• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • चेतना की सत्ता एवं उसका विस्तार
    • अनास्था की जननी—दुर्बुद्धि
    • ईश्वर संबंधी भ्रान्तियां
    • दैवी सत्ता की सुनियोजित विधि-व्यवस्था
    • आत्मबल से उभरी परिष्कृत प्रतिभा
    • मानवी पुरुषार्थ एवं दैवी शक्ति का युग्म
    • पात्रता से दैवी अनुग्रह की प्राप्ति
    • उदारता जन्मदात्री है प्रामाणिकता की
    • जीवन साधना एवं ईश-उपासना
    • प्रखर प्रतिभा का उद्गम स्रोत
    • युग परिवर्तन प्रतिभा ही करेगी
    • अनगढ़ता मिटे, सुगढ़ता विकसित हो
    • बड़े प्रयोजनों के लिए प्रतिभावानों की आवश्यकता
    • सद्बुद्धि का ऊभार कैसे हो?
    • इन दिनों की सर्वोपरि आवश्यकता
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • चेतना की सत्ता एवं उसका विस्तार
    • अनास्था की जननी—दुर्बुद्धि
    • ईश्वर संबंधी भ्रान्तियां
    • दैवी सत्ता की सुनियोजित विधि-व्यवस्था
    • आत्मबल से उभरी परिष्कृत प्रतिभा
    • मानवी पुरुषार्थ एवं दैवी शक्ति का युग्म
    • पात्रता से दैवी अनुग्रह की प्राप्ति
    • उदारता जन्मदात्री है प्रामाणिकता की
    • जीवन साधना एवं ईश-उपासना
    • प्रखर प्रतिभा का उद्गम स्रोत
    • युग परिवर्तन प्रतिभा ही करेगी
    • अनगढ़ता मिटे, सुगढ़ता विकसित हो
    • बड़े प्रयोजनों के लिए प्रतिभावानों की आवश्यकता
    • सद्बुद्धि का ऊभार कैसे हो?
    • इन दिनों की सर्वोपरि आवश्यकता
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - स्रष्टा का परम प्रसाद-प्रखर प्रज्ञा

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT TEXT


अनगढ़ता मिटे, सुगढ़ता विकसित हो

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 11 13 Last
पृथ्वी पर उत्तर ध्रुव निखिल ब्रह्माण्ड में संव्याप्त पदार्थ सम्पदा में से अपने लिये आवश्यक तत्व खींचता रहता है। वही धरती की विविध आवश्यकताएं पूरी करता है। जो निरर्थक अंश बच रहता है वह पदार्थ ध्रुव मार्ग से कचरे की तरह बाहर फेंक दिया जाता है। यही क्रम मनुष्य शरीर का है। वह अपनी रुचि और प्रकृति के अनुरूप चेतन तत्व आकाश से खींचता और छोड़ता रहता है। उसी पूंजी से अपना काम चलाता है। क्या ग्रहण करना और क्या बहिष्कृत करना है? यह मनुष्य के मानसिक चुम्बकत्व पर निर्भर है। यदि अपना मानस उच्चस्तरीय बन चुका है तो उसका आकर्षण विश्व ब्रह्माण्ड से अपने स्तर के सहकारी तत्व खींचता और भण्डार करता रहेगा, पर पूंजी अपने मनोबल के अनुरूप ही जमा होती रहती है। वैसे मनुष्य को जन्मजात रूप से विभूतियों का वैभव प्रचुर मात्रा में मिला है, पर वह प्रसुप्ति की तिजोरी में बन्द रहता है ताकि आवश्यकता होने पर ही उसे प्रयत्नपूर्वक उभारा और काम में लाया जा सके। सभी जानते हैं कि भूगर्भ में विभिन्न स्तर के रासायनिक द्रव्य भरे पड़े हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि आकाश में निरन्तर धरती का प्राण तत्व की वर्षा होती रहती है। वनस्पतियों और प्राणियों का गुजारा इन्हीं उभय पक्षीय अनुदानों के सहारे चलता है। मानवी व्यक्तित्व के सम्बन्ध में भी यही बात है। वह इच्छित प्रगति के लिए अपने वर्चस्व का कितना ही महत्वपूर्ण अंश उभार सकता है और अपने बलबूते वांछित दिशा में अग्रगमन कर सकता है। उर्वरता भूमि में होती है पर उसके प्रकट होने के लिए ऊपर से जल बरसना भी आवश्यक है अन्यथा उर्वरता हरितमा का रूप धारण न कर सकेगी। मनुष्य को अपने में सन्निहित विशेषताओं को भी ऊर्ध्वगामी बनाना चाहिए और साथ ही अदृश्य जगत के विपुल वैभव का अंश भी अपनी आकर्षण शक्ति से खींच कर अधिकाधिक सुसम्पन्न बनाना चाहिए। अपने गुण, कर्म-स्वभाव को प्रखर परिष्कृत बनाना और ईश्वरीय सान्निध्य स्थापित करके व्यापक शक्ति के लिए कुछ उपयुक्त से खींच बुलाना—यह दोनों ही क्रियायें अपने ढंग से नियमित रूप से चलती रहें तो समझना चाहिए कि प्रगति का सुव्यवस्थित सरंजाम जुटने की समुचित व्यवस्था बन गई। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए चिन्तन, चरित्र और स्वभाव को गुण, कर्म और भाव सम्वेदना को दिनों-दिन अधिक उत्कृष्ट बनाते चलने की आवश्यकता को ध्यान रखने पर जोर दिया गया है। साथ ही आवश्यक यह भी है कि इस विराट विश्व की कामधेनु की अनुकूलता प्राप्त करके अमृत भरे पयपान का लाभ उठाते रहा जाये।

प्राण अपना है, प्रतिभा भी अपनी है, पर वह अनगढ़ स्थिति में झाड़ झंखाड़ों से भरी रहती है। इसे सुरम्य उद्यान में बदलने के लिए कुशल माली जैसे अनुभव और सतर्कता भरा प्रयत्न चाहिए। जो उसे कर पाते हैं वे ही देखते हैं कि ‘‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी’’ का प्रतिपादन सोलहों आना सच है। उसमें किसी प्रकार की अत्युक्ति नहीं है। घाटे में वे रहते हैं जो अपनी उपेक्षा आप करते हैं। जो अपनी अवमानना अवहेलना करेगा वह दूसरों से भी तिरस्कृत होगा और स्वयं भी घाटे में रहेगा।
First 11 13 Last


Other Version of this book



स्रष्टा का परम प्रसाद-प्रखर प्रज्ञा
Type: TEXT
Language: HINDI
...

स्रष्टा का परम प्रसाद-प्रखर प्रज्ञा
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Divine Message of Vedas Part 4
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

Pragya Puran Stories -2
Type: TEXT
Language: ENGLISH
...

त्योहार और व्रत
Type: SCAN
Language: HINDI
...

त्योहार और व्रत
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • चेतना की सत्ता एवं उसका विस्तार
  • अनास्था की जननी—दुर्बुद्धि
  • ईश्वर संबंधी भ्रान्तियां
  • दैवी सत्ता की सुनियोजित विधि-व्यवस्था
  • आत्मबल से उभरी परिष्कृत प्रतिभा
  • मानवी पुरुषार्थ एवं दैवी शक्ति का युग्म
  • पात्रता से दैवी अनुग्रह की प्राप्ति
  • उदारता जन्मदात्री है प्रामाणिकता की
  • जीवन साधना एवं ईश-उपासना
  • प्रखर प्रतिभा का उद्गम स्रोत
  • युग परिवर्तन प्रतिभा ही करेगी
  • अनगढ़ता मिटे, सुगढ़ता विकसित हो
  • बड़े प्रयोजनों के लिए प्रतिभावानों की आवश्यकता
  • सद्बुद्धि का ऊभार कैसे हो?
  • इन दिनों की सर्वोपरि आवश्यकता
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj