• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • परमात्मा को भूलो मत
    • कर्त्तव्य धर्म की भाव भरी प्रेरणा
    • प्रेम रूपी अमृत और उसका रसास्वादन
    • मुक्तोहमद्भुतात्माअहम्
    • Quotation
    • काल से अतीत, अतीत-ब्रह्माण्ड विज्ञानात्मा की अनुभूति
    • आत्म चेतना का विकास वृक्ष-वनस्पतियों में
    • Quotation
    • सत्य का निवास सुविस्तृत ज्ञान में है।
    • घाट का पत्थर
    • श्रद्धा और विश्वास भरा सरस एवं सफल जीवन
    • परम कल्याणी-मंगलमयी वाणी
    • Quotation
    • स्वर्ग का अधिकार
    • अनाचार पर सदाचार की विजय
    • स्वप्नों में छिपे जीवन सत्य
    • Quotation
    • बिन्दु पग चलइ-सुनइ बिनु काना
    • Quotation
    • औषधियों का अत्याचार
    • विनाश से बचने के लिये धर्म-चेतना जगायें
    • परम शक्तिशाली तत्व-प्रकाश
    • भाई रे भक्ति की शक्ति अपार
    • साढ़े दस गुनी बड़ी-शाकाहार शक्ति
    • यज्ञ-पूर्ण हो गया
    • मालिकों को जगाओ-प्रजातन्त्र बचाओ-1
    • कुण्डलिनी योग का स्वरूप और प्रयोग
    • अमेरिकन राष्ट्रपति के पास एक झाडू
    • दूसरे लोकों से भी लोग आते हैं?
    • अपनों से अपनी बात
    • न करिये कबिरा गरब
    • यह सोने का पिंजड़ा है
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • परमात्मा को भूलो मत
    • कर्त्तव्य धर्म की भाव भरी प्रेरणा
    • प्रेम रूपी अमृत और उसका रसास्वादन
    • मुक्तोहमद्भुतात्माअहम्
    • Quotation
    • काल से अतीत, अतीत-ब्रह्माण्ड विज्ञानात्मा की अनुभूति
    • आत्म चेतना का विकास वृक्ष-वनस्पतियों में
    • Quotation
    • सत्य का निवास सुविस्तृत ज्ञान में है।
    • घाट का पत्थर
    • श्रद्धा और विश्वास भरा सरस एवं सफल जीवन
    • परम कल्याणी-मंगलमयी वाणी
    • Quotation
    • स्वर्ग का अधिकार
    • अनाचार पर सदाचार की विजय
    • स्वप्नों में छिपे जीवन सत्य
    • Quotation
    • बिन्दु पग चलइ-सुनइ बिनु काना
    • Quotation
    • औषधियों का अत्याचार
    • विनाश से बचने के लिये धर्म-चेतना जगायें
    • परम शक्तिशाली तत्व-प्रकाश
    • भाई रे भक्ति की शक्ति अपार
    • साढ़े दस गुनी बड़ी-शाकाहार शक्ति
    • यज्ञ-पूर्ण हो गया
    • मालिकों को जगाओ-प्रजातन्त्र बचाओ-1
    • कुण्डलिनी योग का स्वरूप और प्रयोग
    • अमेरिकन राष्ट्रपति के पास एक झाडू
    • दूसरे लोकों से भी लोग आते हैं?
    • अपनों से अपनी बात
    • न करिये कबिरा गरब
    • यह सोने का पिंजड़ा है
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1971 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


दूसरे लोकों से भी लोग आते हैं?

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 28 30 Last
शक्ति उपासना का तत्वज्ञान भारतीय अध्यात्म शक्ति का अविच्छिन्न अंग है। गायत्री को आद्य शक्ति कहा जाता है। उसकी शाखाएं प्रशाखाएं अन्य देवी देवताओं में प्रकट होती चली गई। ब्राह्मी, वैष्णवी, शाँभवी के त्रिवर्ग में विभाजित होने के उपरान्त गायत्री अनेक नामों से जाने वाली देवियों के रूप में विस्तृत होती चली गई है। अन्यान्य देवशक्तियाँ की उपासना की प्रकारान्तर से आदि शक्ति गायत्री की प्रवाह धारा में ही सम्मिलित होती जाती है।

स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीरों में संव्याप्त महाशक्ति को गायत्री कहते हैं। ब्रह्मांड के भी तीन शरीर है भूः’ भुवः स्वः उन तीनों में ही त्रिपदा ही संव्याप्त है। इस प्रकार जो कुछ भीतर और बाहर है वह सब कुछ गायत्रीमय कहा जा सकता है। आद्य शक्ति का सुविस्तृत परिचय शास्त्रकारों ने इसी रूप में दिया है।

इड़ा च फ्िडल चैव सुषुम्णा च तृतीयका। गान्धारी हस्ति जिव्हा व पूषापूषा तथैव च॥

अलुम्बुषा कुहूश्चैव शंखिनी प्राण वाहिनी। नाड़ी चत्वं शरीरस्था गीयसे प्राक्तनैबुर्धः॥

हत्पद्यस्था प्राण शक्ति कण्ठस्था स्वप्न नायिका। तालुस्या त्वं सदाधारा बिन्दुस्या बिन्दुमालिनी॥

मूले तु कुण्डली शक्तिर्व्यापिनी केश मूलना। शिखा मध्यासना त्वंहि शिखाग्रेतु मनोन्मनी॥

किमन्द् बहुनोक्तेन यकिंतचिज्जगती.ये। तत्वसव त्वं महोदवि श्रिये संध्ये नामेअस्तुते॥ देवी भागवत

अर्थ -- इडा, पिंगला, सुषुम्ना, गान्धारी, हिस्तजिव्हा, पूषा, अषूषा, अलम्बुषा, कुटटू और शंखिनी आदि नामों से विख्यात प्राण वहन करने वाली नाड़ियों के रूप में तुम सबसे शरीर में निवास करती हो-ऐसा प्राचीन बुद्धजन कहते हैं। तुम प्राण शक्ति से हृदय कमल पर विराजमान रहती हो। कण्ठ में रहकर स्वप्न का सृजन करना तुम्हारा सहज गुण है। तुम सर्वधारा स्वरूपिणी हो। तालुकों में तुम्हारा निवास है। भौहों के मध्य में बिन्दु रूप में विराजती हो। तुम्हें बिन्दुमालिनी कहते हैं। मूलाधार में कुण्डलिनी नाड़ी तुम्हारी ही आकृति है। व्यापक रूप से तुम सबसे रोमकूप में विराजती हो। तुम्हारी शिखा के मध्य में परमात्मा तथा शिखा के अग्रभाग में मनोमनी शक्ति विराजमान रहती है। महादेव! अधिक कहने से क्या त्रिलोकी में जो कुछ है वह सब तुम्हीं हो। संधये! मैं मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए तुम्हें नमस्कार करता हूँ।

आद्य शक्ति गायत्री साधना के दो मार्ग है एक दक्षिण दूसरा वाम। दक्षिण मार्ग में पंचकोशों का अनावरण करना होता है और वाम मार्ग में षटचक्रों का जागरण। षट्चक्र वेधन में प्रयुक्त होने वाली प्राण प्रक्रिया को कुण्डलिनी जागरण कहते हैं। सरल उनके लिए जो उस मार्ग पर चलने का साहस जुटाते हैं। कठिन उनके लिए जो कौतूहल भर से रस लेते हैं। साधना की कठिन प्रक्रिया अपनाने का सुदृढ़ निश्चय और अविचल संकल्प नहीं करते।

दोनों ही मार्ग अपने अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है। इनमें न कोई छोटा है न बड़ा। प्रत्यक्ष जीवन में कुण्डलिनी और परोक्ष जगत में समाधि प्रक्रिया को आधार बनाना पड़ता है। दोनों की समन्वित प्रतिफल ही समग्र विकास की आवश्यकता पूर्ण करता है।

कुण्डलिनी की ताँत्रिक और समाधि योग की वैदिक प्रक्रिया का समन्वय ही श्रेयस्कर है। दूरदर्शी ऋषि परम्परा में दोनों को साथ लेकर चलने का परामर्श दिया गया है। ब्रह्मवर्चस् इसी समन्वय का परिणाम है।

First 28 30 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • परमात्मा को भूलो मत
  • कर्त्तव्य धर्म की भाव भरी प्रेरणा
  • प्रेम रूपी अमृत और उसका रसास्वादन
  • मुक्तोहमद्भुतात्माअहम्
  • Quotation
  • काल से अतीत, अतीत-ब्रह्माण्ड विज्ञानात्मा की अनुभूति
  • आत्म चेतना का विकास वृक्ष-वनस्पतियों में
  • Quotation
  • सत्य का निवास सुविस्तृत ज्ञान में है।
  • घाट का पत्थर
  • श्रद्धा और विश्वास भरा सरस एवं सफल जीवन
  • परम कल्याणी-मंगलमयी वाणी
  • Quotation
  • स्वर्ग का अधिकार
  • अनाचार पर सदाचार की विजय
  • स्वप्नों में छिपे जीवन सत्य
  • Quotation
  • बिन्दु पग चलइ-सुनइ बिनु काना
  • Quotation
  • औषधियों का अत्याचार
  • विनाश से बचने के लिये धर्म-चेतना जगायें
  • परम शक्तिशाली तत्व-प्रकाश
  • भाई रे भक्ति की शक्ति अपार
  • साढ़े दस गुनी बड़ी-शाकाहार शक्ति
  • यज्ञ-पूर्ण हो गया
  • मालिकों को जगाओ-प्रजातन्त्र बचाओ-1
  • कुण्डलिनी योग का स्वरूप और प्रयोग
  • अमेरिकन राष्ट्रपति के पास एक झाडू
  • दूसरे लोकों से भी लोग आते हैं?
  • अपनों से अपनी बात
  • न करिये कबिरा गरब
  • यह सोने का पिंजड़ा है
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj