
योगी कार्य क्षेत्र में उतर रहे हैं।
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(योगी अरविन्द घोष)
भारतवर्ष के ऋषि-मुनि और योगीगण जो गिरिकन्दराओं तथा निर्जन वनों में परमानन्द का चिन्तन करते हुए समय बिता रहे थे, वे अब भगवान् की प्रेरणा पाकर विश्व को सच्चे शान से आलोकित करने के लिये कार्यक्षेत्र में उतरे हैं। इसी से आज भूत, निर्जीव और प्राणहीन भारत फिर जाग उठा है। क्षीणकाय, दुर्बल शरीर, रक्त मज्जा हीन, भारत के सपूत, खाली हाथ बिना सहायता के अस्त्र शस्त्र हीन होते हुए भी आज संसार पर विजय प्राप्त करने के लिये कमर कस कर तैयार हुए हैं। संसार की मदान्य जातियाँ मद में चूर होकर भारत को तुच्छातितुच्छ समझ कर उसके अवहेलना करती थीं, पर आप इन थोड़े दिनों में ही समस्त संसार विस्मित और विस्फारित नेत्रों से भारत की ओर देख रहा है। भारतवर्ष की यह जाग्रति, स्वप्न नहीं है, मिथ्या नहीं है, भ्रम नहीं है, भारत वर्ष जाग उठा है, वह जागृति जितनी शीघ्रता से संपादित हुई है, उतनी ही स्थायी रहेगी।
यद्यपि भारतवर्ष के पास इस समय कुछ नहीं है, उसके पास उत्थान के कोई ठोस साधन नहीं हैं, फिर भी अपने तपोबल के सहारे पर वह सब कुछ कर लेगा। उनको ईश्वर पर भरोसा है, विश्वास है। यह विश्वास इस विश्व की जड़ बतलाने वालों की सीमा से सर्वथा दूर है और उनके लिए अगम्य है। भगवान् की सहायता से ही वह समस्त संसार को ज्ञान की दीक्षा देगा। भूतल के सिंहासन पर जनक, अजातशत्रु और कार्तवीर्य की भाँति अटल बैठकर संसार की समस्त जातियों का शासन करेगा और यह विश्व एक बार पुनः स्वर्ग हो जायगा।