
गौरक्षा के लिए एक महान पुरश्चरण
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
गत वर्ष इन्हीं दिनों पाकिस्तान का आक्रमण हुआ था, चीन आक्रमण के लिए उतारू हो गया था उस दुरभिसंधि का मुकाबला करने के लिए हमारी सेना ने, राजनीतिज्ञों ने तथा जनता ने साहस और त्याग बलिदान से भरे कदम उठाये। ऐसे अवसर पर इस बात की भी भारी आवश्यकता थी कि सूक्ष्म वातावरण में ऐसी अदृश्य आध्यात्मिक स्फूरणा, चेतना एवं भावना उत्पन्न की जाय जिससे देश की शक्ति एवं सामर्थ्य बढ़े और आक्रमणकारियों का कुचक्र छिन्न-भिन्न हो जाय।
उपरोक्त आवश्यकता की पूर्ति के लिए गायत्री परिवार के सदस्यों ने एक सामूहिक शक्ति पुरश्चरण आरम्भ किया, जिसमें शत्रु संहारिणी दुर्गा के ‘क्लीं’ बीज समेत प्रतिमास 24 करोड़ जप करने का संकल्प किया गया। बड़ी प्रसन्नता की बात है कि वह इस युग का अद्भुत पुरश्चरण एक वर्ष में इस आश्विन मास की विजय दशमी को पूर्ण सफलता के साथ पूर्ण हो गया। प्रयोजन पूरी तरह सफल रहा। आक्रमणकारी अपना-सा मुँह लेकर रह गये। भारतीय जनता विजयी हुई।
इस महापुरश्चरण की पूर्णाहुति देश भर में फैली हुई 3000 गायत्री परिवार की शाखाओं ने समारोह पूर्वक सम्पन्न की। जिन 10 हजार साधकों ने उस अभियान में एक वर्ष तक निष्ठापूर्वक भाग लिया उनके तप, त्याग की जितनी प्रशंसा की जाय कम है। राष्ट्र की रक्षा और प्रगति के लिए हम अध्यात्मवादियों को अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करना ही चाहिए था, प्रसन्नता की बात है कि वह किया भी गया।
अब इस वर्ष गौ-रक्षा के लिए गायत्री परिवार द्वारा गत वर्ष जैसा ही एक दूसरा पुरश्चरण आरम्भ किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 24 करोड़ गायत्री जप ‘ह्री’ बीज समेत होगा। ‘ह्री’ ज्ञान और विवेक की देवी सरस्वती का बीज मन्त्र है। इसके फलस्वरूप सूक्ष्म वातावरण में वह चेतना एवं स्फुरणा उत्पन्न होगी, जिसके आधार पर गौमाता की रक्षा और उन्नति के लिए जन-साधारण में भावना तीव्र हो, सरकार गौवध रोकने का कानून बनावे और वे परिस्थितियाँ उत्पन्न हों जिनमें गौ संवर्धन की विभिन्न योजनाएँ कार्यान्वित हो सकें।
‘ह्रीं’ बीज का उपयोग गत वर्ष की भाँति ही होगा। “ॐ भूर्भुवः स्वः ह्रीं, ह्रीं, तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ह्रीं, ह्रीं, ह्रीं” इस मन्त्र की एक माला प्रत्येक गायत्री उपासक को जपनी चाहिए। इस समय परिवार में इतने नैष्ठिक उपासक हैं, जिनके द्वारा एक-एक माला उपरोक्त मन्त्र की जपने पर हर महीने 24 करोड़ जप पूरा होता रहेगा। यह संकल्प एक वर्ष के लिये है, अगले वर्ष विजय दशमी को ही इसकी भी पूर्णाहुति होगी।
विश्वासपूर्वक यह आशा करनी चाहिये कि गत वर्ष के महापुरश्चरण की भाँति ही—यह आत्मशक्ति के माध्यम से विनिर्मित ब्रह्मास्त्र भी सफल होगा और ऐसी अनेक परिस्थितियाँ अप्रत्याशित रूप से बनेंगी, जिनके द्वारा कठिन प्रतीत होने वाली समस्या बहुत बड़ी सफलता के साथ हल हो सके। जिन्हें आत्मशक्ति पर विश्वास है वे जानते हैं कि विधिवत् की हुई साधनाएं, तपश्चर्याएँ कभी निष्फल नहीं जाती। हमारा यह प्रयोग भी निष्फल जाने वाला नहीं है।
प्रत्येक गायत्री उपासक से अनुरोध है कि यह पंक्तियाँ पढ़ने के बाद प्रतिदिन एक माला ‘ह्नीं’ बीज समेत गायत्री उपासना गौरक्षा के नियमित आरम्भ कर दें और उसके द्वारा होने वाले महान पुण्य एवं सत्परिणाम के भागी बनें। जो सज्जन इस पुरश्चरण में सम्मिलित हों वे इसकी सूचना युग-निर्माण योजना मथुरा के पते पर हमें देदें ताकि संख्या की सही गणना हो सके।