
देश के 22 करोड़ लोगों को व्यसनों से मुक्त कराने के लिए गायत्री परिवार ने शुरू किये विशिष्ट प्रयास
राष्ट्रीय चेतना के नवजागरण का संकल्प है ‘आओ बनाएँ व्यसनमुक्तY भारत’ अभियान
आश्विन नवरात्र की अष्टमी-नवमी तिथि को अखिल विश्व गायत्री परिवार की ऑनलाइन मीटिंग हुई। शान्तिकुञ्ज ने इसका आयोजन किया। मुख्य वक्ता अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा नायक आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी, जोनल समन्वयक आदरणीय डॉ. ओ.पी. शर्मा जी, कार्यक्रम विभाग प्रभारी श्री श्याम बिहारी दुबे जी सहित सभी जोन समन्वयकों की मुख्य उपस्थिति में देश-विदेश में संगठन से जुड़े परिजन तथा व्यसनमुक्ति अभियान में प्रमुख रूप से सक्रिय कार्यकर्त्ता इस मीटिंग में जुड़े।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने मुख्य संदेश दिया। उन्होंने राष्ट्रव्यापी व्यसनों की दुष्प्रवृत्ति को राष्ट्र की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताया। उन्होंने ‘आओ बनाएँ व्यसनमुक्त भारत’ अभियान का शुभारंभ करते हुए देश में तंबाकू, शराब आदि का नशा करने वाले 22 करोड़ लोगों को नशामुक्त करने के लिए संगठित होकर प्रभावशाली अभियान चलाने का आह्वान देशवासियों से किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान नया नहीं है, लेकिन अब नए सिरे से सुनियोजित ढंग से इस अभियान को प्राणवान बनाया जाएगा। आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी के संदेश के कुछ ध्यानाकर्षक बिन्दु प्रस्तुत हैं।
राष्ट्र के समग्र उत्थान का अभियान
नशा मुक्ति का अभियान व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण तथा समाज निर्माण, तीनों ही उद्देश्यों को पूरा करने वाला है। यह राष्ट्रीय चेतना के नवजागरण का
संकल्प है।
जब भारतवर्ष परम पूज्य गुरूदेव के संकल्प के अनुरूप विश्व का नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है, तब आज की परिस्थितियाँ बड़ी महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं। स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, स्वामी रामतीर्थ और परम पूज्य गुरूदेव सहित सभी महापुरूषों का कथन है कि यह समय संस्कृति के उत्थान का है, भारतीय
अस्मिता और भारत के स्वाभिमान के जागरण का है। जिस भारत भूमि से योग, तप, आस्था, विश्वास, वेदांत, सांख्य आदि अध्यात्म की विभिन्न धाराएँ बही
थीं; जहाँ भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और परम पूज्य गरूदेव ने अपने प्रखर व्यक्तित्व से गगन मंडल को प्रकाशित किया, आज उस वैभवशाली आध्यात्मिक विरासत वाले भारत पर किसी ने कुदृष्टि डाली है, एक ग्रहण लग गया है। आज देश में आसुरी शक्तियों का और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव देखा जा सकता है।
समृद्ध विरासत पर लगा है ग्रहण
हमारे देश में 15 से 65 वर्ष की उम्र के लोगों की संख्या 92 करोड़ है। इनमें से 14.6 करोड़ लोग अल्कोहल (शराब) का सेवन करते हैं। तंबाकू आदि अन्य व्यसनों का सेवन करने वालों को जोड़ें तो यह संख्या 22 करोड़ हो जाती है। आने वाले समय में भारत को आध्यात्मिक दृष्टि से विश्व का नेतृत्व करना है तो पहले हमें देश को नशे से मुक्ति दिलानी होगी। शराब का सेवन करने वाला 10 तरह के कैंसर स्वयं लेकर बैठा होता है और वह अपनी ही नहीं, पूरे परिवार की बर्बादी का कारण बनता है। तन गया, मान गया, पैसा गया, घर की सुख शांति गई, बच्चों के संस्कार गए और आने वाली पीढ़ियों का सम्मान गया। वर्षों तक लोग उस घर में विवाह करना पसंद नहीं करते।
पूज्य गुरूदेव ने 58 में की थी पहल
आज पूरा विश्व इस समस्या की ओर बड़ी गंभीरता के साथ देख रहा है। पूज्य गुरूदेव ने इस विषय पर तब सोचा, जब कोई इस विषय पर सोचने को तैयार नहीं था। सन 1958 के सहस्र कुण्डीय यज्ञ में आने की पहली शर्त परम पूज्य गुरूदेव ने रखी थी व्यसन नहीं किया हुआ व्यक्ति ही इस यज्ञ में प्रवेश कर सकता है। गुरूदेव ने देव-दक्षिण का जो चिंतन दिया वह इसी आधार पर दिया कि आपको एक बुराई छोड़नी है और एक अच्छाई ग्रहण करनी है। बुराई छोड़ने का मतलब आप जो व्यसन करते हैं उसे छोड़िए।
समर्पण और सक्रियता को साधुवाद
आदरणीय डॉ. चिन्मय जी ने अपने उद्बोधन में अनेक शाखाओं का उल्लेख करते हुए देश में व्यसनमुक्ति के लिए कार्य कर रहे परिजनों को साधुवाद दिया।
नैष्ठिक प्रचारक श्री संतराम सेन : इस अवसर पर डॉ. चिन्मय जी ने व्यसनमुक्ति का एक आदर्श अभियान चला रहे शान्तिकुञ्ज के समर्पित कार्यकर्त्ता श्री संतराम सेन का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो सिलाई विभाग के प्रभारी के रूप में अपनी सेवाएँ देने के अलावा पिछले 25 वर्षों से जनजागरण का आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। गुजरात के एक कार्यकर्त्ता प्रति माह व्यसनमुक्ति की एक लाख पुस्तिकाएँ उन्हें उपलब्ध कराते हैं, जिन्हें वे पहले साइकिल से और अब ई-रिक्शा के माध्यम से घूम कर 7-8 किलोमीटर के क्षेत्र में बाँटते हैं और लोगों से व्यसन मुक्त जीवन जीने के लिए संकल्प कराते हैं।
ऐसे नशामुक्त होंगे 16 करोड़ लोग
आदरणीय डॉ. चिन्मय जी ने अखण्ड दीप की स्थापना और परम वंदनीया माताजी के जन्म के शताब्दी वर्ष 2026 तक गायत्री परिवार के प्रत्येक कार्यकर्त्ता से कम से कम एक व्यक्ति को व्यसनमुक्त कराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार के सदस्यों की संख्या 12 से लेकर 16 करोड़ है। नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड के आँकड़े बताते हैं कि देश में 16 करोड़ लोग व्यसनों का सेवन करते हैं। हमें एक-एक व्यक्ति को व्यसनमुक्ति की प्रेरणा देकर उनके जीवन को पूरी तरह से बदलना है।