
साधनों का स्तर गिरा
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इस ऊँचाई को कायम रखने के लिए, विवेकशीलता को कायम रखने के लिए इस तरह के विचारों की आवश्यकता है, जो मनुष्य को ऊँचा उठाएँ। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिए कि हमारे पास विचार करने के जितने भी क्रम और साधन थे, वे सारे के सारे अस्त-व्यस्त और भ्रष्ट हो गए। जरा साहित्य की ओर देखना। साहित्य की दुकान पर जब हम जाते हैं और प्रेस में जो कूड़ा-कबाड़ा छपते देखते हैं। पत्र-पत्रिकाएँ जो हमारी आँखों के सामने आती हैं, इन्हें देखकर जी में आता है कि इन्हें जला दिया जाए या अपना सिर फोड़ लिया जाए या अपनी आँखें फोड़ ली जाएँ। यह भी कोई साहित्य है क्या, जो आदमी को अधःपतन की ओर ले जाता है, गिरावट की ओर ले जाता है। जो कुछ भी हम देखते हैं ज्ञानवर्द्धन की सामग्री, कला और दूसरी चीजें, यहाँ तक कि धर्म-अध्यात्म के नाम पर जो नसीहतें दी जाती हैं, जो शिक्षण दिए जाते हैं, वे भी कैसे गंदे और फूहड़ किस्म के हैं। जी में आता है कि धर्म और पूजा-पाठ की इन किताबों को इकट्ठा करके इनमें दियासलाई लगा दी जाए या इनको जब्त कर लिया जाए। जाने कौन-कौन सी किताबें हैं, जिनमें न जाने क्या-क्या कूड़ा-कबाड़ा भरकर रख दिया है, जो आदमी को ऊँचा उठाने की अपेक्षा और नीचे गिराती हैं। आदमी के चरित्र को और बदनाम करती हैं तथा आदमी को जो दिशा या प्रेरणा देती हैं, उसे और घटिया किस्म का बना देती हैं।
मित्रो! सारे के सारे विषयों में हम यह देखते हैं कि मनुष्य की अक्ल, मनुष्य की समझ और ऊँचाई को नीचे गिराने के लिए न जाने क्या से क्या चारों ओर से कबाड़ा इकट्ठा किया गया है कि आदमी घटिया होता हुआ चला जाता है। आदमी को घटिया बनाने से बचाने के लिए उन साधनों की जरूरत है, जो मनुष्य के विचारों में परिवर्तन लाते हों, ऊँचाई लाते हों, श्रेष्ठता लाते हों, शान लाते हों, इज्जत की भावना लाते हों। इस तरह का सारे का सारा कलेवर और ढाँचा खड़ा किया जाना चाहिए जिससे कि आदमी के विचार करने की शैली कुछ ऊँची उठे, श्रेष्ठ बने। आदमी श्रेष्ठ नागरिक बनेगा तो अपनी राजनीति ठीक हो जाएगी, व्यापार सही हो जाएगा। श्रेष्ठ नागरिक बनेगा तो अपने कुटुंब और परिवार में बड़े प्यार और इज्जत के साथ, शान के साथ रहेगा। उसका स्वास्थ्य सही रहेगा। उसके बालक अच्छे बनेंगे। उसके पैसे की आमदनी जो कुछ भी है, उसका बेहतरीन इस्तेमाल होगा। तब व्यक्ति अपने आप को स्वर्ग में रहता हुआ अनुभव करेगा और सारे समाज में शांति आएगी, अगर व्यक्ति का स्तर ऊँचा हो जाए तब।
मित्रो! सारे के सारे विषयों में हम यह देखते हैं कि मनुष्य की अक्ल, मनुष्य की समझ और ऊँचाई को नीचे गिराने के लिए न जाने क्या से क्या चारों ओर से कबाड़ा इकट्ठा किया गया है कि आदमी घटिया होता हुआ चला जाता है। आदमी को घटिया बनाने से बचाने के लिए उन साधनों की जरूरत है, जो मनुष्य के विचारों में परिवर्तन लाते हों, ऊँचाई लाते हों, श्रेष्ठता लाते हों, शान लाते हों, इज्जत की भावना लाते हों। इस तरह का सारे का सारा कलेवर और ढाँचा खड़ा किया जाना चाहिए जिससे कि आदमी के विचार करने की शैली कुछ ऊँची उठे, श्रेष्ठ बने। आदमी श्रेष्ठ नागरिक बनेगा तो अपनी राजनीति ठीक हो जाएगी, व्यापार सही हो जाएगा। श्रेष्ठ नागरिक बनेगा तो अपने कुटुंब और परिवार में बड़े प्यार और इज्जत के साथ, शान के साथ रहेगा। उसका स्वास्थ्य सही रहेगा। उसके बालक अच्छे बनेंगे। उसके पैसे की आमदनी जो कुछ भी है, उसका बेहतरीन इस्तेमाल होगा। तब व्यक्ति अपने आप को स्वर्ग में रहता हुआ अनुभव करेगा और सारे समाज में शांति आएगी, अगर व्यक्ति का स्तर ऊँचा हो जाए तब।