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Magazine - Year 1973 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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मनुष्य में अलौकिक क्षमतायें भरी पड़ी हैं।

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First 9 11 Last
अतींद्रिय विज्ञानी प्रो. काइरो (शीरो) के संबंध में संसार भर के आत्मवादी परिचित हैं। उन्होंने न केवल इस संबंध में बहुत कुछ लिखा ही है वरन् यह सिद्ध भी किया है कि मनुष्य में असामान्य दिव्य शक्तियाँ भी अंतर्निहित हैं। प्रो. काइरो का जनम सन् 1866 में आयरलैण्ड में हुआ। उसे कीरो, चीरो, कैको, शीरों आदि नामों से भी पुकारते हैं। भारत भ्रमण में उसने कई आत्मविद्या विशारदों कर सेवा की भविष्य ज्ञान की अद्भुत सिद्धि प्राप्त की एक दिन इंग्लैण्ड की ईष्ट एंड स्ट्रीट सड़क के सहारे एक दीवार पर अंकित हाथ चित्र को देखकर काइरो ने पुलिस को सूचना दी कि यह किसी ऐसे हत्यारे का चित्र है जिसने अपने पिता की हत्या की है। पुलिस को पहले तो विश्वास न हुआ पर खोजबीन की गई तो वह हत्यारा पकड़ लिया और भविष्य कथन अक्षरशः सही सिद्ध हुआ। इसकी ख्याति योरोप भर में फैली और लोग उसकी भविष्य वाणियों से लाभ उठाने लगे।

सन् 1863 में वह अमेरिका पहुँचा और फिफ्थ एवेन्यू न्यूयार्क में ठहरा वहाँ भी उसकी बहुत ख्याति थी। अमेरिका के दैनिक पत्र 'न्यूयार्क वर्ल्ड’ ने संवाद संपादक महिला को यथार्थता का पता लगाने भेजा। महिला ने काइरो के सामने चित्रों का एक अलबम रखा और उन व्यक्तियों का विवरण बताने के लिए कहा। काइरो उनका विस्तृत परिचय इस प्रकार बताते चले गये। मानो वे सभी उनके पूर्व परिचित हों। अंत में एक चित्र को देखकर उन्होंने कहा-यह आपका प्रेमी जल्दी ही हत्याओं के अभियोग में पकड़ा जाएगा और जेल में पागल होकर मरेगा। अच्छा हो आप समय से पूर्व उससे पीछा छुड़ालें। संपादक महिला इस अप्रत्याशित कथन पर अवाक् रह गई पर कुछ ही दिन में बात सही निकली।

यह घटना ‘न्यूयार्क वर्ल्ड’ ने पूरे दो पृष्ठो पर छापी। इससे काइरो की ख्याति बहुत बढ़ी। संसार भर में समय -समय पर महत्त्वपूर्ण मामलों में उससे परामर्श लिए जाने लगे।

‘पिक्चर आफ डोरियनडे, के लेखक ‘आस्कर वाइल्ड’ का भविष्य कथन करते हुए कायरो ने कहा आप जल्दी ही जेल जायेंगे और आजीवन कारावास का दंड भोगेंगे। उस समय वाइल्ड ने यही कहा यह सर्वथा असंभव है आप शायद मुझे डरा कर कुछ रकम ऐंठना चाहते हैं। कायरो वहाँ यह कर कर उठ आये नहीं, एक पैसा भी नहीं पर कुछ ही दिन में उनकी पोल खुली और एक भयंकर मुकदमें में उन्हें आजीवन कारावास का दंड मिला।

सन् 1867 में रूस के सम्राट जार ने उन्हें अपना हस्त चित्र भेजा पर यह प्रकट नहीं किया कि यह किसका हाथ है। चित्र की पीठ पर उन्होंने लिख भेजा यह व्यक्ति आज से बीस वर्ष बाद अपने समस्त अधिकार खो बैठेगा और परिवार सहित रोमांचकारी मृत्यु से मरेगा।’ पढ़ कर सम्राट जार सन्न रह गये। वह पत्र उनके कागजों में सुरक्षित रहा और समयानुसार ठीक घटना घटित हुई।

इंग्लैण्ड के सम्राट ऐडवर्ड के संबंध में उनके राजतिलक की तारीख, प्राण घातक बीमारी, की बातें सही निकलीं। महारानी विक्टोरिया के कायरों ने उकसा मृत्यु दिवस लिख कर दे दिया था जो उसके निजी कागजों में पाया गया। अष्टम एडवर्ड की प्रणय लीला और राज त्याग की प्रसिद्ध घटना की घोषणा वे वर्षों पहले कर चुके थे।

भारत के विशिष्ट व्यक्तियों में से ऐनी बीसेंट, स्वामी विवेकानंद मोतीलाल नेहरू, कर्नल आर्थर, लार्ड किचनर आदि के हाथ देखे थे और बताया था उससे वे लोग बहुत प्रभावित हुए थे। अपनी विश्व का भविष्य पुस्तक में उनने भारत की स्वतंत्रता, गृहयुद्ध, पाकिस्तान की स्थापना, शरणार्थी समस्या, सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में बहुत ही स्पष्ट शब्दों में वर्णन लिखा है ओर वह अक्षरशः सच होकर रहा।

यह अलौकिक क्षमता किन्हीं में अनायास ही उभरी हुई दृष्टिगोचर होती है तब उसका कारण यही प्रतीत होता है कि इस जन्म में न सही उनने भूतकाल में उन प्रसुप्त बीजांकुरों को सींच-सींच कर बड़ा किया होगा और अब अनायास ही वे उस संपदा से सुसज्जित दीख पड़ते हैं।

13 अगस्त 1631 के ‘न्यूयार्क हैराल्ड’ और ‘ट्रिब्यून’ आदि दैनिक पत्रों में यह खबर बड़े दुःख की टिप्पणियों के साथ छपी कि 72 वर्षीय ऐंजलो फेटी फोमी का स्वर्गवास हो गया। वह कार्क का बना आदमी समझा जाता था।

कार्क की लकड़ी सबसे हलकी होती है और वह सबसे अधिक सरलता पूर्वक पानी पर तैरती रहती है। कहते हैं कि ऐंजलो में भी कुछ ऐसी ही विशेषता थी। यद्यपि उसके द्वारा उसके शरीर की परीक्षा की जाती रही कि आखिर उसमें ऐसी क्या अलौकिकता है जिसके कारण वह पानी पर इतने अनोखे ढंग से तैर सकता है।

ऐंजलो इटली मोची का लड़का था। उसे पानी पर तैरने का भारी शोक था। उसके बाप ने इसके लिए उसे रोका, न मानने पर एक दिन तो उसकी बुरी तरह पिटाई भी कर दी। लड़का भाग खड़ा हुआ। तब वह दस वर्ष का था। उसने पानी के जहाज पर एक छोटी सी नौकरी प्राप्त कर ली और बाप से छिप कर अमेरिका के लिए रवाना हो गया।

जहाज अपने रास्ते चला जा रहा था कि एक तट पर कोई व्यक्ति डूबता उतराता अपनी प्राण रक्षा की गुहार कर रहा था। ऐंजलो से यह न देखा गया और वह अपने जहाज पर से धमाक से अथाह समुद्र में कूदा और देखते -देखते उस डूबते व्यक्ति तक तीर की तरह तैरता हुआ पहुँचा और 200 पौण्ड भारी उस आदमी को घसीट कर यथा स्थान पहुँचा दिया। जहाज के नाविक लड़के के इस दुस्साहस पर क्षुब्ध थे। उन्होंने नाव खोली और उसे बचाने के लिए तैयारी की तब तक अपना काम निपटा कर ऐंजलो वापिस आ गया और रस्से के सहारे चढ़ कर अपनी जगह पर पहुँच गया। नाविक स्तब्ध थे कि यह लड़का क्या है कमाल है।

आगे चलकर उसकी जल तरण सिद्धि अमेरिका भर में एक जादू-चमत्कार की तरह देखी जाती रही उसने कितने ही दुस्साहस भरे सार्वजनिक प्रदर्शन किये। जिनकी चर्चा उन दिनों प्रायः सभी अखबारों में भरी रहती थी। जब कि सतह पर बिना हाथ पैर हिलाये घंटों आराम से तैरते रहना इसके लिए साधारण काम था। कुर्सी के साथ रस्सों से बाँध कर गहरे पानी में फेंका जाना , हाथ पैरों से मानो लोहे का वजन बाँधकर पानी में डाल दिया जाना, ऐसे कृत्य थे जिसे देखने वाले यही सोचते थे कि अब उसका बच सकना असंभव है, फिर भी जल से वह गेंद की तरह उछलता-कूदता बाहर निकला तो उसे कार्क का बना आदमी कहा जाने लगा और न्यूयार्क वर्ल्ड जैसे अखबारों ने उसके करतबों को दाँतों तले उँगली दबाने जैसे आश्चर्य बताया।

'वाशिंगटन हैराल्ड' की प्रकाशिका स्वर्गीया इलेग्नर मेडिट एक मध्याह्न विश्राम करने के लिए बिस्तर पर झपकी ले रही थी। लगभग अर्धनिद्रा की स्थिति में उसने अपने पति कैस्सी को चारपाई के पास खिन्न मुद्रा में खड़े देखा। वे पुलिस के बड़े अफसर थे। पदों के अनुरूप पदक प्रतिष्ठा प्रतीक उनकी वर्दी में टके हुए थे। लगता था बहुत उतावली में थे। कुछ ही क्षण में खड़े दिखाई दिये और उसके बाद वे मुड़े और अचानक हवा में गायब हो गये।

यह अर्ध स्वप्न श्रीमती मेरिट के लिए हड़बड़ा देने वाला था। वे समझ नहीं सकतीं कि यह सब क्या था सामान्य स्वप्न ऐसे ही हलकी फुलकी स्मृति छोड़ते हैं पर इस अनुभूति न तो उन्हें हिला ही दिया। भागी हुई दफ्तर में गई और उस दृश्य का विवरण सुनाया। कार्यकर्ताओं ने इसे मात्र एक घटना भर समझा और उसे विशेष महत्त्व नहीं दिया।

दूसरे दिन तार आया कि उनके पति की अचानक मृत्यु हो गई। मृत्यु ठीक उसी समय हुई जिस समय कि उन्हें झपकी लेते समय उस आत्मा के आगमन की अनुभूति हुई थी।

न केवल जीवित स्थिति में वरन् मरणोत्तर जीवन में भी मनुष्य की सत्ता अपनी अलौकिक क्षमता का परिचय देती रहती है। स्थूल शरीर न रहने पर भी सूक्ष्म शरीर से अपनी गति विधियाँ जारी रख सकती है और संबंधित व्यक्तियों से संपर्क बनाये रह सकती है। साधारण मनः स्थिति के व्यक्ति मरणोत्तर जीवन में शांत हो जाते हैं किंतु यदि मनः स्थिति प्रखर हो तो उसका सूक्ष्म शरीर लगभग वैसा ही समर्थ रह सकता जैसा कि जीवन काल में स्थूल शरीर था।

हीडर डालजेस्ट पत्रिका के नवंबर 67 अंक में जान राविन्स का एक लेख छपा है जिसमें उन्होंने लंदन से आक्सफोर्ड जाते समय वेस्ट वेकोम्बे नामक गाँव के होटल में ठहरने और वहाँ पर एक महिला प्रेतात्मा से भेंट होने का विवरण प्रकाशित किया है।

एक गोरी युवती की आश्चर्य जनक हरकतों के बारे में जब होटल के मालिक जानबूझ से उन्होंने पूछा तो बताया गया कि यह विचित्र हरकतों वाली महिला जीवित नहीं वरन् मृतात्मा है। इसका नाम सुक्की है। यह इसी होटल में कुछ समय पूर्व कर्मचारी थी। बहुत सुंदर थी। उसने एक अमीर यात्री से शादी पक्की कर ली इस पर उसे चाहने वाले होटल के अन्य कर्मचारी उससे जल गये और भारी चोट पहुँचा कर उसे मार डाला। तब तो वह आत्मा इसी होटल के इर्द-गिर्द रहती है और वहाँ ठहरने वालों को अपने अस्तित्व का परिचय विचित्र विचित्र ढंग से देती रहती है।

सुप्रसिद्ध पत्रिका ‘फेट के अगस्त 68 के अंक में पृष्ठ 61 पर डाॅ. नाटेली एम.डी. का एक लेख छपा है। उन्होंने अपने मरीजों में से कासाबलानका [मोरक्को] केहेनरी डेलाटे का एक विचित्र विवरण प्रकाशित कराया है।

उपरोक्त मरीज के शरीर में एक महिला प्रेतात्मा प्रवेश करती थी। जब उसका आवेश आता तब आवाज पूर्ण तया बदली हुई और नारी जैसी प्रतीत होती। वह महिला आत्मा इस युवक रोगी पर आसक्त थी और उसके साथ रहने की आकांक्षा व्यक्त करती थी। जब तक यह आवेश रहता-रोगी अपने आपे की सुध-बुध भूला रहता। कई चिकित्सा शास्त्रियों के कई तरह के उपचार किये पर रोगी दिन-दिन दुबला ही होता गया और मरणासन्न स्थिति तक जा पहुँचा। जेब डॉक्टरों ने असमर्थता प्रकट कर दी तब मंत्र-तंत्र का सहारा लिया गया और संभवतः इसी उपाय से उसका निस्तारण भी हुआ।

आये दिन सामने आते रहने वाले इस प्रकार के घटना, क्रम, तथ्य, एवं अनुभव यह बताते हैं कि मनुष्य मात्र माँस पिंड नहीं है और शारीरिक क्षमता तक ही उसका वर्चस्व सीमित नहीं है। आज उसकी सत्ता अत्यंत रहस्यमयी व्यापक सम्भावनाओं से ओत-प्रोत है। यदि उसे विकसित होने का अवसर दिया जा सके तो वह अपने अस्तित्व इस रूप में भी परिणत कर सकती है जिसे अलौकिक और अद्भुत कहा जा सके।

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