
कलियुग अभी शेष है
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(श्री श्याम जी शर्मा काव्यतीर्थ भदबर, आरा)
मथुरा निवासी पं. राधेश्याम का कलियुग संबन्धी लेख अखण्ड ज्योति गत अंक में देख कर सम्पूर्ण चाव के साथ पढ़ गया।
अखण्ड ज्योति पृष्ठ 32 पर लिखा है-”सूर्य की उत्तर दक्षिण गति को ही दिव्य वर्ष कहते हैं।” जिसकी गति 360 संख्या है। अर्थात् उत्तरायण के 6 मास और दक्षिणायन के छै मास के 360 दिन रात मनुष्यों के हुए। इसी को दिव्य वर्ष कहते हैं, पर यह सरासर गलत और भ्रान्ति मूलक है। मनुस्मृति अ. 1 श्लोक 67 इस तरह है।
दैवे रात्रयहनी वर्ष प्रविभागत्तयोः पुनः,
अहस्तत्रोदगयनो रात्रिः स्याद्दक्षिणायनम्।
तिस पर कुल्लूक भट्ट लिखते हैं। “मानुषाणाँ वर्ष देवानाँ रात्रि दिन भवतः” अर्थ-मनुष्यों का एक वर्ष देवों का रात-दिन होता है और छः महीना दक्षिणायन रात है। इस मनु वाक्य से स्पष्ट है, कि मनुष्यों के 360 दिन-रात अर्थात् एक वर्ष देवों का एक रात है। इस हिसाब से मनुष्यों के 360 वर्ष का एक देव वर्ष हुआ। और 4000 दिव्य वर्ष का सत युग होता है। 400 दिव्य वर्ष की संध्या और 400 दिव्य वर्ष का संध्याँश। इस तरह 4800 दिव्य वर्ष का सतयुग होता है। यथा-
चत्वार्याहुः सहस्त्राणि वर्षाणाँ तु कतु युगम
तस्य तावच्छती संख्या संध्याँशव्श्र तथा विधः।
॥ मनु 1-69॥
3600 दिव्य वर्ष का त्रेता होता है। 2400 दिव्य वर्ष का द्वापर और 1200 दिव्य वर्ष का कलियुग। इस तरह चारों युग का योग 4800+3600+2400+1200=12000 दिव्य वर्ष का कलयुग अभी शेष है। चारों युग होता है। जो चार युग की संख्या कह चुके वही 12000 दिव्य वर्ष का देवों का 1 युग होता है।
मनु के 67 से 71 तक के श्लोकों में स्पष्ट कहा है कि कलियुग 1200 दिव्य वर्ष का होता है। 67 में है कि मनुष्यों के 360 दिन का देवों का एक दिन होता है। मनुष्यों के 360 वर्ष का देवों का 1 वर्ष होता है, कलियुग देवों के 1200 वर्ष का होता है, अतः 1200 दिव्य वर्ष को 360 मानुष वर्ष से गुणा करने पर 1200 ग 360 = 432000 मनुष्य वर्ष का कलियुग होता है। अभी कलियुग का केवल 5042 मानुष वर्ष बीता है। तब “कलियुग समाप्त हो रहा है” कैसे?
ऐसी ही भूल ‘चेतावनी’ के लेखक महात्माजी ने की, जिन्होंने उलटी गिनती कर 4800 मानुष वर्ष कलियुग की संख्या मानी है। मनुस्मृति से कलियुग की आयु 4800 मानुष वर्ष कभी सिद्ध नहीं हो सकता। मनु कहते हैं कि 4800 वर्ष की आयु है (श्लोक 69) और मनुष्यों के 1 वर्ष अर्थात् 360 रात दिन का एक दिव्य रात दिन होता है (श्लोक 67) तब किस हिसाब से 4800 वर्ष कलयुग की आयु होगी? श्लोक 69 को टीकास में कुल्लूक भट्ट ने लिखा है “वर्ष संख्या च इयं दिव्य मानेन।” मनु ने सतयुग की वर्ष संख्या जो 4800 वर्ष कही यह दिव्य मान से है और प्रमाण में विष्णु पुराण का यह वचन देते हैं।
दिव्यैः वर्ष सहस्त्रैः तु कृतत्रेतादि संज्ञितम् चतुयुर्ग द्वादशभिः।
सतयुग त्रेता आदि की संबा दिव्य सहस्त्र वर्ष से है। 12000 दिव्य वर्षों का चार युग होता है। मनु के वचन में और विष्णु पुराण के वचन में कोई भेद नहीं। भेद है उलटी गणना करने में। 1200 मनुष्य वर्ष का सतयुग और 4800 मनुष्य वर्ष का कलियुग कहना बिल्कुल भ्रान्ति मूलक है। अतएव 2000 विक्रम में कलियुग समाप्त होगा। यह किसी महात्मा का झूठा स्वप्न है। जिसको पण्डित राधेश्याम जी ने बिना समझे लिख दिया है।