
चतुर कौन है?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(समर्थ गुरु रामदास)
काला मनुष्य गोरा नहीं हो सकता इसी प्रकार कुरूप का सुन्दर, गूँगे का वाचाल, पंगु का द्रुतगामी होना कठिन है, इच्छा करने से कुरूपता नहीं जाती पर हाँ, मूर्खता अवश्य चली जाती है। इसलिए चतुर मनुष्य अपनी अविद्या और कुटेबों को ढूँढ़ कर त्यागने और उनके स्थान पर सद्ज्ञान एवं सत् स्वभावों को अपने अन्दर धारण करने का प्रयत्न करते रहते हैं। जो व्यक्ति प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता है, उसे चाहिए कि अपने सद्गुणों की वृद्धि करने में जी जान से जुट जावे। जो शिक्षा ग्रहण नहीं करता, उद्योग नहीं करता, परिश्रम नहीं करता, अपनी त्रुटियों को ढूँढ़कर उनका संशोधन नहीं करता निश्चय समझिए कि वह जीवन फल प्राप्त न कर सकेगा। हम पूछते हैं, कि तुम क्या चाहते हो? यह कि लोग तुमसे प्रसन्न रहें और मित्र भाव बरतें? या यह कि सब लोग अप्रसन्न होकर तुम्हारे ऊपर टूट पड़ें? सुनो, तुम दूसरों के साथ जैसा बरताव करोगे वो भी तुमसे वैसा ही व्यवहार करेंगे। जो न्याय का व्यवहार करता है वह चतुर है, क्योंकि दूसरे भी उससे न्याय का व्यवहार करेंगे, सज्जन को ही सुख शान्ति और सहानुभूति भरा व्यवहार प्राप्त होता है। जो निर्दयी, अन्यायी और अहंकारी है, उसे स्वयं भी दूसरों के अन्याय, अहंकार का भागी बनना पड़ेगा। दूसरों को दुख देने वाला सुखी जीवन नहीं बिता सकता।
सुख, वैभव, ऐश्वर्य और कीर्ति सब लोग चाहते हैं, परन्तु तन-मन से परिश्रम किये बिना स्थायी रूप से इनमें से एक भी वस्तु प्राप्त नहीं हो सकती। आलस्य सुख का शत्रु और उद्यम आनन्द का सहचर है, जो इस तथ्य को भली भाँति समझता है वह भाग्यवान है, वही बुद्धिमान है, वही चतुर है, बहुतों की जबान पर रहना, बहुतों के हृदय में रहना, बहुतों के साथ रहना, संसार में धर्म बढ़ाना और पतितों को पवित्र करना, यही तो चतुरता का लक्षण है।