• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
  • About Us
    • Patron Founder
    • Origin of Mission
    • Mission Vision
    • Present Mentor
    • Blogs & Regional sites
    • DSVV
    • Organization
    • Our Establishments
    • Dr. Chinmay Pandya - Our pioneering youthful representative
  • Initiatives
    • Spiritual
    • Environment Protection
    • Social
    • Educational
    • Health
    • Corporate Excellence
    • Disaster Management
    • Training/Shivir/Camps
    • Research
    • Programs / Events
  • Read
    • Books
    • Akhandjyoti Magazine
    • News
    • E-Books
    • Events
    • Gayatri Panchang
    • Motivational Quotes
    • Geeta Jayanti 2023
    • Lecture Summery
  • Spiritual WIsdom
    • Thought Transformation
    • Revival of Rishi Tradition
    • Change of Era - Satyug
    • Yagya
    • Life Management
    • Foundation of New Era
    • Gayatri
    • Scientific Spirituality
    • Indian Culture
    • Self Realization
    • Sacramental Rites
  • Media
    • Social Media
    • Video Gallery
    • Audio Collection
    • Photos Album
    • Pragya Abhiyan
    • Mobile Application
    • Gurukulam
    • News and activities
    • Blogs Posts
    • YUG PRAVAH VIDEO MAGAZINE
  • Contact Us
    • India Contacts
    • Global Contacts
    • Shantikunj (Main Center)
    • Join us
    • Write to Us
    • Spiritual Guidance
    • Magazine Subscriptions
    • Shivir @ Shantikunj
    • Contribute Us
  • Login
  • About Us
    • Patron Founder
    • Origin of Mission
    • Mission Vision
    • Present Mentor
    • Blogs & Regional sites
    • DSVV
    • Organization
    • Our Establishments
    • Dr. Chinmay Pandya - Our pioneering youthful representative
  • Initiatives
    • Spiritual
    • Environment Protection
    • Social
    • Educational
    • Health
    • Corporate Excellence
    • Disaster Management
    • Training/Shivir/Camps
    • Research
    • Programs / Events
  • Read
    • Books
    • Akhandjyoti Magazine
    • News
    • E-Books
    • Events
    • Gayatri Panchang
    • Motivational Quotes
    • Geeta Jayanti 2023
    • Lecture Summery
  • Spiritual WIsdom
    • Thought Transformation
    • Revival of Rishi Tradition
    • Change of Era - Satyug
    • Yagya
    • Life Management
    • Foundation of New Era
    • Gayatri
    • Scientific Spirituality
    • Indian Culture
    • Self Realization
    • Sacramental Rites
  • Media
    • Social Media
    • Video Gallery
    • Audio Collection
    • Photos Album
    • Pragya Abhiyan
    • Mobile Application
    • Gurukulam
    • News and activities
    • Blogs Posts
    • YUG PRAVAH VIDEO MAGAZINE
  • Contact Us
    • India Contacts
    • Global Contacts
    • Shantikunj (Main Center)
    • Join us
    • Write to Us
    • Spiritual Guidance
    • Magazine Subscriptions
    • Shivir @ Shantikunj
    • Contribute Us
  • Login

Gurukulam

Recent Posts

AWGP Blog Post
2025-07-26T09:33:57.136
ACTIVITY
डलास में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का स्थानीय परिजनों से आत्मीय संवाद, 2026 समारोह हेतु आमंत्रण प्रेषित

25 जुलाई 2025

डलास, टेक्सास

पाँच दिवसीय संयुक्त राज्य अमेरिका प्रवास के क्रम में गायत्री परिवार केन्द्रीय प्रतिनिधि आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी सहित डलास शहर के विभिन्न स्थानीय गायत्री परिजनों से भेंटवार्ता हेतु निवास स्थानों पर पहुंचे! गायत्री यज्ञ एवं आरती के माध्यम से समस्त परिवारजनों के जीवन में सुख, शांति एवं समुन्नता की प्रार्थना केंद्रीय प्रतिनिधियों द्वारा संपन्न करी गयी एवं 2026 वर्ष के समारोह में सहभागिता का आमंत्रण भी आद. डॉ. पंड्या द्वारा प्रेषित किया गया !

Like
3
Options
AWGP Blog Post
2025-07-26T09:31:45.847
ACTIVITY
डलास में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का स्थानीय परिजनों से आत्मीय संवाद, 2026 समारोह हेतु आमंत्रण प्रेषित

पाँच दिवसीय संयुक्त राज्य अमेरिका प्रवास के क्रम में गायत्री परिवार केन्द्रीय प्रतिनिधि आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी सहित डलास शहर के विभिन्न स्थानीय गायत्री परिजनों से भेंटवार्ता हेतु निवास स्थानों पर पहुंचे! गायत्री यज्ञ एवं आरती के माध्यम से समस्त परिवारजनों के जीवन में सुख, शांति एवं समुन्नता की प्रार्थना केंद्रीय प्रतिनिधियों द्वारा संपन्न करी गयी एवं 2026 वर्ष के समारोह में सहभागिता का आमंत्रण भी आद. डॉ. पंड्या द्वारा प्रेषित किया गया!

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-26T07:02:18.511
POST
विश्वात्मा ही परमात्मा

वैज्ञानिक और योगी- दो भाइयों ने सत्य की खोज का निर्णय किया। वैज्ञानिक ने विज्ञान और योगी ने मनोबल के विकास का मार्ग अपनाया। एक का क्षेत्र विराट का अनुसंधान था और दूसरे का अंतर्जगत्। दोनों ही पुरुषार्थ थे, अपने-अपने प्रयत्नों में परिश्रमपूर्वक जुट गये। वैज्ञानिक ने पदार्थ को कौतूहल की दृष्टि से देखा और यह जानने में तन्मय हो गया कि संसार में फँसे हुये यह पदार्थ कहाँ से निकले है। योगी ने देह को आश्चर्य से देखा और यह विचार, संकल्प और भावनायें कहाँ से आती है? उसकी शोध में दत्तचित्त संलग्न हो गया।

 वैज्ञानिक और योगी बढ़ते गये, बढ़ते गये। रुकने का एक ने भी नाम नहीं लिये। पर हुआ यह कि वैज्ञानिक विराट् के वन में भटक गया और योगी शरीर के अंतरजाल में। दोनों की विविधता, बहुलता और विलक्षणता के अतिरिक्त कुछ दिखाई न दिया। हाँ अब वे एक ऐसे स्थान पर अवश्य जा पहुँचे जहाँ विश्वात्मा अपने प्रकाश रूप में निवास करती थीं। गोद से भटके हुये दोनों बालको को जगत्जननी जगदम्बा ने अपने आँचल में भर लिया। वैज्ञानिक ने कहा- माँ! तुम ज्योतिर्मयी हो और योगी ने उसे दोहराया माँ। तुम दिव्य प्रकाश हो!
                  

  माँ ने कहा- ’तात्! मैं अन्तिम सत्य नहीं हूँ। मैं भी उन्हीं तत्वों से बनी हूँ, जिनसे तुम दोनों बने हो। मैं प्रकाश धारण करती हूँ, प्रकाश नहीं हूँ। मैं स्वर चक्षु और घ्राण वाहिका हूँ पर स्वर, दृश्य और घ्राण नहीं हूँ। तुम्हारी तरह मैं भी उस चिर प्रकाश की प्रतीक्षा में खड़ी हूँ, जो परम प्रकाश है, परम सत्य हैं पर मैंने उसे प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं किया। मैं तो इस प्रयत्न में हूँ कि उस सत्य के जो भी बीज सृष्टि में बिखरे पड़े हैं, वह मुरझाने न पायें। अपने पुत्रों की इसी सेवा सुश्रूषा में अपने सत्य को भूल गई हूँ। मुझे तो एक ही विश्वास है कि वह इन्हीं बीजों में बीज रूप से छुपा हुआ है, इनकी सेवा करते-करते किसी दिन उसे पा लूँगी तो मैं भी अपने को धन्य समझूँगी।” विश्वात्मा को प्राप्त कर वैज्ञानिक और योगी दोनों ही आनन्द मग्न हो गये। और स्वयं भी उसी की सेवा में जुट गये।

 जाबालि
अखण्ड ज्योति 1969 जून पृष्ठ 1

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-26T07:00:42.505
POST
सांसारिक सफलता का रहस्य |

सांसारिक सफलता, जो कुछ भी आज मेरी दिखाई पड़ती है, आपको गुरुजी में कोई सांसारिक चमत्कार है और सांसारिक विशेषता है, उसका कारण क्या है बेटे? यह शिक्षा, यह शिक्षा में सांसारिक सफलताओं की शिक्षा, मेरा जो गुरु हिमालय पर रहता है, उसकी दी हुई नहीं है। उसकी तो दूसरी शिक्षा दी है। लेकिन एक शिक्षा, एक शिक्षा मेरे सांसारिक गुरु भी हैं। मेरे कई गुरु हैं। चौबीस गुरु दत्तात्रेय के थे। चौबीस तो नहीं हैं, पर कई ज़रूर हैं मेरे गुरु। उसमें से एक गुरु ऐसा भी है जिसने मुझे सांसारिक सफलताओं का रहस्य ऐसी तरीक़े से समझा दिया कि मैं सांसारिक दृष्टि से अगर सफल हूँ, तो उसका सारा श्रेय उसी आदमी को मिलेगा। इसीलिए वो मुझे नसीहत दे दी। किसने दी नसीहत? सांसारिक सफलता की। बेटे, मैं तेरह-चौदह वर्ष का रहा हूँगा। उन दिनों सन इक्कीस का स्वराज्य आंदोलन बड़े ज़ोरों से चल रहा था और गांधी जी के बारे में गाँव-गाँव में बड़ी अफ़वाह थी।

पं श्रीराम शर्मा आचार्य

 

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-25T14:04:48.323
POST
मुक्ति के लिए प्रयत्न

कुछ लोग धनी बनने की वासना रूपी अग्नि में अपनी समस्त शक्ति, समय, बुद्धि, शरीर यहाँ तक कि अपना सर्वस्व स्वाहा कर देते हैं। यह तुमने भी देखा होगा। उन्हें खाने-पीने तक की भी फुरसत नहीं मिलती। प्रातःकाल पक्षी चहकते और मुक्त जीवन का आनन्द लेते हैं तब वे काम में लग जाते हैं। इसी प्रकार उनमें से नब्बे प्रतिशत लोग काल के कराल गाल में प्रविष्ट हो जाते हैं। शेष को पैसा मिलता है पर वे उसका उपभोग नहीं कर पाते। कैसी विलक्षणता। धनवान् बनने के लिए प्रयत्न करना बुरा नहीं। इससे ज्ञात होता है कि हम मुक्ति के लिए उतना ही प्रयत्न कर सकते हैं, उतनी ही शक्ति लगा सकते हैं, जितना एक व्यक्ति धनोपार्जन के लिये।

मरने के बाद हमें सभी कुछ छोड़ जाना पड़ेगा, तिस पर भी देखो हम इनके लिए कितनी शक्ति व्यय कर देते हैं। अतः उन्हीं व्यक्तियों को, उस वस्तु की प्राप्ति के लिये जिसका कभी नाश नहीं होता, जो चिरकाल तक हमारे साथ रहती है, क्या सहस्त्रगुनी अधिक शक्ति नहीं लगानी चाहिए? क्योंकि हमारे अपने शुभ कर्म, अपनी आध्यात्मिक अनुभूतियाँ- यही सब हमारे साथी हैं, जो हमारी देह नाश के बाद भी साथ जाते हैं। शेष सब कुछ तो यही पड़ा रह जाता है।
  
यह आत्म-बोध ही हमारे जीवन का लक्ष्य है। जब उस अवस्था की उपलब्धि हो जाती है, तब यही मानव- देव-मानव बन जाता है और तब हम जन्म और मृत्यु की इस घाटी से उस ‘एक’ की ओर प्रयाण करते हैं जहाँ जन्म और मृत्यु- किसी का आस्तित्व नहीं है। तब हम सत्य को जान लेते हैं और सत्यस्वरूप बन जाते हैं।

 स्वामी विवेकानन्द
अखण्ड ज्योति 1968 जून पृष्ठ 1

 

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-25T10:19:00.562
POST
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 65):विचार-क्रांति का बीजारोपण पुनः हिमालय आमंत्रण

मथुरा से ही उस विचार-क्रांति अभियान ने जन्म लिया, जिसके माध्यम से आज करोड़ों व्यक्तियों के मन-मस्तिष्कों को उलटने का संकल्प पूरा कर दिखाने का हमारा दावा आज सत्य होता दिखाई देता है। सहस्रकुंडी यज्ञ तो पूर्वजन्म से जुड़े उन परिजनों के समागम का एक माध्यम था, जिन्हें भावी जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी थी। इस यज्ञ में एक लाख से भी अधिक लोगों ने समाज से, परिवार से एवं अपने अंदर से बुराइयों को निकाल फेंकने की प्रतिज्ञाएँ लीं। यह यज्ञ नरमेध यज्ञ था। इनमें हमने समाज के लिए समर्पित लोकसेवियों की माँग की एवं समयानुसार हमें वे सभी सहायक उपलब्ध होते चले गए। यह सारा खेल उस अदृश्य बाजीगर द्वारा संपन्न होता ही हम मानते आए हैं, जिसने हमें माध्यम बनाकर समग्र परिवर्तन का ढाँचा खड़ा कर दिखाया।

मथुरा में ही नैतिक, बौद्धिक एवं सामाजिक क्रांति के लिए गाँव-गाँव आलोक वितरण करने एवं घर-घर अलख जगाने के लिए सर्वत्र गायत्री यज्ञ समेत युगनिर्माण सम्मेलन के आयोजनों की एक व्यापक योजना बनाई गई। मथुरा के सहस्रकुंडी यज्ञ के अवसर पर जो प्राणवान व्यक्ति आए थे, उन्होंने अपने यहाँ एक शाखा-संगठन खड़ा करने और एक ऐसा ही यज्ञ आयोजन का दायित्व अपने कंधों में लिया। ये कहें कि उस दिव्य वातावरण में अंतःप्रेरणा ने उन्हें वह दायित्व सौंपा, ताकि हर व्यक्ति न्यूनतम एक हजार विचारशील व्यक्तियों को अपने समीपवर्ती क्षेत्र में से ढूँढ़कर अपना सहयोगी बनाए। आयोजन चार-चार दिन के रखे गए। इनमें तीन दिन तीन क्रांतियों की विस्तृत रूपरेखा और कार्यपद्धति समझाने वाले संगीत और प्रवचन रखे गए। अंतिम चौथे दिन यज्ञाग्नि के सम्मुख उन लोगों से व्रत धारण करने को कहा गया, जो अवांछनीयता को छोड़ने और उचित परंपराओं को अपनाने के लिए तैयार थे।

 क्रमशः जारी
पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Like
3
Options
AWGP Blog Post
2025-07-25T09:58:33.706
ACTIVITY
अखंड ज्योति संयुक्त जन्मशताब्दी समारोह की तैयारी हेतु अमेरिका प्रवास पर आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या, डलास में हुआ भव्य स्वागत

अखिल विश्व गायत्री परिवार संस्थापक पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की साधना, वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं अखण्ड ज्योति की संयुक्त जन्मशताब्दी के प्रयाज कार्यक्रम की श्रृंखला में गायत्री परिवार प्रतिनिधि आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी सहित अमेरिका के सबसे बड़े राज्य टैक्सस के डलास शहर पहुंचे! आद. केंद्रीय प्रतिनिधियों के डलास एयरपोर्ट पर शुभ आगमन पर स्थानीय परिजनों द्वारा भव्य स्वागत किया गया! जनसंपर्क के क्रम में नगर के गणमान्यजनों के मध्य 2026 वर्ष के समारोह में सहभागिता का आमंत्रण भी आद. डॉ. पंड्या द्वारा प्रेषित किया गया!

Like
3
Options
AWGP Blog Post
2025-07-25T07:10:16.291
POST
मन पर लगाम लगे तो कैसे? (अन्तिम भाग )

 मन का केन्द्र बदला जा सकता है। पशु प्रवृत्तियों की पगडण्डियाँ उसकी देखी-भाली हैं। पर मानवी गरिमा का स्वरूप समझने और उसके शानदार प्रतिफल का अनुमान लगाने का अवसर तो उसे इसी बार इसी शरीर में मिला है। इसलिए अजनबी मन की अड़चन होते हुए भी तर्क, तथ्य, प्रमाण उदाहरणों के सहारे उसे यह समझाया जताया जा सकता है कि पशु प्रवृत्तियों की तुलना में मानवी गरिमा की कितनी अधिक श्रेष्ठता है। दूरदर्शी विवेक के आधार पर यह निर्णय, निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आदर्शवादिता और कर्तव्य परायणता अपनाने पर उसके कितने उच्चस्तरीय परिणाम प्रस्तुत हो सकते हैं।
 

पुराने ढंग की ईश्वर भक्ति में मन लगाने और साधनाओं में रुचि लेने के लिए परामर्श दिया जाता है किन्तु पुरातन तत्त्वज्ञान को हृदयंगम कराये बिना उस दिशा में न तो विश्वास जमता है और न मन टिकता है। बदली हुई परिस्थितियों में हम कर्मयोग को ईश्वर प्राप्ति का आधार मान सकते हैं। कर्तव्य को, संयम को, पुण्य परमार्थ को ईश्वर का निराकार रूप मान सकते हैं। कामों के साथ आदर्शवादिता का समावेश रखा जा सके तो वह सम्मिश्रण इतना मधुर एवं सरस बन जाता है कि उस पर मन टिक सके। बया अपने घोंसले को प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर तन्मयतापूर्वक बनाती है। हम भी अपने क्रिया–कलापों में मानवी गरिमा एवं सेवा भावना का समावेश रखें तो उस केन्द्र पर भी मन की तादात्म्यता स्थिर हो सकती है। मन को निश्चित ही निग्रहित किया जा सकता है।

समाप्त
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति 1990 नवम्बर

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-25T07:05:54.663
POST
आध्यात्मिकता के तीन कोष |

 भगवान के अवतार दो उद्देश्यों को लेकर के हुए हैं एक अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए आपको धर्म की स्थापना में बहुत ही प्यार होना चाहिए और सहकारी होना चाहिए और सहायक होना चाहिए और अच्छा होना चाहिए लेकिन जहां आपको अनीति दिखाई पड़ती हो वहां आपको बड़ा क्रोधी होना चाहिए और आपको वह क्रोध भी आध्यात्मिकता में शुमार है मन्यु रशी मन्यु भेदी हे भगवान आप मन्यु है और हमको मन्यु दीजिए  आप क्रोध करने वाले हो और हमको आप क्रोध करना सिखाए आप रूद्र है और आप हमको रूद्रपन  सिखाइए ताकि हम अनीति के विरुद्ध अवांछनीयता के विरुद्ध चाहे वह हमारे भीतर निवास करती हो चाहे हमारे व्यवहार में और हमारे वाणी में निवास करती हो अथवा हमारे पड़ोस में अथवा समाज में निवास करती हो कहीं भी हो हम अनीति से जरूर लड़ेगे अब हम मानेंगे नहीं किसी तरीके से नहीं मानेंगे भगवान राम ने भी जहां मर्यादाओं की स्थापना की भाई के लिए राज्य दे दिया सब कुछ किया जहां श्रेष्ठता ही श्रेष्ठता है वहां उन्होंने जब अस्थियों के समूह जमा किए हुए देखे तो दोनों हाथों से उठाकर के प्रतिज्ञा की भुज उठाय प्राण कीन्ह, निश्चर हीन करउँ महि  भुज उठाय प्राण कीन्ह भुजा उठा करके तब रघुवीर नयन जल छाए, भगवान की आंखों में नयनों में जल आ गए उन्होंने यह प्रतिज्ञा की कि जिन लोगों ने ऋषियों की हड्डियों को ऋषियों की हड्डियों को जमा किया है और जिन्होंने ऋषियों की अस्थियों को खाया है उनको हम निश्चर हीन करउँ महि इस पृथ्वी पर नहीं रहने देंगे यह मन्यु भी जरूरी है यह आध्यात्मिकता का अंग है और यह आध्यात्मिकता का एक अंश है हम समग्र आध्यात्मिकता को विकसित देखना चाहते हैं और जीवंत देखना चाहते हैं देखना चाहते हैं इसीलिए बेटे हम आपको सिखाते हुए चले जा रहे थे तीन कोषों को अगर आपको भौतिक उन्नति की आवश्यकता हो तो आप अपना शरीर और मन और प्राण इनको सशक्त और समर्थ बनाना चाहिए अगर आध्यात्मिकता का लाभ प्राप्त करने का हो  वह कोमलता के साथ में और करुणा के साथ में जुड़ा हुआ है उसको भी मैं तुझे बताऊंगा लेकिन मैं यह बताता हूं कि संसार संसार संसार तेरे ऊपर संसार छाया हुआ है संसार की सफलता तेरे ऊपर हावी है तो पहले अपने आप को ठीक कर अपने आप को ठीक कर फिर देख इसका कमाल |

पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Like
0
Options
AWGP Blog Post
2025-07-24T11:46:41.596
POST
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 65): प्रवास का दूसरा चरण एवं कार्यक्षेत्र का निर्धारण

एक दिन हम रात को 1 बजे के करीब ऊपर गए। लालटेन हाथ में थी। भागने वालों से रुकने के लिए कहा। वे रुक गए। हमने कहा— ‘‘आप बहुत दिन से इस घर में रहते आए हैं। ऐसा करें कि ऊपर की मंजिल के सात कमरों में आप लोग गुजारा करें। नीचे के आठ कमरों में हमारा काम चल जाएगा। इस प्रकार हम सब राजीनामा करके रहें। न आप लोग परेशान हों और न हमें हैरान होना पड़े।’’ किसी ने उत्तर नहीं दिया। खड़े जरूर रहे। दूसरे दिन से पूरा घटनाक्रम बदल गया। हमने अपनी ओर से समझौते का पालन किया और वे सभी उस बात पर सहमत हो गए। छत पर कभी-कभी चलने-फिरने जैसी आवाजें तो सुनी गईं, पर ऐसा उपद्रव न हुआ, जिससे हमारी नींद हराम होती; बच्चे डरते या काम में विघ्न पड़ता। घर में जो टूट-फूट थी, अपने पैसों से सँभलवा ली। ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका पुनः इसी घर से प्रकाशित होने लगी। परिजनों से पत्र-व्यवहार यहीं आरंभ किया। पहले वर्ष में ही दो हजार के करीब ग्राहक बन गए। ग्राहकों से पत्र-व्यवहार करते और वार्त्तालाप करने के लिए बुलाते रहे। अध्ययन का क्रम तो रास्ता चलने के समय चलता रहा। रोज टहलने जाते थे। उसी समय में दो घंटा नित्य पढ़ लेते। अनुष्ठान भी अपनी छोटी-सी पूजा की कोठरी में चलता रहता। कांग्रेस के काम के स्थान पर लेखन-कार्य को अब गति दे दी। अखण्ड ज्योति पत्रिका, आर्ष साहित्य का अनुवाद, धर्मतंत्र से लोक-शिक्षण की रूपरेखा, इन्हीं विषयों पर लेखनी चल पड़ी। पत्रिका अपनी ही हैंडप्रेस से छापते, शेष साहित्य दूसरी प्रेसों से छपा लेते। इस प्रकार ढर्रा तो चला, पर वह चिंता बराबर बनी रही कि अगले दिनों मथुरा में रहकर जो प्रकाशन का बड़ा काम करना है; प्रेस लगाना है; गायत्री तपोभूमि का भव्य भवन बनाना है; यज्ञ इतने विशाल रूप में करना है, जितना महाभारत के उपरांत दूसरा नहीं हुआ; इन सबके लिए धनशक्ति और जनशक्ति कैसे जुटे? उसके लिए गुरुदेव का वही संदेश आँखों के सामने आ खड़ा होता था कि, ‘बोओ और काटो’। उसे अब समाजरूपी खेत में कार्यान्वित करना था। सच्चे अर्थों में अपरिग्रही ब्राह्मण बनना था। इसी कार्यक्रम की रूपरेखा मस्तिष्क में घूमने लगीं।

 क्रमशः जारी
 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

 

Like
3
Options
Categories

View count

96742667

Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
Dec. 22, 2023, 12:13 p.m.

मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

Read More
प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
Jan. 9, 2025, 5:59 p.m.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

Read More
अध्यात्मवाद
Dec. 9, 2023, 4:10 p.m.

वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

Read More
आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
Feb. 27, 2024, 6:14 p.m.

मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

Read More
आत्मबल
Jan. 14, 2024, 10:44 a.m.

महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

Read More
देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
July 12, 2024, 5:53 p.m.

आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।

हरिद्वार 12 जुलाई।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

Read More
जहर की पुड़िया रखी रह गई
April 19, 2024, 12:25 p.m.

मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

Read More
स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
Feb. 23, 2024, 4:03 p.m.

गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

Read More
मूर्खता के लक्षण
July 1, 2024, 9:55 a.m.

मूर्खता के लक्षण छोड़ेंगे तब सद्गुण धारण कर सकेंगे. आगे ऐसे कई मुर्ख के लक्षण बताए गए थे, और भी कुछ लक्षण यहाँ बताए है, श्री समर्थ रामदास स्वामी कहत...

Read More
श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
March 4, 2024, 9:39 a.m.

Read More

About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj