• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • दैनिक जीवन में उपयोगी स्वदेशी सामान की सूची
    • स्वाध्याय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता
    • स्वास्थ
    • गायत्री का महाविज्ञान
    • धन का अपव्यय एवं फैशनपरस्ती - एक ओछापन
    • पर्यावरण संरक्षण
    • नारी जागरण क्यों और कैसे
    • आदर्श कन्या बनने के सूत्र
    • संस्कारों का विज्ञान
    • युग निर्माण योजना - एक परिचय
    • गौ संवर्धन एवं प्राकृतिक कृषि
    • रचनात्मक आन्दोलनों (सप्त आन्दोलनों) में युवाओं की भागीदारी
    • संस्कार शाला चलाने हेतु शिविरार्थियों की मानसिकता कैसे बनाएँ
    • बाल संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें
    • युवा संगठन निर्माण-प्रेरणा एवं प्रक्रिया
    • संगठन
    • अन्य पूरक विषय
    • युवा शक्ति का आहवान
    • युगऋषि का जीवन दर्शन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • दैनिक जीवन में उपयोगी स्वदेशी सामान की सूची
    • स्वाध्याय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता
    • स्वास्थ
    • गायत्री का महाविज्ञान
    • धन का अपव्यय एवं फैशनपरस्ती - एक ओछापन
    • पर्यावरण संरक्षण
    • नारी जागरण क्यों और कैसे
    • आदर्श कन्या बनने के सूत्र
    • संस्कारों का विज्ञान
    • युग निर्माण योजना - एक परिचय
    • गौ संवर्धन एवं प्राकृतिक कृषि
    • रचनात्मक आन्दोलनों (सप्त आन्दोलनों) में युवाओं की भागीदारी
    • संस्कार शाला चलाने हेतु शिविरार्थियों की मानसिकता कैसे बनाएँ
    • बाल संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें
    • युवा संगठन निर्माण-प्रेरणा एवं प्रक्रिया
    • संगठन
    • अन्य पूरक विषय
    • युवा शक्ति का आहवान
    • युगऋषि का जीवन दर्शन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर - 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT TEXT


धन का अपव्यय एवं फैशनपरस्ती - एक ओछापन

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 4 6 Last
व्याख्यान का उद्देश्य :-

१. धन को जीवन यापन का साधन मात्र समझा जाए।
२. धन का सदुपयोग हो, निरर्थक प्रयोजनों में प्रयोग न किया जाए, न ही अनावश्यक संग्रह किया जाए।
३. लोक कल्याण हेतु धन का नियोजन हो।
४. फैशन परस्ती का खुलकर विरोध करने वाला बन जाएं तथा स्वयं के जीवन में में सादगी की प्रतिष्ठा करें। सादगी अपनाने में गौरव का अनुभव हो। लड़कियाँ विशेष रूप से जेवर, मेकअप, फैशन को शपथपूर्वक त्यागें।

व्याख्यान क्रम :-

१. धन एक शक्ति है, साधन है, जिससे आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है, वस्तुओं को खरीदा जाता है।

२. परन्तु आज धन को ‘साध्य’ मान लिया गया है। ‘साध्य’ अर्थात् -लक्ष्य, मंजिल और साधन अर्थात् लक्ष्य या मंजिल तक पहुँचने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला माध्यम। धन साध्य तक पहँुचाने वाला साधन है। परन्तु आज सोच बदल गई है। कमाने को ही प्रमुख लक्ष्य मानकर व्यक्ति पूरे जीवन भर उसी में जुटा रहता है। (कहानी- अधिक धन बटोरने के लोभ में अपनी जान गवां बैठना।)

३. धन कमाना अनिवार्य है, उससे पद, प्रतिष्ठा, सम्मान भी मिलता है, परन्तु धन सब कुछ नहीं है। किसी व्यक्ति की सफलता व कैरियर की असली पहचान भी धन के आधार पर नहीं जा सकती, क्योंकि लोग गलत तरीके से कमाकर भी धनवान बनते हैं। आध्यात्मिक भाषा में धन को ‘लक्ष्मी’ कहते हैं। जो धन विलासिता, नशा या निरर्थक कार्यों में खर्च होती है, वह लक्ष्मी नहीं, माया रूप होती है। माता का उपभोग नहीं उपयोग करना ही हितकर है, तब माता की कृपा सुख शांति के रूप में सदुपयोगकर्ता पर बरसती है। (लक्ष्मी पुत्र बनें)

४. धन कमाना अलग बात है, परन्तु धन का सदुपयोग करना सर्वथा दूसरी बात है। बिजली की ही भांति धन के गलत उपयोग से हानि ही हानि होती है। धन के अपव्यय से व्यक्ति के चिन्तन, चरित्र, स्वास्थ्य में गिरावट आती है, जो लक्ष्मी का दुरूपयोग करता है, लक्ष्मी उसे छोडक़र चली जाती है।

५. कंजूसी और मितव्ययिता दोनों में अन्तर होता है-

१. स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कार व अनिवार्य वस्तुओं, आवश्यकताओं में भी खर्च न करना कंजूसी है।

२. निरर्थक कार्यों, वस्तुओं, विलासिता में खर्च न करना मितव्ययिता है। कंजूसी आत्मा का दूषण है जबकि मितव्ययिता आत्मा का भूषण (अलंकार) है। (दृष्टांत - दो कंजूसों में धन बचाने की प्रतिस्पर्धा।)

६. धन की स्वयं की शक्ति नहीं होती, व्यर्थ संग्रहित धन से कोई लाभ नहीं। धन की शक्ति की सार्थकता उसके सदुपयोग में ही है। धन का संचय वैसे ही है, जैसे मधुमक्खियों को शहद इकटा करना।

७. धन की गति :-

१. भरतीय संस्कृति का शिक्षण - ‘तेन व्यक्तेन भुजिथा:’ अर्थात् त्याग करके भोग करें।

२. धन की सबसे उत्तम गति है - दान। पीड़ा पतन के निवारण के लिए जरूरतमन्दों को श्रेष्ठ उद्देश्य हेतु दान करें। परन्तु कुपात्रों को या जहाँ आवश्यकता नहीं है, अविश्वनीय व्यक्ति को दान न करें। दान विवेकपूर्ण तो, परिचित व्यक्ति को ही दिया जाए।

८. दान के स्वरूप :-

१. दान गुप्त होवे। दांया हाथ दे तो बांए हाथ को भी पता न चले, अर्थात् उसका विज्ञापन, हल्ला न करें।

२. गीता के अनुसार - आय का दसवां हिस्सा दान कर देना चाहिए। अकेले खाने वाला पाप खाता है, वह चोर होता है।

३. अंशदान की परंपरा का औचित्य - समाज को, ईश्वार को, अपने परिवार को अंग मानकर अपनी आय का एक निश्चित अंश निकालना। पहले हमारीसंस्कृति में अतिथि को भोजन कराते थे, उसके बाद स्वयं  लेते थे।

उदा. क. दान के प्रताप से नेवले का आधा शरीर (राजसूय यज्ञ में) भोजन पश्चात् हाथ धोने से हुए जूठे पानी में लोटने से स्वर्ण को हो जाना। (ख) पीसनहारी का कुँआ (बालविधवा द्वारा कुँआ बनवाना) जो मथुरा में मीठे पानी का स्त्रोत है। लोक मंगल के लिए खर्च न करने वाला व्यक्ति मृतक के समान है।

९. धन का उपयोग व उपभोग में अन्तर :-

धन का उपयोग अर्थात् योजना बनाकर सोच समझकर खर्च करना, सन्त तुकाराम की कहानी - बजार से बिना वस्तु खरीदे खली थैला लिए वापस घर आ जाना।

धन का उपयोग अर्थात् इन्द्रिय सुखों व विलासिता हेतु बिना सोचे विचारे खर्च करना। भारतेन्दू हरिश्चन्द्र महान साहित्यकार थे लेकिन वे अपव्ययी थे। जीवन के अन्तिम क्षण तक निर्धन ही रहे।

शुकदेव जी महाराज राजा परीक्षित से कहते हैं - अजितेन्द्रिय पुरुष के शरीर बल, तेज व धन सम्पत्तियों का कुमार्ग में उपयोग होता है।

१०. धन की अधोगति :- दिखावा, दुव्र्यसन, बीमारियाँ एवं कोर्ट कचहरी में व्यय धन की अधोगति है।

११. धन कैसे कमाएं :-

१. नितिपूर्वक २. परिश्रमपूर्वक व ईमानदारी से। अनीति का धन दुव्र्यसन, बीमारी शेखीखोरी व कोर्ट कचहरी के रास्ते निकल जाता है। अनिति की कमाई से परिवार पालन से बच्चे कुसंस्कारी, दुव्यसनी, आलसी, निकम्मे बनते हैं। धनवान नहीं चरित्रवान बनें। टाटा, बिड़ला की तुलना में समाज में गाँधी, विवेकानन्द की प्रतिष्ठा अधिक है।

१२. वर्तमान में धन का भारी अपव्यय हो रहा है :-


    अपव्य के क्षेत्र हैं - मृतक भोज, दोस्तों के साथ मौजमस्ती, मार्केटिंग व होटलिंग की आदत, खर्चीले विवाह के प्रदर्शन में, कुरीतियां, दुव्यसन-बीड़ी, सिगरेट, नशा आदि में, भोजन के पाखण्ड (भोजन की थाली में नाना प्रकार की खाद्य सामग्री में) विलासिता में, फैशन में, अधिक कपड़े, शरीर सज्जा, जेवरात आदि में।


फैशन परस्ती एक ओछापन


१. फैशन - अर्थात् बनने की जगह दूसरों से अलग दिखने की चाह। फैशन क्यों करते हैं? दूसरों को दिखाने के लिए? सुन्दर दिखने के लिए? उससे क्या होता है?  आप उस आधार पर कोई सम्मान प्रतिष्ठा पा सकते हैं? आपका क्या विचार है?

२. फैशन की सामग्री का विवरण। युवाओं व युवतियों द्वारा अपनाए जाने वाले फैशन के साधनों की चर्चा। इस क्षेत्र में पैसों का भारी अपव्यय।

३. फैशन परस्ती के दुष्परिणाम - शोषण के शिकार होते हैं। दरिद्रता, अपवित्रता आती है। व्यक्ति की प्रमाणिकता घट जाती है। इष्र्या पैदा होती है। फैशन करने वाले के चरित्र को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। चोरों की नजर जेवर गहने को साफ करने पर टिक जाती है। समाज में अपमान होता है। नैतिकता का पतन होता है। चरित्र भी गिरता है, पश्चात्य शैली के रहन सहन, सज्जन, शालीन नहीं फूहड़ बनाती है। नारी का सौंदर्य सादगी में है। वन्दनीया माताजी ने किताब लिखा है - ‘‘नारी श्रृगारिता नहीं पवित्रता’’ उसे जरूर पढ़े।

४. पश्चात्य संस्कृति से प्रेरित फैशनपरस्त व विलसितापूर्ण जीवन जीने वालों का समुदाय नक्ककट्टा समुदाय की भांति है, जो पहले धोखे से अपना नाक ईश्वर से साक्षात्कार करने के लालच में कटवा लेते हैं, फिर शर्म के मारे अपनी संख्या बढ़ाने के लिए औरों को भी नाक कटवाने हेतु प्रेरित करते हैं।

५. यह शराब से भी बड़ा नशा है। फैशन परस्ती व्यक्तित्व का ओछापन है। यह व्यक्ति की मानसिक गुलामी तथा आन्तरिक खोखलेपन की निशानी है। खोखलेपन को छुपाने के लिए फैशन व दिखावा करने की जरूरत होती है।


सारांश
१. धन का अपव्य एक भयंकर दुव्र्यसन है, कुसंस्कार है।
२. केश वेश विन्यास सादगी भरा सभ्यों जैसा हो। ‘सादा जीवन उच्च विचार’ सज्जन व विचारशील व्यक्तियों की पहचान है।
३. गुल्लक रखें, नेक कार्य में धन का सदुपयोग करें। आड़े समय के लिए, एक सीमा तक धन को संचित कर सकते हैं।
‘‘जो धन का दुरुपयोग करते हैं, वे कष्ट भोगते हैं, तिरष्कार सहते हैं।’’ - परमपूज्य गुरुदेव।

प्रश्रावली
१. धन कैसे कमाएं?
२. धन की उत्तम गति क्या है?
३. जीवन में धन का कितना महत्व है?
४. धन का अपव्यय आप कहाँ-कहाँ करते हैं?
५. फैशन की जीवन में कितनी आवश्यकता है? और क्यों?
६. यदि आपको अभी १०,००० रूपये दे दिये जाएं तो आप उसे क्या करेंगे?
७. फैशनपरस्त होना आज के समाज में क्या जरूरी है? यदि हाँ तो क्यों?
First 4 6 Last


Other Version of this book



व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर - 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर - 1
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
Type: SCAN
Language: EN
...

मनस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
Type: SCAN
Language: EN
...

मनस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

सृष्टा का परम प्रसाद प्रखर प्रज्ञा
Type: SCAN
Language: EN
...

सृष्टा का परम प्रसाद प्रखर प्रज्ञा
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

संत विनोबा भावे
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • दैनिक जीवन में उपयोगी स्वदेशी सामान की सूची
  • स्वाध्याय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता
  • स्वास्थ
  • गायत्री का महाविज्ञान
  • धन का अपव्यय एवं फैशनपरस्ती - एक ओछापन
  • पर्यावरण संरक्षण
  • नारी जागरण क्यों और कैसे
  • आदर्श कन्या बनने के सूत्र
  • संस्कारों का विज्ञान
  • युग निर्माण योजना - एक परिचय
  • गौ संवर्धन एवं प्राकृतिक कृषि
  • रचनात्मक आन्दोलनों (सप्त आन्दोलनों) में युवाओं की भागीदारी
  • संस्कार शाला चलाने हेतु शिविरार्थियों की मानसिकता कैसे बनाएँ
  • बाल संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें
  • युवा संगठन निर्माण-प्रेरणा एवं प्रक्रिया
  • संगठन
  • अन्य पूरक विषय
  • युवा शक्ति का आहवान
  • युगऋषि का जीवन दर्शन
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj