
आप में कितना आत्म विश्वास है?
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(पं. रामनिवास शर्मा, अम्बाह)
‘अखंड ज्योति’ के पाठक अच्छी तरह जानते होंगे कि जीवन में सब प्रकार की सफलताएं आत्म विश्वास पर निर्भर हैं। जिसमें आत्म विश्वास जितना कम होगा वह सफलता से उतना ही पिछड़ा होगा। इसलिए अपने आत्म विश्वास के संबंध में जानकारी रखना आवश्यक है।
नीचे एक सरल गणित दिया जाता है जिससे पाठक यह जान सकें कि हम में कितना आत्म विश्वास हैं। जो 20 प्रश्न नीचे दिये गये हैं उनमें से हर एक को क्रमश अपने सामने रखिए हर प्रश्न के संबंध में अपनी स्थिति को अच्छी तरह सोचिये और उसका उत्तर ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में एक कागज पर लिख लीजिए। जितने प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ आया हो उनकी संख्या को 5 से गुणा कर दीजिए। यही संख्या आपके आत्म विश्वास के नम्बर हैं। पूरा आत्म विश्वास 100 नंबर का होता है। यदि आपको 50 नंबर भी मिल जायं तो समझिये कि पास हो गये। आप में काम चलाने लायक आत्म विश्वास है। यदि अधिक नंबर मिले तो उतनी ही अधिक योग्यता समझिये। यदि 50 से भी कम नंबर मिलें तो समझिये कि आपका आत्म विश्वास अभी बहुत कम है। उसे बढ़ाये बिना जीवन संग्राम में विजय प्राप्त नहीं की जा सकती।
प्रश्न
(1) क्या आप किसी संस्था, दल या जनसमूह के मुखिया या पदाधिकारी रहते हैं ?
(2) क्या आपके मालिक, सहयोगी बड़े-बूढ़े आपके काम से संतुष्ट और प्रसन्न रहते हैं।
(3) क्या आपने किन्हीं प्रतियोगिताओं में इनाम पाया है।
(4) क्या आप गलतियों को स्वीकार कर लेते हैं ? और उन्हें आइंदा न करने का निश्चय एवं पश्चाताप करते हैं ?
(5) जो बात आपको पसंद नहीं उसे निर्भयता पूर्वक लोगों के सामने रख देते हैं ?
(6) क्या आप लोगों से अपना अधिक परिचय बढ़ाने का प्रयत्न करते रहते हैं ?
(7) आपको शरीर और वस्त्र बिल्कुल स्वच्छ रखने की आदत है ?
(8) क्या आप बड़े आदमियों से बिना झिझके मिलते हैं ? और उन से आवश्यक विषयों पर बिना संकोच के पूरी बात चीत करते हैं ?
(9) दूसरों को गलत मार्ग पर जाते हुए देख कर क्या आप उनको समझाते हैं ? और अनुचित कार्यवाही को रोकने का प्रयत्न करते हैं?
(10) सवालों का जवाब देना आपको रुचिकर लगता है ?
(11) क्या आपको दूसरों से प्रश्न पूछने में आनंद आता है ?
(12) क्या आप अपने स्वभाव और कामों के ऊपर गर्व और आत्म संतोष रखते हैं ?
(13) क्या आप सुन्दर भविष्य की कल्पना रखते हुए हैं? और अपने को भाग्यशाली समझते हैं?
(14) आपको किन्हीं विषयों में विशेष रुचि हैं?
(15) पढ़ना और खेलना आपके प्रिय विषय हैं?
(16) क्या शत्रुओं की उपेक्षा आपके मित्र अधिक हैं ?
(17) उत्सवों, प्रीतिभोजों, सम्मेलनों में आपको अधिकतर निमंत्रित किया जाता है ?
(18) कठिनाई पड़ने पर आप घबरा तो नहीं जाते ? साहसपूर्वक उनका मुकाबला कर लेते हैं न ?
(19) विरोधी विचार वालों के साथ शाँतिपूर्वक विवाद करते रहते हैं ?
(20) आपने अपने जीवन का कोई लक्ष नियत कर लिया है? और उस पर निश्चित भाव से आगे बढ़ते रहते हैं।