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Magazine - Year 1984 - Version 2

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First 4 6 Last
उपकार सौदे की तरह न करो। उसे कर्त्तव्य मानकर करने से ही तो सन्तोष मिलता है उतना प्रतिफल ही पर्याप्त है। प्रत्युपकार के लिए किया गया उपकार तो खीज और निराशा ही दे सकता है।

First 4 6 Last


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Language: HINDI
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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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