
तीन विश्वस्त भविष्यवाणियाँ
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(1)
ईसाई धर्म पुस्तक ‘मत्ती रचित सुसमाचार’ पर्व 24 में लिखा है कि ‘चौकस रहो कि कोई तुम्हें न भरमाए। क्योंकि बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे कि मैं मसीहा हूँ और बहुतों को भरमायेंगे। तुम लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, देखो, घबराना मत क्योंकि इनका होना अवश्य है। पर उस समय अन्त न होगा, क्योंकि जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा और जगह-जगह अकाल पड़ेंगे और भुँमिडोल होंगे। तब बहुतेरे ठोकर खायेंगे और एक दूसरे को पकड़वायेंगे और एक दूसरे से वैर रखेंगे। बहुत से झूठे नये उठ खड़े होंगे और बहुतों को भरमायेंगे। अधर्म बढ़ने से बहुतों का दम ठण्डा हो जायेगा, पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा उसी का उद्धार होगा। स्वर्ग के राज्य (सतयुग) का यह सुसमाचार इसी समय सारे जगत में प्रचार किया जायेगा।’
‘तब जो यहूदियों में होंगे पहाड़ों पर भाग जायें। जो कोठों पर होंगे वे अपना सामान लेने के लिए नीचे न उतर सकेंगे, जो खेत में होंगे वे अपने कपड़े लेने के लिए पीछे न लौट सकेंगे। गर्भवती और दूध पिलाती औरतों की दशा हाय-हाय, बड़ी कष्टकर होगी। उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा कि जगत के आरंभ से न अब तक हुआ है और न कभी होगा यदि वे दिन घटाए न जाते तो कोई प्राणी न बचता। पर चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जायेंगे।’
‘जब तुम इन सब बातों को देखो तो मान लो कि वह (अवतार) निकट है वरन् द्वारा ही पर है। आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे पर मेरी दृष्टि कभी न टलेगी।’
(2)
कुछ दिन पूर्व सुप्रसिद्ध दानवीर सेठ जुगल किशोर जी बिड़ला ने अखबारों में एक समाचार प्रकाशित कराया था। उसमें अवधूत केशवानन्द जी का परिचय इस प्रकार करवाया गया था कि वे इस समय करीब 70 वर्ष के प्रतीत होते हैं, दिन में एक बार दही आदि फलाहार लेते हैं। कोई सेवक या शिष्य साथ नहीं रहने देते। सर्दी की ऋतु में उत्तरकाशी के पास बर्फ के पहाड़ों के बीच आधी रात के पश्चात गंगा की धारा में खड़े जप करते हैं और गर्मी की ऋतु में ऋषिकेश के निकट जलते हुए पत्थरों पर सूर्य के सामने खड़े होकर जप करते हैं। यह पिछले 30-40 वर्षों से इसी प्रकार तपस्या करते देखे गये हैं। केवल एक कोपीन धारण करते हैं।
सेठ जुगलकिशोर जी बिड़ला ने स्वयं उनके दर्शन किये हैं और दूसरे विश्वसनीय महानुभावों से बहुत कुछ सुना है।
यह सिद्ध योगी हिन्दू जाति की वर्तमान दुर्दशा से बड़े दुखी हैं और इस संबंध में अपना विश्वास प्रकट करते हैं कि-’अभी कुछ दिनों तक हिन्दू जाति की विपत्ति और बढ़ेगी। संवत् दो हजार के लगभग संसार में भयंकर अशाँति फैलेगी, उसकी वजह से आरंभ में हिन्दू जाति को भी घोर कष्ट उठाने पड़ेंगे। उसके पश्चात एक ऐसी आत्मा प्रकट होगी जो दुख शोकों का निवारण कर देगी।’
(3)
श्रीस्वामी रामतीर्थ जी ने सतयुग के संबंध में एक बड़ी ही महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की थी, पाठकों को उस पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिये।
‘केवल स्वयं अथवा कुछ मनुष्यों को साथ लेकर मैं पूर्ण निश्चय करता हूँ कि दस वर्ष के अन्दर भारतवर्ष में सत्यता का पूर्ण रूप से प्रचार कर दूँगा और भारतवर्ष से मोहान्धकार तथा अन्य कमजोरी को निकाल कर बाहर करूंगा। बीसवीं सदी के प्रथम माघ में भारतवर्ष पूर्व काल से कहीं अधिक उन्नति व सम्मान के शिखर पर होगा। मेरे इन शब्दों को सर्वत्र प्रचारित किया जाय।’