श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
देश एवं दुनिया अब भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रही है।हमारे ऋषियों द्वारा प्रदत्त सांस्कृतिक धरोहर की ओर अब दुनिया चलने लगी है। उक्त विचार शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने व्यक्त किए। वे मुंबई में पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ के अभूतपूर्व सफलता के साथ समापन के बाद लौटी शांतिकुंज टीम के साथ समीक्षा बैठक कर रही थी।
परम श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अग्रिम पंक्ति के लोगों ने अश्वमेध महायज्ञ में प्रतिभाग किया। आयोजन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की और महायज्ञ के उद्देश्यों की पूर्ति का संकल्प लिया, वह यह बताता है कि देश का राजतंत्र धर्मतंत्र को अपने से ऊपर का स्थान दे रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सांस्कृतिक पुर्नस्थापना की ओर गायत्री परिवार का यह एक सार्थक कदम है। युगऋषि के सपनों का भारत दिव्य,समर्थ,सबल एवं विकसित भारत के निर्माण तक हमें सतत आगे बढ़ते रहना है।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व और स्थानीय परिजनों के अथक परिश्रम से मुंबई अश्वमेध महायज्ञ अद्भुत सफलताओं के साथ सम्पूर्ण हुआ। ठीक वैसा ही अनुभव हुआ, जैसे प्रभु श्रीराम जी के साथ हम सब रीछ वानर राम सेतु बना रहे हो।
इस पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ में भारत, कनाडा, रसिया, अमेरिका सहित पचास से अधिक देशों के पांच करोड़ से अधिक लोगों ने प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से प्रतिभाग किया। लाखों लोग ने अश्वमेध महायज्ञ में गुरु दीक्षा ली। हजारों की संख्या में विभिन्न संस्कार सम्पन्न कराए गए। इस दौरान एक हजार से अधिक लोगों ने रक्तदान किया जिसे स्थानीय अस्पताल में जरूरतमंदों के लिए सुरक्षित कराया गया तो वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए दो लाख सत्रह हजार से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे वितरित किए गए। इस दौरान एक लाख से अधिक नर-नारी व्यसन मुक्त विश्व बनाने के लिए संकल्पित हुए। अश्वमेध महायज्ञ को देश-विदेश के मीडिया संस्थानों ने भी प्रमुखता से स्थान दिया और सराहा। यह कार्यक्रम न भूतो न भविष्यति की तरह अभूतपूर्व सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।
Recent Post
काया से नहीं, प्राणों से प्यार करें:-
जो हमें प्यार करता हो, उसे हमारे मिशन से भी प्यार करना चाहिए। जो हमारे मिशन की उपेक्षा, तिरस्कार करता है लगता है वह हमें ही उपेक्षित-तिरस्कृत कर रहा है। व्यक्तिगत रूप से कोई हमारी कितनी ही उपेक्षा ...
ज्ञान की मशाल का प्रयोजन:-
जनमानस का भावनात्मक नवनिर्माण करने के लिए जिस विचारक्रांति की मशाल इस ज्ञानयज्ञ के अंतर्गत जल रही है, उसके प्रकाश में अपने देश और समाज का आशाजनक उत्कर्ष सुनिश्चित है। स्वतंत्र चिंतन के अभाव ने हमें...
शपथ पूर्वक सृजन यात्रा:-
अब हम सर्वनाश के किनारे पर बिलकुल आ खड़े हुए हैं। कुमार्ग पर जितने चल लिए उतना ही पर्याप्त है। अगले कुछ ही कदम हमें एक दूसरे का रक्तपान करने वाले भेड़ियों के रूप में बदल देंगे। अनीति और अज्ञान से ओत-...
गुरुदेव की वाणी अपनों से अपनी बात
हम अपने परिजनों से लड़ते-झगड़ते भी रहते हैं और अधिक काम करने के लिए उन्हें भला-बुरा भी कहते रहते हैं, पर वह सब इस विश्वास के कारण ही करते हैं कि उनमें पूर्वजन्मों के महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक संस्कार...
अपना विचार क्षेत्र बढ़ाना है
हमें अपना विचार क्षेत्र बढ़ाना है। अब तक केवल अखण्ड-ज्योति और युग-निर्माण पत्रिका से ही अपना संपर्क क्षेत्र विनिर्मित करते रहें। जो इन्हें पढ़ते हैं उन्हीं तक अपने विचार पहुँचते हैं। इस छोटे वर्ग स...
रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे
नया युग लाने के लिए धरती पर स्वर्ग का अवतरण करने के लिए-सतयुग की पुनरावृत्ति आँखों के सामने देखने के लिए-हमें कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण, दुस्साहस भरे रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे। शत-सूत्री...
हम बदलेंगे युग बदलेगा
बड़े आदमी बनने की हविस और ललक स्वभावतः हर मनुष्य में भरी पड़ी है। उसके लिये किसी को सिखाना ही पड़ता। धन, पद, इन्द्रिय सुख, प्रशंसा, स्वास्थ्य आदि कौन नहीं चाहता? वासना और तृष्णा की पूर्ति में कौन व...
परिजनों को परामर्श
अपना विशाल परिवार हमने एक ही प्रयोजन के लिये बनाया और सींचा है कि विश्व-मानव की अन्तर्वेदना हलकी करने में और रुदन, दरिद्र, जलन से बचाने के लिये कुछ योगदान सम्भव हो सके, पेट और प्रजनन की कृमि कीटकों...
जमाना तेजी से बदलेगा
हमारा पहला परामर्श यह है कि अब किसी को भी धन का लालच नहीं करना चाहिए और बेटे-पोतों को दौलत छोड़ मरने की विडम्बना में नहीं उलझना चाहिये। यह दोनों ही प्रयत्न सिद्ध होंगे। अगला जमाना जिस तेजी से बदल र...
ईश्वरीय अनुग्रह के अधिकारी
परमार्थ प्रवृत्तियों का शोषण करने वाली इस विडम्बना से हम में से हर एक को बाहर निकल आना चाहिए कि “ईश्वर एक व्यक्ति है और वह कुछ पदार्थ अथवा प्रशंसा का भूखा है, उसे रिश्वत या खुशामद का प्रलोभन ...