धि, (41) सर्वोपयोगी गायत्री साधना, (42) गायत्री के पाँच सुख पाँच दिव्य कोश।
प्रत्येक की छपाई−सफाई सुन्दर! कवर आकर्षक। पृष्ठ संख्या 112, मूल्य तीन रुपया। डाक व्यय अलग। पूरे सेट का मूल्य 110) डाक व्यय मुफ्त।