SADHNA ABHIYAN
साधना से परब्रह्म की प्राप्ति संभव ः डॉ पण्ड्या
शांतिकुंज पहुंचे हजारों गायत्री साधक अपनी साधना की 51 कुण्डीय यज्ञशाला में करेंगे पूर्णाहुति
हरिद्वार 16 अप्रैल।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी ने कहा कि प्रभु श्रीराम शबरी को उपदेश देते कहते हैं कि दृढ़ विश्वास के साथ जप साधना करना, मेरी भक्ति में से एक है। यह भक्ति नवधा भक्ति के मध्य में यानि केन्द्र में स्थित है। जिस प्रकार शरीर का प्रत्येक अंग अवयव उपयोगी है, पर प्राण के बिना वह सक्रिय नहीं रह सकते, उसी प्रकार पाँचवीं भक्ति नवधा भक्ति रूपी कलेवर का मानो प्राण है।
मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या जी श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना के नौ सोपान विषय पर आधारित सत्संग शृंखला के आठवें दिन साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्हों...
नवरात्र साधना सात्विक होना चाहिए ः डॉ. पण्ड्या
शांतिकुंज में बड़ी संख्या में उपनयन सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न
देवभूमि इन दिनों साधना के रंग में रंगा हुआ। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में भी देश विदेश से कई हजार साधक पहुंचे हैं और मनोयोगपूर्वक गायत्री के सामूहिक अनुष्ठान में जुटे हैं। नवरात्र साधना के छठवें दिन महाकाल की विशेष स्तुति की गयी और विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये गये।
शांतिकुंज के मुख्य सभागार में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने माता शबरी की योगसाधना में नवधा भक्ति का तीसरा सोपान विषय पर साधकों को संबोधित किया। प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या जी ने कहा कि नवरात्र साधना सात्विक होना चाहिए। सात्विक साधना से साधक में भगवत् प्राप्ति की भूख जागती ...
साधना से होता है साधक का जीवन निर्मल- डॉ. पण्ड्या
साधना साधक को प्रभु प्रेम के निकट पहुंचाता है- श्रद्धेय डॉ.प्रणव पण्ड्या
हरिद्वार 12 अप्रैल।इन दिनों गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में हजारों लोग त्रिकाल संध्या में सामूहिक जप एवं सत्संग में जुटे हैं। नवरात्र साधना के चौथे दिन प्रातःकालीन सत्संग सभा में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने गायत्री साधकों को श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गायत्री साधना से साधक में एक विशेष प्रकार का आभामंडल बनता है, जो उसके जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है। साधना साधक को प्रभु प्रेम के निकट पहुंचाता है। साधना काल में सत्संग व श्रेष्ठ साहित्यों के अध्ययन से साधक के मन के बुरे विचार दूर होते हैं। सत्संग से पवित्र विचार आते हैं...
गायत्री साधना से विकसित होती है पात्रता ः डॉ. पण्ड्या
शांतिकुंज में सामूहिक गायत्री साधना अनुष्ठान में जुटे हजारों लोग
हरिद्वार 10 अप्रैल।अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधना से साधक में पात्रता विकसित होती है। साधना जाति, पांति, कुल, धर्म, धन, बल, परिवार आदि से परे होकर एकनिष्ठ भाव से करनी चाहिए। साधना काल में भगवत सत्ता की स्तुति भी करनी चाहिए, जिससे मन में पवित्र भाव का जागरण हो। प्रभु से नाता जोड़ने का सशक्त माध्यम है साधना और उनकी स्तुति।
प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या शांतिकुंज के मुख्य सभागार में श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योग साधना विषय पर आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर शांतिकुंज कार्यकर्ता भाई बहिन सहित देश विदेश से आये हजारों गायत्री स...