
करते जो सहकार
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
करते जो सहकार
करते जो सहकार, सफलता उनकी चेरी है।
सफल नहीं वे हुए जिन्होंने, शक्ति बिखेरी है॥
मुँह खाता है किन्तु पेट को, वह देता जाता।
और पेट रस रक्त बनाने, आगे पहुँचाता॥
हृदय बाँटता रक्त लगाता, स्वयं न ढेरी है॥
अलग- अलग लकड़ियाँ टूटती, गट्ठा टूट न पाता।
खाद और जलवायु मिले तो, वृक्ष बड़ा हो जाता॥
जली दिवाली दीपों की, कब टिकी अँधेरी है॥
राम और हनुमान मिले, लंका को जीत लिया।
शिवा- समर्थ मिले तो अपने, युग को बदल दिया॥
विजय सदा संगठन शक्ति की, करती फेरी है॥
हम भी साधन समय शक्ति, श्रम व्यर्थ नहीं खोवें।
युग सृष्टा के संगी साथी, सहयोगी होवें॥
नवयुग के आने में देखो, रही न देरी है॥
संगीत, साहित्य और कला से रहित मनुष्य बिना पूँछ का साक्षात् पशु है। -वाङमय १९ पृ.५.९
करते जो सहकार, सफलता उनकी चेरी है।
सफल नहीं वे हुए जिन्होंने, शक्ति बिखेरी है॥
मुँह खाता है किन्तु पेट को, वह देता जाता।
और पेट रस रक्त बनाने, आगे पहुँचाता॥
हृदय बाँटता रक्त लगाता, स्वयं न ढेरी है॥
अलग- अलग लकड़ियाँ टूटती, गट्ठा टूट न पाता।
खाद और जलवायु मिले तो, वृक्ष बड़ा हो जाता॥
जली दिवाली दीपों की, कब टिकी अँधेरी है॥
राम और हनुमान मिले, लंका को जीत लिया।
शिवा- समर्थ मिले तो अपने, युग को बदल दिया॥
विजय सदा संगठन शक्ति की, करती फेरी है॥
हम भी साधन समय शक्ति, श्रम व्यर्थ नहीं खोवें।
युग सृष्टा के संगी साथी, सहयोगी होवें॥
नवयुग के आने में देखो, रही न देरी है॥
संगीत, साहित्य और कला से रहित मनुष्य बिना पूँछ का साक्षात् पशु है। -वाङमय १९ पृ.५.९