• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • युगपरिवर्तन का वासन्ती प्रवाह
    • महेश्वर महाकाल का संकल्प पूरा होकर ही रहेगा।
    • कालोडस्मि लोकक्षयकृत्पृद्वो
    • युगपरिवर्तन का अर्थ
    • सुनें महापरिवर्तन की इस आहट को
    • वैज्ञानिक क्रान्ति, जिसने किया विश्व का एकीकरण
    • संभवामि युगे युगे
    • उथल-पुथल के इस दौर में आर्थिक नेतृत्व भी भारत की करेगा
    • Quotation
    • पतंजलि (Kahani)
    • दैवी चेतना पर्यावरण-संकट का भी समाधान करेगी।
    • इक्कीसवीं सदी की चिकित्सा-पद्धति होगी-आयुर्वेद
    • Quotation
    • सुभाषचन्द्र बोस (Kahani)
    • राजनैतिक परिदृश्य पर दिखाई देते परिवर्तन के संकेत
    • आपने तो मेरी आँखें खोल दीं (Kahani)
    • ‘विचारक्रान्ति’ परिवर्तन की वेला में एक नये दर्शन का प्रवर्तन
    • Quotation
    • सूक्ष्म अन्तरिक्षीय हलचलें भी - युगपरिवर्तन का ही संकेत देती है।
    • युग के अवतार का आगमन
    • इस बदलती फिजों में नारी की भूमिका
    • युगपरिवर्तन के तीन सोपान-आत्म, परिवार एवं समाजनिर्माण
    • बीसवीं सदी का सफरनामा
    • यह हरि की लीला टारी नाँहि टरै
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - गायत्री महाविद्या एवं उसकी साधना
    • इस संधिवेला में अपनायी जाने वाली विशिष्ट साधनाएँ
    • अपनों से अपनी बात- - युगपरिवर्तन की अन्तिम घड़ी आ पहुँची, अब तो सँभलें
    • VigyapanSuchana
    • युग द्रष्टा के जीवन-दर्शन के साथ अब वाङ्मय समग्र रूप में उपलब्ध
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • युगपरिवर्तन का वासन्ती प्रवाह
    • महेश्वर महाकाल का संकल्प पूरा होकर ही रहेगा।
    • कालोडस्मि लोकक्षयकृत्पृद्वो
    • युगपरिवर्तन का अर्थ
    • सुनें महापरिवर्तन की इस आहट को
    • वैज्ञानिक क्रान्ति, जिसने किया विश्व का एकीकरण
    • संभवामि युगे युगे
    • उथल-पुथल के इस दौर में आर्थिक नेतृत्व भी भारत की करेगा
    • Quotation
    • पतंजलि (Kahani)
    • दैवी चेतना पर्यावरण-संकट का भी समाधान करेगी।
    • इक्कीसवीं सदी की चिकित्सा-पद्धति होगी-आयुर्वेद
    • Quotation
    • सुभाषचन्द्र बोस (Kahani)
    • राजनैतिक परिदृश्य पर दिखाई देते परिवर्तन के संकेत
    • आपने तो मेरी आँखें खोल दीं (Kahani)
    • ‘विचारक्रान्ति’ परिवर्तन की वेला में एक नये दर्शन का प्रवर्तन
    • Quotation
    • सूक्ष्म अन्तरिक्षीय हलचलें भी - युगपरिवर्तन का ही संकेत देती है।
    • युग के अवतार का आगमन
    • इस बदलती फिजों में नारी की भूमिका
    • युगपरिवर्तन के तीन सोपान-आत्म, परिवार एवं समाजनिर्माण
    • बीसवीं सदी का सफरनामा
    • यह हरि की लीला टारी नाँहि टरै
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - गायत्री महाविद्या एवं उसकी साधना
    • इस संधिवेला में अपनायी जाने वाली विशिष्ट साधनाएँ
    • अपनों से अपनी बात- - युगपरिवर्तन की अन्तिम घड़ी आ पहुँची, अब तो सँभलें
    • VigyapanSuchana
    • युग द्रष्टा के जीवन-दर्शन के साथ अब वाङ्मय समग्र रूप में उपलब्ध
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1998 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


युगपरिवर्तन का अर्थ

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 3 5 Last
युगपरिवर्तन का अर्थ है-आमूल चूल परिवर्तन। छोटे-मोटे सुधारों और सामान्य परिवर्तनों से जब बात न बने तो पूरे युग का ही बदलाव जरूरी हो जाता है। पिछले दिनों छुट-पुट सुधारों का सिलसिला काफी चलता रहा है। साम्यवादी काफी चलता रहा है। साम्यवादी आन्दोलन ने अपने शुरुआती दौर में यह घोषणा बहुत जोरों से की थी कि संसार की समस्त कठिनाइयों को हम मिटा देंगे। उनका कहना था कि सारी परेशानियों की जड़ धन की कमी है। धन बढ़ेगा तो सारी कठिनाइयाँ भी स्वतः समाप्त हो जाएँगी। इसके लिए अधिक उत्पादन पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, उतना नहीं दिया गया, वरन् धनियों को गरीबी का कारण ठहराकर वर्गसंघर्ष खड़ा कर दिया गया। इस वर्गसंघर्ष ने दुनिया में जो मार-काट मचाई, खून-खराबियाँ, अशान्ति फैलाई, वह जगविदित है।

पूँजीवादी क्षेत्रों में भी दुनिया की परेशानियों-कठिनाइयों के निवारण के लिए प्रयत्न कम नहीं किए गए। विज्ञान और वैज्ञानिकों ने इस निमित्त न केवल अनेकानेक आविष्कार किए, बल्कि वैभव और समृद्धि के लिए ढेरों नए आधार विनिर्मित किए। इसमें सफलता भी कम नहीं मिली। पूर्वजों की तुलना में अपनी पीढ़ी कही अधिक समृद्ध है। सुविधा-साधनों की दृष्टि से इन समय की पीढ़ी के लोग इतने सौभाग्यशाली है, जितने सृष्टि के आरम्भ से लेकर अपनी शताब्दी के मध्यकाल में कभी नहीं रहे। यह बात अलग है कि इन सुविधा साधनों के संचय की ललक और उपभोग की लिप्सा की वजह से गरीबी अभी तक दूर नहीं हुई।

बढ़ते हुए मनोरोग और अपराध यह बताते है कि बढ़ा हुआ वैभव भी व्यक्ति को सुखी और समुन्नत बनाने में कुछ अधिक कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहा है। हाँ, इस वैभव को अनुदिन बढ़ाने में प्राकृतिक सम्पदाओं का दोहन एवं पारिवारिक स्नेह, सौजन्य, सहयोग, सौहार्द घटते-घटते समाप्ति के बिन्दू तक जा पहुँचा है। एक बाड़े में रहने वाली भेड़ों की तरह कुटुंबों में कई व्यक्ति रहते तो है, पर एक-दूसरे पर प्यार और सहयोग उड़ेलने का स्थान पर अपनी-अपनी गोटी बिठाने में लगे रहते हैं। अधिकार की माँग है और कर्त्तव्य की उपेक्षा। फलतः परिवार-संस्था का टूटना-बिखरना इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी बन गयी है। पति-पत्नी का रिश्ता एक प्राण दो देह माना जाता है। किन्तु लगता है वे आदर्श समाप्त हो गए। यौनलिप्सा ही वह आधार रह गया है, जिसकी वजह से दोनों एक-दूसरे के साथ जुड़े रहते हैं। इसी प्रसंग में बच्चे आ सकते हैं और उनके प्रति जो प्रकृति प्रदत्त माया-मोह होता है उस सूत्र से भी पति-पत्नी किसी प्रकार बँधे रहते हैं। यदि यौन-आकर्षण और बालकों का मोह हटा लिया जाय तो सहज सौजन्य से प्रेरित भाव-भरा दाम्पत्य जीवन कदाचित ही कहीं दृष्टिगोचर होता होगा। गृहस्थ जीवन का भावनात्मक आनन्द उच्चस्तरीय होता है, इसकी अनुभूति ही नहीं, कल्पना भी वर्तमान युग के लोगों के हाथ से छिनती जा रही है।

यही हाल समाज का है। समाज व्यवस्था का ढाँचा ऊपर से तो किसी प्रकार कागज से बने विशालकाय पुतले की तरह खड़ा है, पर उसके भीतर खोखलेपन के अतिरिक्त और कुछ शेष नहीं। संबंधियों के बीच किस प्रकार बुनने–उधेड़ने की दुरभिसन्धियाँ चलती है, उसे विवाह-शादियों में होने वाले लेन-देन को देखकर भलीप्रकार समझा जा सकता है भ्रष्टाचार, नशेबाजी फैशनपरस्ती, विलासिता,धूर्तता, उच्छृंखलता जैसे प्रचलन सभ्यता के अंग बन चुके हैं। यों कहने को तो अपने समय को तर्क और बुद्धि का युग कहा जाता है, पर अन्धविश्वासों और कुरीतियों को जितने उत्साह से इन दिनों अपनाया जा रहा है, उतना शायद पिछले दिनों के उस समय में भी न रहा हो, जिसे हम अनगढ़, आदिमकाल कहते हैं। ढोंगी, बाजीगरी, जादूटोनों ने आध्यात्म को जिस तरह ग्रस लिया है, उसे देखते हुए लगता है विवेक के अरुणोदय को लाने के लिए एक और भगीरथ तप जैसे प्रचंड पुरुषार्थ की आवश्यकता हैं।

सामूहिक जीवन में शासनतन्त्र की प्रधानता है, पर अब तो सरकारें आया राम, गया राम हो गयी हैं। राजनैतिक अस्थिरता के इस युग में शासन प्रमुख का सारा समय अपनी ही स्थिरता और कुशल की चिन्ता करते बीतता है, वह राष्ट्र की चिन्ता कब करे? जहाँ सरकारें स्थिर हैं भी, तो वे अपने संकीर्ण स्वार्थों की पूर्ति के लिए दूसरे देशों के प्रति जो रवैया अपनाती हैं, उससे शोषण, आधिपत्य, विग्रह और युद्ध का कुचक्र ही गतिशील होता है।

इन दिनों एक समस्या सुलझाते सुलझाते दस नयी समस्याएं खड़ी होती हैं। वर्तमान की विभीषिकाओं को परास्त करना इतना आसान नहीं है। एक गज जोड़ने के साथ-साथ दस गज टूटने का क्रम चल रहा है।

ऐसी दशा में समाधान एक ही है ‘युगपरिवर्तन’। प्रकृति, परिवेश, परिस्थितियां, प्रवृत्तियाँ, सामाजिक गतिविधियाँ, राजनैतिक संरचना, वैज्ञानिक एवं आर्थिक सोच को एक साथ, समूचे रूप से पूरी तरह बदल डालने का महाउपक्रम। हालाँकि यह कार्य सरल नहीं है और न ही मानवीय पुरुषार्थ से सम्भव, परन्तु जब मनुष्य का बाहुबल थक जाता है और पतन एवं विनाश की आशंका बलवती हो जाती है, तो प्रवाह उलटने का कार्य दैवीचेतना स्वयं करती है और एक बार फिर से मानव की अन्तः प्रकृति, बाह्य परिस्थितियों, सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक संरचनाओं के अनुसार स्वयं को तैयार करते है। समूची सृष्टि के साथ युगपरिवर्तन का मोहक राग छिड़ जाता है। जिसके हर स्वर, लय एवं ताल में उज्ज्वल भविष्य की गूँज को स्वयं में, प्रकृति एवं परिवेश में, जीवन के प्रत्येक कण में तीव्र से तीव्रतर होते हुए अनुभव किया जा सकता है। यही गूँज आज चारों ओर हर कहीं ध्वनित है- युगपरिवर्तन ही युग की नियति है। मानव की भवितव्यता है।

First 3 5 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • युगपरिवर्तन का वासन्ती प्रवाह
  • महेश्वर महाकाल का संकल्प पूरा होकर ही रहेगा।
  • कालोडस्मि लोकक्षयकृत्पृद्वो
  • युगपरिवर्तन का अर्थ
  • सुनें महापरिवर्तन की इस आहट को
  • वैज्ञानिक क्रान्ति, जिसने किया विश्व का एकीकरण
  • संभवामि युगे युगे
  • उथल-पुथल के इस दौर में आर्थिक नेतृत्व भी भारत की करेगा
  • Quotation
  • पतंजलि (Kahani)
  • दैवी चेतना पर्यावरण-संकट का भी समाधान करेगी।
  • इक्कीसवीं सदी की चिकित्सा-पद्धति होगी-आयुर्वेद
  • Quotation
  • सुभाषचन्द्र बोस (Kahani)
  • राजनैतिक परिदृश्य पर दिखाई देते परिवर्तन के संकेत
  • आपने तो मेरी आँखें खोल दीं (Kahani)
  • ‘विचारक्रान्ति’ परिवर्तन की वेला में एक नये दर्शन का प्रवर्तन
  • Quotation
  • सूक्ष्म अन्तरिक्षीय हलचलें भी - युगपरिवर्तन का ही संकेत देती है।
  • युग के अवतार का आगमन
  • इस बदलती फिजों में नारी की भूमिका
  • युगपरिवर्तन के तीन सोपान-आत्म, परिवार एवं समाजनिर्माण
  • बीसवीं सदी का सफरनामा
  • यह हरि की लीला टारी नाँहि टरै
  • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - गायत्री महाविद्या एवं उसकी साधना
  • इस संधिवेला में अपनायी जाने वाली विशिष्ट साधनाएँ
  • अपनों से अपनी बात- - युगपरिवर्तन की अन्तिम घड़ी आ पहुँची, अब तो सँभलें
  • VigyapanSuchana
  • युग द्रष्टा के जीवन-दर्शन के साथ अब वाङ्मय समग्र रूप में उपलब्ध
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj