• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • नारी की शाश्वत गरिमा—नये संदर्भ में
    • पति में प्राण फूंकने वाली जयिनी
    • ममता का निर्झर, प्रेरणा का स्रोत—मां शारदा
    • अन्तः की उदारता को जगाया
    • आदर्श साहचर्य
    • समाजोत्थान को समर्पित अवन्तिका
    • पति को नहीं, समाज-देवता को वरीयता दी
    • दो नारियों का सार्थक-समन्वित पुरुषार्थ
    • राजकुमारी की पर दुःखकातरता
    • सही अर्थों में लोकसेवी भगिनी निवेदिता
    • कुष्ठ रोगियों में आशा की ज्योति जगाने वाली देवी
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • नारी की शाश्वत गरिमा—नये संदर्भ में
    • पति में प्राण फूंकने वाली जयिनी
    • ममता का निर्झर, प्रेरणा का स्रोत—मां शारदा
    • अन्तः की उदारता को जगाया
    • आदर्श साहचर्य
    • समाजोत्थान को समर्पित अवन्तिका
    • पति को नहीं, समाज-देवता को वरीयता दी
    • दो नारियों का सार्थक-समन्वित पुरुषार्थ
    • राजकुमारी की पर दुःखकातरता
    • सही अर्थों में लोकसेवी भगिनी निवेदिता
    • कुष्ठ रोगियों में आशा की ज्योति जगाने वाली देवी
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - नारी अभ्युदय का नवयुग

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT


समाजोत्थान को समर्पित अवन्तिका

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 5 7 Last
सामर्थ्य के नियोजन की यही कला—अवंतिका बाई गोखले के जीवन में प्रकट हुई। सन् 1917 में गांधी जी ने चम्पारण सत्याग्रह के दौरान वहां ग्रामीण जीवन की दुर्दशा देखी। पाया कि अशिक्षा, अस्वास्थ्यकर वातावरण और अनेक कुसंस्कारों से ये ग्रामवासी ग्रस्त हैं। जब तक इनकी सामाजिक और शैक्षणिक अवस्था को न सुधारा जायेगा, तब तक अन्य प्रयास कारगर न होंगे। पर शिक्षा सिर्फ साक्षरता तो नहीं है? साक्षरता तो अनुपान मात्र है, जिसके माध्यम से सद्व्यवहार और सदाचरण की औषधियां पिलायी जाती हैं। पर इसे वही कर सकता है—जो व्यवहार और आचरण दोनों ही दृष्टियों से उत्कृष्ट हों। एक मरीज—दूसरे मरीज की क्या दवा करेगा? इस दृष्टि से उन्हें अवंतिका बाई उपयुक्त प्रतीत हुईं। इन्हें आवश्यक निर्देश देकर कार्यक्रम की और रवाना कर दिया।
बड़हरवा गांव पहुंच कर उन्होंने कार्य की शुरुआत की। रोज-रोज के प्रयासों से 75 छोटे-बड़े विद्यार्थियों को इकट्ठा किया। पढ़ाएं कहां; सभी चिन्तित थे? कोई अपना मकान देने को तैयार न था। मकान न होने से भी उनका काम रुका नहीं। आम के बगीचे में पेड़ों की छाया में शिक्षण कार्य शुरू हो गया। महात्मा जी ने स्वयं आकर उद्घाटन किया। कुछ ही समय बाद उन्होंने कन्या पाठशाला खोली। लड़कों का शिक्षण पति बबनराव ने संभाल लिया।
लड़कियों की इस पाठशाला को चला पाना अपेक्षाकृत अधिक कठिन था। कोई भी अभिभावक इसकी जरूरत नहीं समझता था। इसलिए अवन्तिका बाई घर-घर में जाकर लड़कियों के माता-पिता को समझातीं और आग्रह करके स्कूल में लातीं। बचे हुए समय में पति-पत्नी ग्रामीणों को सफाई और आरोग्य-रक्षा के नियमों को समझाते। धीरे-धीरे जनमानस बदला। लोग रास्ता साफ करने, नालियों में पानी न जमा होने देने, कुओं आस-पास गन्दगी न होने देने, जैसे कामों में सहयोग देने लगे। उनकी सादगी और कर्मनिष्ठा देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये वही अवंतिका बाई और उनके इंजीनियर पति बबनराव हैं, जो बम्बई में वैभव का जीवन जीते थे। निःसंदेह सेवा का मर्म त्याग में छिपा है। जो इसे जानते हैं उन्हें संकोच कहां?
एक दिन विद्यालय में वे दोनों बच्चों से घिरे थे। पति की ओर देखकर अवंतिका बाई ने कहा—‘‘आप एक बच्चे की चाह रखते थे—देखिए प्रजनन को ठुकराने के बाद भी हम कितने बच्चे से घिरे हैं। उनके माता-पिता होने जैसा गौरव अनुभव कर रहे हैं।
‘‘सचमुच अवंतिका मैं ही गलती पर था। वास्तविक पितृत्व तो बाल-कल्याण के कार्यों में लगने से मिलता है। सन्तान न पैदा करने से हम दोनों सेवा कार्य में पड़ने वाली एक बड़ी बाधा और पहाड़ जैसी मुसीबत से बच गये।’’
शिक्षा के साथ उन्होंने महिलाओं में जागृति के लिए ‘‘हिन्द महिला समाज’’ की स्थापना की। वह तथा इस संस्था के अन्य सदस्य उपयोगी साहित्य को लेकर चालों में घूमती, घरों में जातीं और महिलाओं को पढ़ाती, उन्हें पढ़ने के लिए पुस्तकें दे आतीं, फिर वापस ले आतीं। फुरसत के समय महिलाओं को आस-पास के किसी कमरे में इकट्ठा कर कहानियों, रोचक साहित्य के माध्यम से समाज की दशा, इसके प्रति उनके कर्तव्य से अवगत कराती। महिलाओं के प्रभावित होने की दर के अनुरूप उन्होंने समाज-सेवा की विभिन्न प्रवृत्तियां आरम्भ कीं। 67 वर्ष की आयु तक उनकी सेवा परायणता अविराम प्रवाहित होती रही। इस अवस्था में भी शरीर जर्जर नहीं हुआ, स्वाभाविक व सार्थक मृत्यु को प्राप्त हुआ। वह अपने सद्कार्यों के रूप में अभी भी विद्यमान हैं।
भाव-संवेदना का सुनियोजन
मानवता की विपन्नता जिसने भी देखी, वह भला भावनाओं से अछूता कैसे रह सकता है? 24 वर्ष की तरुणी भीकाजी कामा की संवेदनाएं इसी तरह जागृत हुई थीं। उनका संवेदनशील हृदय देशवासियों की दीनता देखकर चीत्कार कर उठा। सन् 1885 में घर की चहारदीवारी को तोड़ कर पूरी तरह समाज-सेवा के क्षेत्र में कूद पड़ीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में उन्होंने अपने भाषण में कहा—‘ऐसे समय में जब समाज जर्जर हो रहा हो, विभिन्न आसुरी शक्तियां मानवता की छाती फाड़कर उसका खून पी रही हों, सोने का बहाना बना कर अनसुनी कर देना अथवा अपने राग-रंग, भोग-विलास में मग्न रहना, कहां तक न्याय संगत है? इन्हें क्या कहेंगे- मृत अथवा पशु? मुर्दों को गीध नोंचते और पशुओं को हेय माना जाता है। यही हालत ऐसों की भी होगी। जो मनुष्य है वह मानवता के उद्धार के लिए दौड़े बिना नहीं रह सकता, उसे बन्धन-मुक्त किए बिना उसे चेन कहां।’
उनके ओजस्वी भाषण को सुन उपस्थित जन समूह की दिशा बदल गई। उनकी स्वयं की सक्रियता और अधिक बढ़ी। सबसे पहले उन्होंने महिलाओं को संगठित करने का काम हाथ में लिया। वे आश्रयहीन और निर्धन महिलाओं की आर्थिक दशा सुधारने तक ही सीमित नहीं रहतीं, वरन् उन्हें अपनी दुर्दशा के प्रति सचेत भी करतीं, ताकि प्रत्येक महिला में स्वाभिमान जागृत हो।
पुत्री के क्रान्तिकारी स्वरूप को देख कर पिता सोरावज पटेल ने रुस्तम जी कामा से उनका विवाह कर दिया। सोचा इस तरह शायद उनकी जीवन धारा मुड़ सके। पिता-पति अन्य सगे-सम्बन्धियों ने समझाने का प्रयास किया। शास्त्रों की दुहाई देकर समझाया कि नारी का कर्त्तव्य घर का संचालन और पति की सेवा है। फिर कमी क्या है? संपन्नता-वैभव सभी कुछ तो है।
इस तरह समझाते हुए स्वजनों को बीच में रोक कर उन्होंने कहा—शास्त्रों की उलटी-सीधी व्याख्या न करिए। ‘जिन्दे अवेस्ता’ साफ कहता है कि आत्मा की पुकार पर सब कुछ छोड़ देना ही उचित है। यह राष्ट्र-सेवा, सामाजिक कार्यों में संलग्नता आत्मा की पुकार है? सभी कुछ आहुरमज्द ही तो है। ‘‘उनके उत्तर ने पति को भी प्रभावित किया। वह भी भरी-पूरी वकालत छोड़कर ‘बाम्बे क्रान्ति दल’ नामक जन-जागृति करने वाली संस्था का संचालन करने लगे।’’
पति और पत्नी अब सच्चे अर्थों में एक दूसरे के पूरक बने। न्याय और नीति की आवाज को बुलन्द करने वह विदेश भी गयीं। बाहर रहकर भी निरन्तर काम में जुटी रहीं। नवम्बर 1935 में वह पुनः भारत लौटीं। स्वास्थ्य की गड़बड़ी के कारण उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां आठ महीने बाद उनके प्राण, महाप्राण में विलीन हो गये। उन दिनों जब कि पुरुष वर्ग भी डर-दब कर ऐसे कामों से दूर रहता था, इस नारी ने इतना महान और साहसी कार्य किया, जिसकी अद्भुत प्रेरणा आज भी नारी शक्ति की ओजस्विता को जगाती है।
First 5 7 Last


Other Version of this book



नारी अभ्युदय का नवयुग
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

विश्व की महान नारियाँ-1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

विश्व की महान नारियाँ-1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

विश्व की महान नारियाँ-1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

विश्व की महान नारियाँ-1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

संत विनोबा भावे
Type: SCAN
Language: HINDI
...

संत विनोबा भावे
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

दहेज दानव से सामाजिक लड़ाई लड़ी जाय
Type: SCAN
Language: HINDI
...

दहेज दानव से सामाजिक लड़ाई लड़ी जाय
Type: SCAN
Language: HINDI
...

पशुबलि-हिन्दू धर्म एवं विश्व मानवता पर एक कलंक
Type: SCAN
Language: HINDI
...

पशुबलि-हिन्दू धर्म एवं विश्व मानवता पर एक कलंक
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन देवता की साधना आराधना
Type: SCAN
Language: EN
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Articles of Books

  • नारी की शाश्वत गरिमा—नये संदर्भ में
  • पति में प्राण फूंकने वाली जयिनी
  • ममता का निर्झर, प्रेरणा का स्रोत—मां शारदा
  • अन्तः की उदारता को जगाया
  • आदर्श साहचर्य
  • समाजोत्थान को समर्पित अवन्तिका
  • पति को नहीं, समाज-देवता को वरीयता दी
  • दो नारियों का सार्थक-समन्वित पुरुषार्थ
  • राजकुमारी की पर दुःखकातरता
  • सही अर्थों में लोकसेवी भगिनी निवेदिता
  • कुष्ठ रोगियों में आशा की ज्योति जगाने वाली देवी
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj