• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन
    • गायत्री और ब्रह्म की एकता
    • वेदमाता गायत्री
    • शक्ति की अधिष्ठात्री त्रिपदा गायत्री
    • तीन चरणों की अनंत सार्मथ्य
    • गायत्री का व्याख्या विस्तार
    • मंगलमयी मधुविद्या
    • वेदों में गायत्री का गौरव
    • महाभारत और गायत्री
    • तत्वज्ञान एवं विवेचन
    • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
    • वर्चस् की साधना आत्मबल उभारने के लिये
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन
    • गायत्री और ब्रह्म की एकता
    • वेदमाता गायत्री
    • शक्ति की अधिष्ठात्री त्रिपदा गायत्री
    • तीन चरणों की अनंत सार्मथ्य
    • गायत्री का व्याख्या विस्तार
    • मंगलमयी मधुविद्या
    • वेदों में गायत्री का गौरव
    • महाभारत और गायत्री
    • तत्वज्ञान एवं विवेचन
    • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
    • वर्चस् की साधना आत्मबल उभारने के लिये
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT


महाभारत और गायत्री

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 8 10 Last
गायत्री मंत्र वेदों में कई बार आता है और उसकी महिमा तो वेद शास्त्रों, आरण्यक और सूत्र ग्रंथों तथा उपनिषद् दर्शनों में कई स्थानों पर पाई गयी है ।। इसका कारण है कि गायत्री मंत्र आदि काल से भारतीय धर्मानुयायियों का उपास्य मंत्र रहा है ।।

महाभारत में भी गायत्री मंत्र की महिमा कई स्थानों पर गायी गयी है ।। यहाँ तक कि भीष्म पितामह युद्ध के समय अन्तिम शरशय्या पर पड़े होते हैं तो उस समय अन्तिम उपदेश के रूप में युधिष्ठिर आदि को गायत्री उपासना की प्रेरणा देते हैं ।। भीष्म पितामह का यह उपदेश महाभारत के अनुशासन पर्व के अध्याय 150 में दिया गया है ।।

युधिष्ठिर पितामह से प्रश्न करते हैं
पितामह महाप्राज्ञ सर्व शास्त्र विशारद ।।
कि जप्यं जपतों नित्यं भवेद्धर्म फलं महत ॥
प्रस्थानों वा प्रवेशे वा प्रवृत्ते वाणी कर्मणि ।।
देवें व श्राद्धकाले वा किं जप्यं कर्म साधनम ॥
शान्तिकं पौष्टिक रक्षा शत्रुघ्न भय नाशनम् ।।
जप्यं यद् ब्रह्मसमितं तद्भवान् वक्तुमर्हति ॥ (महाभारत, आ.प.अ. 150)

'हे सभी शास्त्रों के विशारद महाप्राज्ञ पितामह ! कौन से मंत्र को सदा जपने से विशेष धर्म फल मिलता है ।। किसी कार्य को आरंभ करते समय चलते- फिरते देवताओं के श्रद्धा- सत्कार मे कौन सा मंत्र अधिक लाभकारी होता है ।। वह कौन सा मंत्र है जिसके जपने से शान्ति, पुष्टि, सुरक्षा, शत्रु हानि तथा निर्भय होते हैं ओर जो वेद सम्मत हो कृपया उसका वर्णन कीजिए ।'

भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहाः-
यान पात्रे च याने च प्रवासे राजवेश्यति ।।
परां सिद्धिमाप्नोति सावित्री ह्युत्तमां पठन ॥
न च राजभय तेषां न पिशाचान्न राक्षसान् ।।
नाग्न्यम्वुपवन व्यालाद्भयं तस्योपजायते ॥
चतुर्णामपि वर्णानामाश्रमस्य विशेषतः ।।
करोति सततं शान्ति सावित्री मुत्तमा पठन् ॥

नार्ग्दिहति काष्ठानि सावित्री यम पठ्यते ।।
न तम वालोम्रियते न च तिष्ठन्ति पन्नगाः ॥
न तेषां विद्यते दुःख गच्छन्ति परमां गतिम् ।।
ये शृण्वन्ति महद्ब्रह्म सावित्री गुण कीर्तनम ॥
गवां मन्ये तु पठतो गावोऽस्य बहु वत्सलाः ।।
प्रस्थाने वा प्रवासे वा सर्वावस्थां गतः पठेत ॥

''जो व्यक्ति सावित्री (गायत्री) का जप करते हैं उनको धन, पात्र, गृह सभी भौतिक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं ।। उनको राजा, दुष्ट, राक्षस, अग्नि, जल, वायु और सर्प किसी से भय नहीं लगता ।। जो लोग इस उत्तम मन्त्र गायत्री का जप करते हैं, वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चारों वर्ण एवं चारों आश्रमों में सफल रहते हैं ।। जिस स्थान पर सावित्री का पाठ किया जाता है, उस स्थान में अग्नि काष्ठों को हानि नहीं पहुँचाती है, बच्चों की आकस्मिक मृत्यु नहीं होती, न ही वहाँ अपङ्ग रहते हैं ।।

जो लोग सावित्री के गुणों से भरे वेद को ग्रहण करते हैं उन्हें किसी प्रकार का कष्ट एवं क्लेश नहीं होता है तथा जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करते हैं ।। गौवों के बीच सावित्री का पाठ करने से गौवों का दूध अधिक पौष्टिक होता है ।। घर हो अथवा बाहर, चलते फिरते सदा ही गायत्री का जप किया करें ।

भीष्म पितामह कहते हैं कि सावित्री- गायत्री से बढ़कर कोई जप नहीं हैः-
जपतां जुह्वता चैव नित्यं च प्रयतात्मनाम् ।।
ऋषिणाम् परमं जप्यं गुह्यमेतन्नराधिम ॥
तथातथ्येन सिद्धस्य इतिहासं पुरातनम् ।।
तदेतत्ते समाख्यां तथ्य ब्रह्म सनातनम् ॥

हृदयं सर्व भूतानां श्रुतिरेषा सनातनी ।।
सोमदित्यान्वयाः सर्वे राघवाः कुरवस्तथा ।।
पठन्ति शुचयो नित्यं सावित्री प्राणिनां गतिम ॥

''हे नर श्रेष्ठ सदा जप में लीन रहने वाले तथा नित्य हवन करने वाले ऋषियों का यह परम जप तथा गुप्त मंत्र है ।। सर्वप्रथम इस गुह्य मंत्र का इतिहास 'पराशर' द्वारा देवराज के समक्ष वर्णन करता हूँ ।। यह गायत्री ब्रह्मस्वरूप तथा सनातन है ।। यही सर्वभूत का हृदय तथा श्रुति है ।। चन्द्रवंशी, सूर्यवंशीय, कुरुवंशी, सभी राजा पूर्ण पवित्र भाव से सर्व हितकारी इस महामंत्र सावित्री गायत्री का जप किया करते थे ।''

तदेतत्ते समाख्यातं तथ्यं ब्रह्म सनातनम् ।।
हृदयं सर्व भूतानां श्रुति रेषा सनातनी ॥

पितामह ने कहा कि उसी गायत्री मंत्र का वर्णन तुमसे किया जायेगा ।। गायत्री मंत्र ही सत्य एवं सनातन है यह सभी प्राणियों का हृदय एवं सनातन श्रुति है ।।

शोभा दिव्यो न्वयौः सर्वे राघवो कुरवस्थत ।।
पठिन्त शुचयो नित्यं सावित्री प्राणिनांगतिम् ॥

चन्द्रवंशी, सूर्यवंशी, रघु एवं कुरु वंश में उत्पन्न सभी राजा नित्य पवित्र भाव से गायत्री मंत्र का जप करते थे ।। गायत्री मंत्र समस्त संसार के प्राणियों की परम गति का आधार है ।।

समझा जाता है कि स्त्रियों को गायत्री उपासना का अधिकारिणी 'महाभारत काल' में ही घोषित किया गया ।। यह सर्वथा भ्रामक है ।। महाभारत में कई स्थानों पर उल्लेख आता है कि स्त्रियाँ गायत्री की उसी प्रकार अधिकारिणी हैं, जिस प्रकार कि पुरुष ।। यथाः-

भारद्वाजस्य दुहिता रूपेण प्रतिमा भुवि ।।
श्रुतावत नाम विभोकुमारी ब्रह्मचारिणी (( महाभारत शल्य पर्व 48/2)

भारद्वाज की श्रुतावती नामक कन्या थी, जो ब्रह्मचारिणी थी ।। कुमारी के साथ- साथ ब्रह्मचारिणी शब्द लगाने का तात्पर्य यह है कि अविवाहित और वेदाध्ययन करने वाली थी ।।

अत्रैव ब्राह्मणी सिद्ध कौमार ब्रह्मचारिणी ।।
योग युक्तादिव माता तपः सिद्धा तपस्विनी (महाभारत शल्य पर्व 54/6) ‍

योग सिद्धि को प्राप्त कुमार अवस्था से ही वेदाध्ययन करने वाली तपस्विनी, सिद्धानां की ब्राह्मणी मुक्ति को प्राप्त हुई ।।

वभूव श्रीमती राजन् शांडिल्यस्य महात्मनः ।।
सुता धृतव्रता साध्वी नियता ब्रह्माचारिणी॥
साधु तप्त्वा तपों घोरे दुश्चरं स्त्री जनेने ह ।।
गता स्वर्ग महाभाग देव ब्राह्मणी पूजिता ।। (महाभारत उद्योग पर्व 190/18)

शिवा नाम ब्राह्मणी वेदों में पारंगत थी, उसने सब वेदों को पढ़कर मोक्ष पद प्राप्त किया ।।
महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 320 में सुलभा नामक ब्रह्मवादिनी संन्यासिनी का वर्णन है, जिसने राजा जनक के साथ शास्त्रार्थ किया था ।। इसी अध्याय के श्लोक 82 में सुलभा ने अपना परिचय देते हुए कहा है-

प्रधानों नाम राजर्षि व्यक्तं ते श्रोत मागतः ।।
कुले तस्य समुत्पन्ना सुलभां नाम विद्धिमाम् ॥
साहं तस्मिन् कुले जातां भर्तयसति मद्विधे ।।
विनीत मोक्ष धर्मेषु धराम्येका मुनिव्रतम् ॥ (महाभारत शान्ति पर्व 326/ 82)

मैं सुप्रसिद्ध क्षत्रिय कुल में उत्पन्न सुलभा हूँ ।। अपने अनुरूप पति न मिलने से मैंने गुरुओं से शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त करके संन्यास ग्रहण किया है ।।
इस प्रकार 'महाभारत' में अनेक स्थानों पर स्त्रियों को भी गायत्री उपासना की अधिकारिणी सिद्ध करते हुए सर्व सामान्य के लिए गायत्री उपासना अनिवार्य बतायी गयी है ।।

(गायत्री महाविद्या का तत्त्वदर्शन पृ.सं. 1.55)

First 8 10 Last


Other Version of this book



गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

आध्यात्मिक कायाकल्प का विधि- विधान-२
Type: TEXT
Language: HINDI
...

स्वर्ग नरक की स्वचालित प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: HINDI
...

स्वर्ग नरक की स्वचालित प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

धर्म और विज्ञान विरोधी नहीं पूरक हैं
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन
  • गायत्री और ब्रह्म की एकता
  • वेदमाता गायत्री
  • शक्ति की अधिष्ठात्री त्रिपदा गायत्री
  • तीन चरणों की अनंत सार्मथ्य
  • गायत्री का व्याख्या विस्तार
  • मंगलमयी मधुविद्या
  • वेदों में गायत्री का गौरव
  • महाभारत और गायत्री
  • तत्वज्ञान एवं विवेचन
  • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
  • वर्चस् की साधना आत्मबल उभारने के लिये
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj