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Magazine - Year 1964 - Version 2

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समय जरा भी बर्बाद मत होने दीजिए

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First 21 23 Last
संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असम्भव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है लेकिन एक ऐसी भी चीज है जिसे एक बार खोने के बाद कभी नहीं पाया जा सकता और वह है समय। एक बार हाथ से निकला हुआ समय फिर कभी नहीं हाथ आता। कहावत में है “बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कभी वापिस नहीं बुलाए जा सकते।” समय परमात्मा से भी महान् है। भक्ति-साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है लेकिन गुजरा हुआ समय पुनः नहीं मिलता।

समय ही जीवन की परिभाषा है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय का सदुपयोग करना जीवन का उपयोग करना है। समय का दुरुपयोग करना जीवन का नष्ट करना है। समय किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता। वह प्रतिक्षण मिनट घण्टे, दिन महीने वर्षों के रूप में, निरन्तर अज्ञात दिशा को जाकर विलीन होता रहता है। समय की अजस्र धारा निरन्तर प्रवाहित होती रहती है। और फिर शून्य में विलीन हो जाती है। फ्रैंकलिन ने कहा है- समय बरबाद मत करो क्योंकि समय से ही जीवन बना है।” निस्संदेह वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम समय का पूरा-पूरा सदुपयोग करें।

शेक्सपीयर ने कहा है “मैंने समय को नष्ट किया है अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।” सचमुच जो व्यक्ति अपना तनिक-सा भी समय व्यर्थ नष्ट करते हैं उन्हें समय अनेकों सफलताओं से वंचित कर देता है। नेपोलियन ने आस्ट्रेलिया को इसलिए हरा दिया कि वहाँ के सैनिकों ने पाँच ही मिनट का विलम्ब कर दिया उसका सामना करने में। लेकिन वही नेपोलियन कुछ ही मिनटों में बन्दी बना लिया गया क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ ही मिनट विलम्ब से आया। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय इसी कारण से हुई । समय की उपेक्षा करने पर देखते-देखते विजय का पासा पराजय में पलट जाता है। लाभ हानि में बदल जाता है।

संसार में जितने भी महान पुरुष हुए हैं उनकी महानता का एक ही आधार स्तम्भ है कि उन्होंने अपने समय का पूरा- पूरा उपयोग किया। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। जिस समय लोग मनोरंजन खेल तमाशों में मशगूल रहते हैं, व्यर्थ आलस्य प्रमाद में पड़े रहते हैं, उस समय महान् व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्यों का सृजन करते रहते हैं। ऐसा एक भी महापुरुष नहीं जिसने अपने समय को व्यर्थ नष्ट किया हो और वह महान् बन गया हो। समय बहुत बड़ा धन है। भौतिक धन से भी अधिक मूल्यवान। जो इसे भली प्रकार उपयोग में लाता है वह सभी तरह के लाभ प्राप्त कर लेता है। वह छोटी-सी उम्र में ही दूसरों से बहुत आगे बढ़ जाता है।

समय जितना कीमती और फिर न मिलने वाला तत्व है उतना उसका महत्व प्रायः हम लोग नहीं समझते। हममें से बहुत से लोग अपने समय का बहुत ही दुरुपयोग करते हैं उसको व्यर्थ की बातों में नष्ट करते रहते हैं। आश्चर्य है समय ही ऐसा पदार्थ है जो एक निश्चित मात्रा में मनुष्य को मिलता है लेकिन उतना ही अधिक अपव्यय भी होता है। हममें से कितने लोग ऐसा सोचते हैं कि हमारा कितना समय आवश्यक और उपयोगी कार्यों में लगता है और कितना व्यर्थ के कामों में, सैर सपाटे, मित्रों से गपशप, खेल तमाशे, मनोरंजन, आलस्य, प्रमाद आदि में? हम कितना समय नष्ट करते हैं व्यर्थ की बकवास, अनावश्यक कार्यों में? हम कितना समय नष्ट करते हैं यदि इसका लेखा जोखा लें तो प्रतीत होगा कि अपने जीवन -धन का एक बहुत बड़ा भाग हम अपने आप ही व्यर्थ नष्ट कर डालते हैं समय के रूप में। काश एक - एक मिनट घण्टे, दिन का हम उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि हम जीवन में महान् सफलताएँ प्राप्त न करें।

समय की बरबादी का सबसे पहला शत्रु है किसी काम को आगे के लिए टाल देना। “आज नहीं कल करेंगे।” इस कल के बहाने हमारा बहुत- सा समय नष्ट हो जाता है। स्वेट मार्डेन ने लिखा है “इतिहास के पृष्ठों में फल की धार पर कितने प्रतिभावानों का गला कट गया। कितनों की योजनायें अधूरी रह गईं, कितनों के निश्चय बस यों ही रह गये, कितने पछताते हाथ मलते रह गये। कल असमर्थता और आलस्य का द्योतक है।”

इस कल से बचने के लिए ही महात्मा कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा है।

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।

पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब॥

कल पर अपने कोई भी काम न टालें। जिन्हें आज करना है उन्हें आज ही पूरा करलें। स्मरण रखिए प्रत्येक काम का अपना अवसर होता है और अवसर वही है जब वह काम आपके सामने पड़ा है। अवसर निकल जाने पर काम का महत्व भी समाप्त हो जाता है तथा बोझ भी बढ़ता जाता है। स्वेट मार्डेन ने लिखा है “बहुत से लोगों ने अपना काम कल पर छोड़ा और वे संसार से पीछे रह गये अन्य लोगों द्वारा प्रतिद्वन्दिता में हरा दिये गए।”

समय का ठीक -ठीक लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि एक समय एक ही काम किया जाय। जो व्यक्ति एक समय में अनेकों काम करना चाहते हैं उनका कोई भी काम पूरा नहीं होता और उनका अमूल्य समय व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है।

जो काम स्वयं करना है उसे स्वयं ही पूरा करें। अपना काम दूसरों पर छोड़ना भी एक तरह से दूसरे दिन काम टालने के समान ही है। ऐसे व्यक्ति का अवसर भी निकल जाता है और उसका काम भी पूरा नहीं होता।

अपना समस्त जीवनक्रम एक सुनिर्धारित समय विभाजन-चक्र के अनुसार चलावें। उठने, नहाने, घूमने जाने, कार्य करने, अध्ययन, मनन, चिन्तन, गृहकार्य आदि का एक बंधा हुआ समय हो। और ठीक समय पर अपने काम में लग जाना चाहिए। पत्रों का उत्तर तत्काल दें। दिए हुए समय पर लोगों से मिलने जायें। अपने दैनिक जीवन में छोटे- छोटे कार्यों में भी नियमितता बरतें, समय के पाबन्द बनें।

जरा विचार कीजिए आपको अमुक दिन अमुक गाड़ी से बम्बई जाना है। अगर आप गाड़ी के सीटी देने के एक मिनट बाद स्टेशन पहुँचे तो फिर आपको वह गाड़ी, वह दिन, वह समय कभी नहीं मिलेगा। निश्चित समय निकल जाने के बाद आप किसी दफ्तर में जायें तो निश्चय है आपका काम नहीं होगा। आपको स्मरण होगा ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, जार्ज वाशिंगटन आदि को सड़क पर से गुजरते देखकर लोग अपनी घड़ियाँ मिलाते थे। अपने काम और समय का इस तरह मेल रखें कि उसमें एक मिनट का भी अन्तर न आये। तभी आप अपने समय का पूरा-पूरा सदुपयोग कर सकेंगे।

आलस समय का सबसे बड़ा शत्रु है। यह कई रूपों में मनुष्य पर अपना अधिकार जमा लेता है। कई बार कुछ काम किया कि विश्राम के बहाने हम अपने समय को बरबाद करने लगते हैं। वैसे बीमारी, तकलीफ आदि में विश्राम करना तो आलस्य नहीं है। थक जाने पर नींद के लिए विश्राम करना भी बुरा नहीं हैं। थकावट हो नींद, आये तो तुरन्त सो जावे लेकिन आँखें खुलने पर पड़े-पड़े चारपाई न तोड़ें। अभी उठते हैं, अभी उठते हैं, कहते रहें तो यही आलस्य का मन्त्र है। आँखें खुली कि तुरन्त अपने काम में लग जायें।

रस्किन के शब्दों में “जवानी का समय तो विश्राम के नाम पर नष्ट करना ही घोर मूर्खता है। क्योंकि यही वह समय है जिसमें मनुष्य अपने जीवन का, अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। जिस तरह लोहा ठण्डा पड़ जाने पर घन पटकने से कोई लाभ नहीं उसी तरह अवसर निकल जाने पर मनुष्य का प्रयत्न भी व्यर्थ चला जाता है।” विश्राम करें अवश्य करें। अधिक कार्यक्षमता प्राप्त करने के लिए विश्राम आवश्यक है लेकिन उसका भी समय निश्चित कर लेना चाहिए। और विश्राम के लिए ही लेटना चाहिये।

समय बड़ा मूल्यवान है। उसे बड़ी कन्जूसी से खर्च करना चाहिए। जितना अपने समय-धन को बचाकर उसे आवश्यक उपयोगी कार्यों में लगावेंगे उतनी ही अपने व्यक्तित्व की महत्ता एवं कीमत बढ़ती जायेगी। नियमित समय पर काम करने का अभ्यास डालें। इसकी आदत पड़ जाने पर आपको स्वयं ही इसमें बड़ा आनन्द आने लगेगा।

यदि मनुष्य प्रतिदिन किसी काम विशेष में थोड़ा-थोड़ा समय भी लगावें तो वह उसमें महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त कर सकता है। महा मनीषी स्वेट मार्डेन ने कहा है “जीवन भर एक विषय में नियमित रूप से प्रतिदिन एक घण्टा लगाने वाला व्यक्ति उस विषय का उद्भट विद्वान बन सकता है।” प्रतिदिन एक घण्टा पढ़कर मूर्ख भी विद्वान बन सकता। जरा अनुमान लगाइए कोई भी प्रतिरोज एक घण्टे में 20 पृष्ठ पढ़ता है तो साल में वह 7300 पृष्ठ पढ़ डालेगा। इसका अर्थ हुआ 100 पृष्ठ की 73 पुस्तकें वह एक साल में पढ़ लेगा। दस वर्ष में 730 पुस्तकें पढ़ने वाले व्यक्ति का ज्ञान, विचार-स्तर कैसा होगा इसके बारे में पाठक स्वयं ही अन्दाज लगा सकते हैं। अतः समय को मामूली न समझें नियमित रूप से कोई भी काम आप करेंगे तो धीरे-धीरे उसमें बहुत बड़ी योग्यता हासिल कर लेंगे यह निश्चित है।

समय की बर्बादी आज कल मनोरंजन के नाम पर भी बहुत होती है। रेडियो, सिनेमा, खेल, तमाशे, ताश शतरंज आदि में हम नित्य ही अपना बहुत-सा समय बर्बाद करते रहते हैं। महात्मा गाँधी ने एक बार अपने पुत्र मणिलाल को पत्र में लिखा था “खेलकूद, मनोरंजन का समय बारह वर्ष की उम्र तक है।” आज हम इसमें अपना कितना समय खर्च करते हैं यह स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। मनोरंजन खेल आदि को जीवन में रखा ही जाय तो उसके लिये भी एक नियत समय रखना चाहिए।

अपने आस पास का वातावरण, ऐसा रखना चाहिए कि अपना समय किसी कारण बर्बाद न हो। वक्त बर्बाद करने वाले दोस्तों से दूर की ‘नमस्ते’ रखनी चाहिए। निठल्ले लोग ही अक्सर दूसरे का वक्त बर्बाद करने जा पहुँचते हैं। इन्हें दोस्त नहीं दुश्मन मानना ही उचित है।

स्मरण रखिए समय बहुत मूल्यवान वस्तु है। इससे आप जितना लाभ उठा सकते हैं उठाएँ। आप समय को नष्ट करेंगे तो समय भी आपको नष्ट कर देगा। समय के सदुपयोग पर ही आप कुछ बन सकते हैं।

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