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Books - व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर

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Language: HINDI
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योगाभ्यास

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     कक्षा का उद्देश्य:-

1.    शिविर से लौटने के बाद शिविरार्थी स्वयं घर पर नियमित योगाभ्यास करे।
2.    योग के सैद्धांतिक पक्ष की मोटी-मोटी जानकारी हो जाए।
3.    अपने सगे सम्बन्धियों एवं सम्पर्क क्षेत्र के छोटे बच्चों व किशोरों को योग की क्रियाएं सीखा सके।
4.    योग की गहराईयों को जानने- समझने की ललक जागे।
योग प्रशिक्षण का क्रम:-
(1)    चुंकि यह प्रात: की पहली कक्षा है अत: यहाँ सर्वप्रथम प्रार्थना की मुद्रा में उचित दूरी पर खड़ा कराकर ‘‘वह शक्ति हमें दो दयानिधे’’ वाली पंक्तियां तीन अन्तरा दोहराएं।
(2)अब बैठाकर- पद्मासन व ध्यान मुद्रा लगवाएं, निम्न क्रम से मंत्र व श्लोक पाठ कराएं।
1. गायत्री मन्त्र का भावार्थ दुहराएँ।     2. गायत्री मंत्र साथ-साथ।    3. गुरु व मातृवन्दना मंत्र।        4.गायत्री आह्वान मंत्र
5. शिव संकल्पोपनिषद का हिन्दी भावार्थ दुहरवाएं (गायत्री स्तवन के तर्ज पर) (किताब प्रज्ञा अभियान का योग व्यायाम पृ.32)

(3)योग की व्याख्या 5 मिनट करें (सरलता पूर्वक  समझाएं )

    जैसे :- मित्रों, योग शब्द से ही स्पष्ट है कि यहाँ जोडऩे की बात कही जा रही है, जिस प्रकार से किसी एक अंक को दूसरे किसी एक अंक से जोड़ा जाता है, उसी प्रकार यहां भी जोडऩे का काम होता है, पर अंको का नहीं। भाईयों, बहनों हमारे गं्रथों व शास्त्रों में जहाँ भी योग शब्द का उल्लेख हुआ है, उसका तात्पर्य है-‘जीवात्मा का परमात्मा से मिलन, योग। ऋषियों ने मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य परमपिता परमात्मा को प्राप्त करना बताया है।’ अर्थात वह तरिका या पद्धति जिसके द्वारा परम लक्ष्य को पाया जा सकता है-योग है। शास्त्रों में कई प्रकार के  योग का उल्लेख मिलता है-मन्त्रयोग, लययोग, जपयोग, हठयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग,भक्तियोग, तन्त्रयोग, अष्टांयोग, राजयोग आदि।
    हम सभी यहाँ महर्षि पतञ्जलि प्रणीत अष्टांग योग से सम्बन्धित अभ्यासों को सीखेंगे-समझेंगे।
मित्रों महर्षि पतञ्जली ने योग के आठ अंग बताए हैं- यम, नियम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्याण, समाधि। इन आठ अंगों के बारे में हम प्रतिदिन प्रात: चर्चा करेंगे। योग के विशिष्ट अभ्यासों को सीखाने के पहले शरीर को स्वस्थ व लचीला बनाना जरूरी है। आइए अब हम सबसे पहले शरीर को योगाभ्यास के अनुकूल बनाने वाले कुछ स्थूल अभ्यास करें। सभी शिविरार्थी खड़े हो जाए (इसी प्रकार प्रतिदिन प्रात: संक्षिप्त में योग की जानकारी देकर अभ्यास प्रारंभ करवाएं) अगले दिन के योग कक्षा में कुछ इसी प्रकार की हल्क  फुल्की जानकारी देते रहें तथा- 1) अथयोगानुसार 2)योगश्चिवृत्ति निरोध: 3) यम-अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह  4) नियम- सत्य, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर, प्राणिधान  5)स्थिरसुख: आसनम्  6) एक और परिभाषा- ‘मन की चेष्टाओं को बर्हिमुखी बनने से रोक कर अन्र्तमुखी बनाते हुए आध्यात्मिक चिंतन में लगाने का अभ्यास ही योग है।’....आदि।

    (4) अभ्यास कराएं साथ-साथ इन क्रियाओंं का लाभ व महत्त्व भी समझाते चलें।
    1.गति योग- मिट्टी रौंदना, कदमताल, मशीनचाल, उछलकर पैरव हाथ फैलाने वाला अभ्यास, अब पिछले दोनों का मिला जुला अभ्यास, अपने स्थान पर दोनों  पंजो से उछलना।
    2.सुक्ष्म व्यायाम (पैर से सिर तक) - पैर अंगूठे अंगुलियों से आरंभ करके  कमर व गर्दन से होते हुए माथा तक का सूक्ष्म व्यायाम करवाएं।

     (5) अब शिविरार्थियों को थोड़ा विश्राम (किसान मुद्रा में) कराके आगे के अभ्यासों के बारें में जानकारी दें। उन्हें स्पष्ट करें कि ये सभी अभ्यास इसी क्रम से घर पर करना है। दो तीन माह तक शरीर को योग्य बनाते तक उपरोक्त अभ्यास अनिवार्यत: करना है बाद में उसे करने की
आवश्यकता नहीं है, ऐसा शिविराॢथयों  को समझाएं।

    (6) अब शिविरार्थियों को योगाभ्यास का नियमित पैकेज बताएं व सिखाएं- 1.सूर्य नमस्कार (10 मिनट) 2) प्रज्ञायोग (10 मिनट) 3)प्राणायाम (30 मिनट) भ्रस्त्रिका, कपालभाति, अग्निसार, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, ओंकार।  4) शवासन (10 मिनट )सब मिलाकर 1 घंटा।
    उपरोक्त सभी अभ्यास एक ही कक्षा में  नहीं बताना है। पांच दिन की पांच कक्षाओं में थोड़ा-थोड़ा करके सभी अभ्यास पूरा करवाएं। अभ्यास कराते समय उनके लाभ आदि को भी बताते चलें। साथ योगाभ्यास से सम्बन्धित आदर्श दिनचर्या, खानपान एवं अनुकूलता-प्रतिकूलता को भी समझाते चलें।
    विशेष:-योगाभ्यास रोककर बातें न करें, अभ्यास बराबर चलता रहे, थकान होने पर विश्राम मुद्रा व शवासन कराएं। कक्षा के अंत में ‘हास्यासन’ अवश्य कराएं। कक्षा में भी निरसता न आने पाए इसका ध्यान रखें।
    कक्षा को रोचक बनाने हेतु बीच में स्वास्थ्य कविता की पंक्तियां गाई जा सकती है। (गाने के साथ-साथ बालसुलभ अभिनय भी करवाएं)

कविता 1

एक-दो तीन, एक -दो चार पाँच छ: सात आठ
सबसे अच्छी तन्दरूस्ती, सौ की सीधी एक बात।
हेल्थ इस वेल्थ ये याद रखना।। एक कहाते। एक-दो...

कविता 2

कसरत करते हैं सब भाई, दौड़ लगाते  तडक़े-तडक़े
एक टमाटर रोज सबेरे जो कोई खाए
उसके घर में  डाक्टर कभी न आए। कसरत.....
    पांचवे दिन की कक्षा में लड़कियों में से 3व लडक़ों में से 3 ऐसे शिविरार्थियों का चयन करें जो सर्वश्रेष्ठ अभ्यासी साबित हों (दोनों पक्षों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान हेतु नामांकित कर लें जिन्हें समापन के दिन पुरस्कृत किया जाए।)
    अन्तिम दिन कुछ विशेष आसन व देशी व्यायाम का प्रदर्शन करें जिससे शिविरार्थियों में और अधिक जानने की ललक बनी रहे-
    विशेष आसन- 1. शीर्षासन 2. सर्वांगासन 3. हलासन 4. वकासन 5. हंसासन 6. मयूृरासन 7. चक्रासन.....आदि।
    देशी व्यायाम- 1. बैठक (साधारण) 2. राममूर्ति बैठक 3. हनुमान बैठक 4. बलवान बैठक 5. दण्ड (साधारण) 6. राममूर्ति दण्ड 7. हनुमान दण्ड 8. चक्रदण्ड 9. दण्ड बैठक (मिश्रित).....आदि।

अध्ययन हेतु पुस्तकें -

    1. प्रज्ञा अभियान का योग व्यायाम। 2. सूर्य नमस्कार-स्वामी सत्यानन्द सरस्वती 3. प्राणायाम रहस्य - बाबा रामदेव 4. यम - नियम 5. आसन प्राणायाम आदि।

    प्रश्रावली -

    1. योग से आप क्या समझते हैं?
    2. सूर्य नमस्कार के आसनों के नाम क्रम से बताएँ।
    3. कपालभाति प्राणायाम के लाभ बताएँ।
    4. क्या आसन और प्राणायाम ही योग है? हाँ तो कैसे, नहीं तो कैसे?
    5. प्रज्ञा योग करके बताएँ।
    6. अनुलोम-विलोम करके बताएँ।
    7. भस्रिका प्राणायाम के लाभ बताएँ।
        योगाभ्यास की कक्षा 15 मिनट पहले समाप्त करें एवं ध्यान का अभ्यास कराएँ एवं महत्व भी बताएँ।

आदर्श युवा  बनें

युवा स्यात्। साधु युवा, अध्यायिक :।
आशिष्ठों,  दृढिष्ठो, बलिष्ठ:।

अर्थ:-     ऋषि कहते हैं- युवा बनों?  युवा कैसे हों? उत्तर है- युवा साधु स्वभाव वाले हो, अध्ययनशील हों, आशावादी हो, दृढ़ निश्चय हों वाले और बलिष्ठ हों।     -उपनिषद्
     एक मनीषी - ‘‘शालीनता के अभाव में भूल बन जाता है अपराध। शौर्य बन जाता है उदण्डता, और सत्य बन जाता है बद्तमीजी।’’
    इसलिए ऋषि चाहता हैं कि- उत्साह शौर्य के धनी युवक साधु हों, शालीनता एवं सज्जनता से विभूषित हों।

- ‘युग निर्माण में युवा शक्ति का सुनियोजन’

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