Thursday 19, June 2025
कृष्ण पक्ष अष्टमी, आषाढ़ 2025
पंचांग 19/06/2025 • June 19, 2025
आषाढ़ कृष्ण पक्ष अष्टमी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082, शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), ज्येष्ठ | अष्टमी तिथि 11:55 AM तक उपरांत नवमी | नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 11:16 PM तक उपरांत रेवती | आयुष्मान योग 05:24 AM तक, उसके बाद सौभाग्य योग 02:45 AM तक, उसके बाद शोभन योग | करण कौलव 11:56 AM तक, बाद तैतिल 10:56 PM तक, बाद गर |
जून 19 गुरुवार को राहु 02:03 PM से 03:47 PM तक है | चन्द्रमा मीन राशि पर संचार करेगा |
सूर्योदय 5:21 AM सूर्यास्त 7:16 PM चन्द्रोदय 12:20 AM चन्द्रास्त 12:48 PM अयन उत्तरायण द्रिक ऋतु ग्रीष्म
- विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
- शक सम्वत - 1947, विश्वावसु
- पूर्णिमांत - आषाढ़
- अमांत - ज्येष्ठ
तिथि
- कृष्ण पक्ष अष्टमी
- Jun 18 01:35 PM – Jun 19 11:55 AM
- कृष्ण पक्ष नवमी
- Jun 19 11:55 AM – Jun 20 09:49 AM
नक्षत्र
- उत्तरभाद्रपदा - Jun 19 12:23 AM – Jun 19 11:16 PM
- रेवती - Jun 19 11:17 PM – Jun 20 09:45 PM

अध्यात्म की कसौटी | Adhyatam Ki Kasauti पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

तुम्हारी जन्मपत्री मैंने फाड़ दी | Tumhari Janmapatri Mainne Phad Di | अदभुत, आश्चर्यजनक किन्तु सत्य
गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, नित्य दर्शन












आज का सद्चिंतन (बोर्ड)




आज का सद्वाक्य




नित्य शांतिकुंज वीडियो दर्शन

!! परम पूज्य गुरुदेव का कक्ष 19 June 2025 गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

!! अखण्ड दीपक Akhand_Deepak (1926 से प्रज्ज्वलित) चरण पादुका गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार 19 June 2025

!! शांतिकुंज दर्शन 19 June 2025 !! गायत्री तीर्थ शांतिकुञ्ज हरिद्वार !!

अमृतवाणी: गुरु का निर्णय त्याग का प्रतिक हैं पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी
परम् पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश
मान लीजिए घर में तंगी आ जाए और कोई घर का मालिक नौकरी करने और व्यापार करने परदेश चला जाए, तो आप क्या समझते हैं? मनी ऑर्डर भेजता है, बच्चों का ख्याल रखता है। अब यह थोड़ी है कि बच्चों का ख्याल नहीं रखेगा। भगवान, आपने देखे हैं कहां हैं? भगवान, भगवान जाने कहां रहते हैं। क्षीरसागर में क्षीरसागर, आप कभी गए हैं? नहीं गए तो भगवान का नाम तो लेते हैं न।
भगवान है, कैलाश पर शंकर जी रहते हैं। कैलाश आपने देखा है? नहीं देखा है तो क्या हुआ? अच्छा बताइए, आपने दिल देखा है अपना? गुर्दे देखें अपने? अच्छा आपने अपना पेट, आमाशय देखा है? नहीं देखा है तो क्या वह काम नहीं करते हैं? सब काम करते हैं आपके लिए। आप ने देख लिया तो कोई नुकसान नहीं, और नहीं देखा तो भी कोई नुकसान नहीं।
आप देख लेंगे, देखने के कारण उसको आप मत ध्यान दीजिए। यह ध्यान दीजिए, गुरु जी को क्या ऐसा कदम उठाना पड़ा जो कि उनके स्वभाव से भिन्न है? हमेशा हमको रात होने को आती थी, तो भी लोगों से मिलते जुलते रहते थे, बात करते रहते थे, रास्ते में बात करते जाते थे। पर अब तो सब वह बातचीत करने का सिलसिला ही बंद हो गया।
आपको मालूम है न क्यों बंद कर दिया हमने? क्या ऐसा हुआ? दो काम करने पड़े, दो काम करने पड़े जो बड़े काम होते हैं, उनके लिए बड़े त्याग करने पड़ते हैं। भागीरथ के बारे में आपने सुना है? भागीरथ गंगा जी को लाए थे। पानी की बड़ी कमी पड़ गई थी, पानी कहीं नहीं था। पानी के बिना कुएं सूख गए थे, खेत सूख गए थे, जानवर प्यासे मर रहे थे, आदमी प्यासे मर रहे थे।
तो वह हिमालय चले गए, स्वयं अकेले अकेले मुसीबत उठाई उन्होंने। उसी अकेले मुसीबत उठा कर के वह गंगा जी को ले आए और गंगा जी से सारे का सारा इलाका ऐसा बना दिया, जिसके लिए इनके पित्र स्वर्गीय हो गए थे। वह ठीक हो गए। पानी की कमी थी, वह इफरात आ गई। खेत में हरियाली पैदा हो गई। उनका तप करना सार्थक हुआ।
अखण्ड-ज्योति से
लेनिन ग्राह के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. एल. लोजिन लोजिनस्को, ने सन् 1964 में एक प्रयोग किया। उन्होंने मक्के में लगने वाले कीटकों को शून्य से चार डिग्री नीचे हीलियम द्रव में जमा दिया। साढ़े छः घण्टे इसी दशा में रखने के बाद उन्होंने ताप देकर उनमें क्रमिक रूप से चेतना लाने का प्रयत्न किया 20 में से 13 कीटक फिर से जीवित हो गये; किन्तु शेष 6 में से किसी की चेतना लाना सम्भव न हो सका। इससे एक सम्भव न हो सका। इससे एक सम्भावना विज्ञान जगत में यह जगी कि शरीर कोशिकाओं को सुरक्षित रख कर लम्बे समय तक उपरान्त भी उसमें चेतना का संचार सम्भव है।
जब यह प्रयोग चल रहा था, उन्हीं दिनों सोवियत रूस में एक घटना घट गई। 23 वर्षीय युवा कृषक ब्लादिमीर खारिन एक दिन अपने खेत पर ट्रेक्टर चला रहा था कि अचानक जोर का बर्फीला तूफान आ गया। ब्लादिमीर उसकी चपेट में आ गया। वह छः घंटे बर्फ में दबा पड़ा रहा। जब उसे ढूँढ़ा गया, तब तक उसका शरीर बर्फ की तरह ठंडा पड़ चुका था। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया।
नेगोवस्की एक प्रतिष्ठित स्थानीय वैज्ञानिक थे। उनको जब इस घटना की जानकारी मिली, तो वे वहाँ पहुँचे तथ्यों का पता लगाया और एक प्रयोग करने का निश्चय किया। उन्होंने मृतक के पाँवों को गर्म पानी में डाला और उसे एड्रिनेलीन का इंजेक्शन देकर कृत्रिम साँस देना प्रारम्भ किया। शरीर में बाहर से थोड़ा रक्त भी पहुँचाया गया और समस्त काया की सेकाई की गई। उष्णता का संचार होते ही धीरे-धीरे साँसें चलने लगी। थोड़ी देर पश्चात् वह पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति की तरह चलने फिरने लगा।
इस घटना के विश्लेषण से पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि मृत्यु है क्या? साधारण तया हृदय ओर साँस गति रुक जाने को मृत्यु कहते है, किन्तु अब वैज्ञानिक यह बात नहीं मानते। आपरेशन करते समय हृदय गति रुक जाती है, डॉक्टर मालिश करके उसे फिर प्रारम्भ कर लेते है। इन दिनों हृदय बदलने के अनेक प्रयोग हो रहे है। इस क्रिया में दूसरा हृदय प्रत्यारोप करने से पूर्व पहले को निकालना होता है। इस प्रकार आपरेशन सफल बनता और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।
लोगों की यह कल्पना मनुष्य को ऑक्सीजन भोजन या पानी नहीं मिले, तो उसकी मृत्यु हो जायेगी-यह मान्यता भी निराधार सिद्ध हो चुकी है। शरीर को गर्म रखने के लिये यह वस्तुएँ निमित्त मात्र है। यदि हवा, पानी और भोजन न भी मिले, तो भी मनुष्य जीवित रह सकता है। समाधि लगाने वाले योगी इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है। जनसामान्य के लिए योगियों का यह प्रमाण यदि अग्राह्य स्तर का हो, तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान की साक्षी उनके समक्ष प्रस्तुत है।
... क्रमशः जारी
अखण्ड ज्योति 1995 अगस्त पृष्ठ 31
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Newer Post | Home | Older Post |