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निस्सन्देह आदमी का आस्तित्व उसके कामों से अथवा उसकी सफलताएं उसके विचारों से जुदा नहीं है। ये सब उसके विचारों के अनुकूल ही हैं। आत्म-ज्ञान के बिना आदमी वृद्धि अथवा प्रगति नहीं कर सकता।
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जो आदमी अपने अन्तःकरण के संकेतों से काम लेते रहते हैं, उनकी विवेक शक्ति अथवा भले बुरे के पहिचानने की शक्ति बढ़ती रहती है।
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तुम्हें अपने प्रत्येक उद्देश्य की खूब-छान-बीन करनी चाहिये और इस काम में तुम्हें तब तक लगे रहना चाहिये, जब तक अपने उद्देश्य के बारे में यह विश्वास न हो जाय कि इसका भाव ठीक है।
ब्रह्मचर्य सम्बंधी-