
प्रशिक्षक टोली हेतु आवश्यक बातें
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
1. प्रशिक्षक टोली के 3 से 4 सदस्यों के शिविर स्थल पर स्थायी रूप से रहने पर शिविर की मंचीय व्यवस्था एवं ‘शिविरार्थी-प्रशिक्षक संवाद’ भलीभाँति हो पाते हैं। इससे अनुशासन बनाने में सुविधा होती है।
2. प्रात: योग की कक्षा हेतु 2 योग प्रशिक्षक हों। एक प्रमुख एवं दूसरा सहयोगी जो उद्देश्यपूर्ण तरीके से रोचकशैली में योग की कक्षा का सम्पूर्ण शिविर अवधि में संचालन करने हेतु समय दे सके।
3. समय सारिणी के अनुसार विभिन्न सैद्धान्तिक विषयों पर व्याख्यान देने वाले स्रोत व्यक्ति तथा प्रायोगिक विषय जैसे- ‘बाल संस्कार शाला’ ‘व्यसन मुक्ति कक्षा ’ एवं ‘रैली’ आदि का प्रायोगिक शिक्षण देने वाले कार्यकर्ताओं को पूर्व में ही निश्चित कर लिया जाय।
4. संगीत हेतु कार्यकर्ता- जो समय सारिणी में उल्लेखित विषयों के अनुरूप कक्षा से पूर्व प्रभावशाली संगीत दे सकें, की पूर्व व्यवस्था बना ली जाय।
5. शिविरार्थी युवा एवं युवतियों के साथ आवास स्थल पर प्रभारी कार्यकर्ता भाई बहन रहें, ताकि शिविरार्थियों के बीच अनुशासन बना रहे व उनकी छोटी-बड़ी समस्याओं को समय पर ही हल किया जा सके।
6. टोली में 1-2 सदस्य हों जो 1) औपचारिक कक्षाओं के अतिरिक्त समस्त कक्षाओं का प्रतिदिन समन्वय करते रहें एवं अभिभावक की शैली में उनसे आत्मीय संबंध को गहन करते रहें। 2) निर्धारित कक्षाओं की प्रस्तुतिकरण में हुई कमियों को पूरा कर सकें। 3) कक्षा के अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण विषय जैसे- युग निर्माण योजना सत्संकल्प सूत्र, मिशन का लक्ष्य व गुरुदेव का परिचय, शान्तिकुञ्ज का परिचय, ऐतिहासिक महापुरुषों की सेवा-साधना आदि विषयों का, जिससे शिविरार्थी को मिशन की मूल धारा से भावनात्मक तरीके से जोड़ा जा सकता है, समय निकालकर शिविरार्थियों को प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बताते रहें। शिविरार्थियों से भावनात्मक संबंध बनायें। कक्षाएँ यंत्रवत् लेकर ही शिविर समाप्त न हो जाय।
7. टोली के सभी सदस्य पूर्व निर्धारित योजनानुसार एक दिन पूर्व या कार्यक्रम आरम्भ होने के 4 घण्टे पहले पहुँच कर स्वयं सारी व्यवस्था देखें व बनवायें।
प्रशिक्षण विषय विश्लेषण में सावधानी बरतें
(1) किसी विषय को प्रस्तुत करते समय नकारात्मक बिंदुओं पर कम सम दें एवं सकारात्मक बिन्दुओं पर अधिक समय दें।
(2) किसी बिन्दु को प्रभावी बनाने के लिए दृष्टांत तो दें लेकिन एक से अधिक दृष्टांत नहीं होना चहिए, जिससे कम समय में बिन्दु का आशय स्पष्ट किया जा सके।
(3) शिविरार्थियों को ध्यान आकर्षित कराने के लिए भी बीच-बीच में प्रश्र तो करें लेकिन यदि संतोषजनक जवाब नहीं आ पा रहा हो तो स्वयं समाधान करते हुए आगे बढ़ें, बहुत ज्यादा वक्त इस पर न लगायें।
(4) विषय गंभीर होने पर समझाने की शैली परन्तु बात-बात पर हँसाने से बचें। इससे विषय की गंभीरता कम हो जाती है।
(5) शैली में ‘तीखापन’ नहीं होना चाहिए, हमेशा विनम्रता एवं शालीनतापूर्वक प्रस्तुतिकरण होना चाहिए।
(6) व्यसन से युक्त किसी व्यक्ति अथवा वर्ग विशेष के प्रति नकारात्मक या आक्रोशपूर्ण टिप्पणी से बचते हुए उन्हें सुधरने का अवसर देते हुए उनका उत्साहवर्धन करें।
(7) व्यसन के लिए व्यक्ति विशेष को दोषी न ठहराते हुए ‘कुसंग’ को दोषी ठहरायें एवं उन्हें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा प्रदान करें।
(8) किसी भी स्थिति में ‘कठोरता’ न तो चेहरे में झलकना चाहिए और न ही शब्दों में।
(9) विषय को कक्षा शैली में प्रस्तुत करें जिससे शिविरार्थी उसे भली प्रकार से समझ सकें,प्रवचन शैली में कदापि नहीं।
(10) मुख्य बिंदुओं को लिखकर सामने रख लेवें, जिससे विषय से भटकाव न होने पाये।
(11) एक बार बिन्दु को देख लेने के पश्चात विश्लेषण शिविरार्थियों की ओर देखते हुए करें, जिससे शिविरार्थियों पर आपके बातों का प्रभाव पड़े।
(12) प्रस्तुतीकरण में किसी व्यक्ति विशेष अथवा संस्था का नाम लेकर आलोचना नहीं करनी चाहिए।
(13) विषय को निर्धारित समय से 15 मिनट पूर्व समाप्त करें एवं पढ़ाये गये विषय के बारे में प्रश्र करें।
प्रशिक्षक टोली आचार सहिंता
(1) टोली में सम्मिलित सभी सदस्यों से आत्मीयता बनाकर रखना।
(2) कार्यक्रम में जाने से पहले टोली के सभी सदस्यों को सूचित करना एवं उनके निर्धारित स्थान पर पहुँचने की जानकारी प्राप्त करना।
(3) आयोजन स्थल में सभी साथ-साथ ही ठहरें। टोलीनायक अपने लिए अलग व्यवस्था की माँग न करें।
(4) आवास, भोजन में कोई असुविधा हो रही हो तो आयोजक को बुलाकर विनम्रता एवं आग्रहपूर्वक अपनी सुविधा को सामने रखें।
(5) पहुँचते ही कार्यक्रम की पूर्ण जानकारी ले लेवें एवं आवश्यकता महसूस होने पर संशोधन कर लेवें।
(6) आपके अनुकूल आवास, भोजन व शिविर की व्यवस्था न होने पर आप आयोजकों पर आक्रोश व्यक्त न करें, बल्कि उन्हें उत्साहित करते हुए व्यवस्थित करने में सहयोग प्रदान करें।
(7) टोली के सदस्य एक दूसरे के लिए सम्मान की दृष्टि रखें एवं किन्हीं परिजनों द्वारा टोली के किसी सदस्य के बारे में पूछे जाने पर उनके गुणों का ही उल्लेख करें एवं उसे अपना सक्रिय सहयोगी के रूप में प्रस्तुत करें।
(8) टोलीनायक टोली के सदस्यों को सतत् उत्साहित करते रहें।
(9) टोली के किसी सदस्य को जन समूह द्वारा सम्मान दिये जाने पर अन्य सदस्य भी प्रसन्नता एवं खुशी व्यक्त करें।
(10) कार्यक्रम की सफलता का श्रेय टोली के सभी सदस्यों को देना चाहिए, टोलीनायक स्वयं श्रेय लेने से बचें।
(11) कार्यक्रम कितनी भी प्रभावी क्यों न हो आयोजक अथवा उपस्थित परिजनों पर वास्तविक प्रभाव टोली के सदस्यों के आचरण, व्यवहार एवं दिनचर्या के आधार पर पड़ता है।
(12) कार्यक्रम स्थल में समय से 5 मिनट पूर्व पहुँच जायें एवं निर्धारित समय में कार्यक्रम प्रारम्भ कर देवें।
(13) मंचीय कार्यक्रम के अतिरिक्त उपस्थित लोगों से मिलने जुलने का क्रम अवश्य बनायें, इससे आत्मीयता विकसित होती है एवं टोली की गहरी छाप पड़ती है।
(14) शिविर में उपस्थित सक्रिय/उत्साहित कार्यकत्र्ताओं के नाम, मोबाइल नं. आदि नोट कर लेवें।
(15) शिविरार्थियों अथवा किसी सदस्य द्वारा आयोजकों की शिकायत करने पर उन्हें धैर्यपूर्वक चुन लें एवं आयोजन से संबंधित बातें होने पर मुख्य आयोजक से चर्चा कर लेवें और यदि शिकायत स्थायी व्यवस्था संबंधी हो तो विनम्रतापूर्वक अपनी असमर्थता व्यक्त कर देवें।
(16) किसी भी स्थिति में व्यवस्थापक/आयोजक के खिलाफ टोली के कोई भी सदस्य मंच अथवा नीचे में कोई टिप्पणी न करें।
(17) किसी दर्शनीय स्थल पर जाने की स्थिति में टोलीनायक सभी सदस्यों को साथ लेकर जायें अकेला नहीं।
2. प्रात: योग की कक्षा हेतु 2 योग प्रशिक्षक हों। एक प्रमुख एवं दूसरा सहयोगी जो उद्देश्यपूर्ण तरीके से रोचकशैली में योग की कक्षा का सम्पूर्ण शिविर अवधि में संचालन करने हेतु समय दे सके।
3. समय सारिणी के अनुसार विभिन्न सैद्धान्तिक विषयों पर व्याख्यान देने वाले स्रोत व्यक्ति तथा प्रायोगिक विषय जैसे- ‘बाल संस्कार शाला’ ‘व्यसन मुक्ति कक्षा ’ एवं ‘रैली’ आदि का प्रायोगिक शिक्षण देने वाले कार्यकर्ताओं को पूर्व में ही निश्चित कर लिया जाय।
4. संगीत हेतु कार्यकर्ता- जो समय सारिणी में उल्लेखित विषयों के अनुरूप कक्षा से पूर्व प्रभावशाली संगीत दे सकें, की पूर्व व्यवस्था बना ली जाय।
5. शिविरार्थी युवा एवं युवतियों के साथ आवास स्थल पर प्रभारी कार्यकर्ता भाई बहन रहें, ताकि शिविरार्थियों के बीच अनुशासन बना रहे व उनकी छोटी-बड़ी समस्याओं को समय पर ही हल किया जा सके।
6. टोली में 1-2 सदस्य हों जो 1) औपचारिक कक्षाओं के अतिरिक्त समस्त कक्षाओं का प्रतिदिन समन्वय करते रहें एवं अभिभावक की शैली में उनसे आत्मीय संबंध को गहन करते रहें। 2) निर्धारित कक्षाओं की प्रस्तुतिकरण में हुई कमियों को पूरा कर सकें। 3) कक्षा के अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण विषय जैसे- युग निर्माण योजना सत्संकल्प सूत्र, मिशन का लक्ष्य व गुरुदेव का परिचय, शान्तिकुञ्ज का परिचय, ऐतिहासिक महापुरुषों की सेवा-साधना आदि विषयों का, जिससे शिविरार्थी को मिशन की मूल धारा से भावनात्मक तरीके से जोड़ा जा सकता है, समय निकालकर शिविरार्थियों को प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बताते रहें। शिविरार्थियों से भावनात्मक संबंध बनायें। कक्षाएँ यंत्रवत् लेकर ही शिविर समाप्त न हो जाय।
7. टोली के सभी सदस्य पूर्व निर्धारित योजनानुसार एक दिन पूर्व या कार्यक्रम आरम्भ होने के 4 घण्टे पहले पहुँच कर स्वयं सारी व्यवस्था देखें व बनवायें।
प्रशिक्षण विषय विश्लेषण में सावधानी बरतें
(1) किसी विषय को प्रस्तुत करते समय नकारात्मक बिंदुओं पर कम सम दें एवं सकारात्मक बिन्दुओं पर अधिक समय दें।
(2) किसी बिन्दु को प्रभावी बनाने के लिए दृष्टांत तो दें लेकिन एक से अधिक दृष्टांत नहीं होना चहिए, जिससे कम समय में बिन्दु का आशय स्पष्ट किया जा सके।
(3) शिविरार्थियों को ध्यान आकर्षित कराने के लिए भी बीच-बीच में प्रश्र तो करें लेकिन यदि संतोषजनक जवाब नहीं आ पा रहा हो तो स्वयं समाधान करते हुए आगे बढ़ें, बहुत ज्यादा वक्त इस पर न लगायें।
(4) विषय गंभीर होने पर समझाने की शैली परन्तु बात-बात पर हँसाने से बचें। इससे विषय की गंभीरता कम हो जाती है।
(5) शैली में ‘तीखापन’ नहीं होना चाहिए, हमेशा विनम्रता एवं शालीनतापूर्वक प्रस्तुतिकरण होना चाहिए।
(6) व्यसन से युक्त किसी व्यक्ति अथवा वर्ग विशेष के प्रति नकारात्मक या आक्रोशपूर्ण टिप्पणी से बचते हुए उन्हें सुधरने का अवसर देते हुए उनका उत्साहवर्धन करें।
(7) व्यसन के लिए व्यक्ति विशेष को दोषी न ठहराते हुए ‘कुसंग’ को दोषी ठहरायें एवं उन्हें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा प्रदान करें।
(8) किसी भी स्थिति में ‘कठोरता’ न तो चेहरे में झलकना चाहिए और न ही शब्दों में।
(9) विषय को कक्षा शैली में प्रस्तुत करें जिससे शिविरार्थी उसे भली प्रकार से समझ सकें,प्रवचन शैली में कदापि नहीं।
(10) मुख्य बिंदुओं को लिखकर सामने रख लेवें, जिससे विषय से भटकाव न होने पाये।
(11) एक बार बिन्दु को देख लेने के पश्चात विश्लेषण शिविरार्थियों की ओर देखते हुए करें, जिससे शिविरार्थियों पर आपके बातों का प्रभाव पड़े।
(12) प्रस्तुतीकरण में किसी व्यक्ति विशेष अथवा संस्था का नाम लेकर आलोचना नहीं करनी चाहिए।
(13) विषय को निर्धारित समय से 15 मिनट पूर्व समाप्त करें एवं पढ़ाये गये विषय के बारे में प्रश्र करें।
प्रशिक्षक टोली आचार सहिंता
(1) टोली में सम्मिलित सभी सदस्यों से आत्मीयता बनाकर रखना।
(2) कार्यक्रम में जाने से पहले टोली के सभी सदस्यों को सूचित करना एवं उनके निर्धारित स्थान पर पहुँचने की जानकारी प्राप्त करना।
(3) आयोजन स्थल में सभी साथ-साथ ही ठहरें। टोलीनायक अपने लिए अलग व्यवस्था की माँग न करें।
(4) आवास, भोजन में कोई असुविधा हो रही हो तो आयोजक को बुलाकर विनम्रता एवं आग्रहपूर्वक अपनी सुविधा को सामने रखें।
(5) पहुँचते ही कार्यक्रम की पूर्ण जानकारी ले लेवें एवं आवश्यकता महसूस होने पर संशोधन कर लेवें।
(6) आपके अनुकूल आवास, भोजन व शिविर की व्यवस्था न होने पर आप आयोजकों पर आक्रोश व्यक्त न करें, बल्कि उन्हें उत्साहित करते हुए व्यवस्थित करने में सहयोग प्रदान करें।
(7) टोली के सदस्य एक दूसरे के लिए सम्मान की दृष्टि रखें एवं किन्हीं परिजनों द्वारा टोली के किसी सदस्य के बारे में पूछे जाने पर उनके गुणों का ही उल्लेख करें एवं उसे अपना सक्रिय सहयोगी के रूप में प्रस्तुत करें।
(8) टोलीनायक टोली के सदस्यों को सतत् उत्साहित करते रहें।
(9) टोली के किसी सदस्य को जन समूह द्वारा सम्मान दिये जाने पर अन्य सदस्य भी प्रसन्नता एवं खुशी व्यक्त करें।
(10) कार्यक्रम की सफलता का श्रेय टोली के सभी सदस्यों को देना चाहिए, टोलीनायक स्वयं श्रेय लेने से बचें।
(11) कार्यक्रम कितनी भी प्रभावी क्यों न हो आयोजक अथवा उपस्थित परिजनों पर वास्तविक प्रभाव टोली के सदस्यों के आचरण, व्यवहार एवं दिनचर्या के आधार पर पड़ता है।
(12) कार्यक्रम स्थल में समय से 5 मिनट पूर्व पहुँच जायें एवं निर्धारित समय में कार्यक्रम प्रारम्भ कर देवें।
(13) मंचीय कार्यक्रम के अतिरिक्त उपस्थित लोगों से मिलने जुलने का क्रम अवश्य बनायें, इससे आत्मीयता विकसित होती है एवं टोली की गहरी छाप पड़ती है।
(14) शिविर में उपस्थित सक्रिय/उत्साहित कार्यकत्र्ताओं के नाम, मोबाइल नं. आदि नोट कर लेवें।
(15) शिविरार्थियों अथवा किसी सदस्य द्वारा आयोजकों की शिकायत करने पर उन्हें धैर्यपूर्वक चुन लें एवं आयोजन से संबंधित बातें होने पर मुख्य आयोजक से चर्चा कर लेवें और यदि शिकायत स्थायी व्यवस्था संबंधी हो तो विनम्रतापूर्वक अपनी असमर्थता व्यक्त कर देवें।
(16) किसी भी स्थिति में व्यवस्थापक/आयोजक के खिलाफ टोली के कोई भी सदस्य मंच अथवा नीचे में कोई टिप्पणी न करें।
(17) किसी दर्शनीय स्थल पर जाने की स्थिति में टोलीनायक सभी सदस्यों को साथ लेकर जायें अकेला नहीं।