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Magazine - Year 1971 - Version 2

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Language: HINDI
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न विकासवाद, न अनुवाँशिकतावाद-अपवाद

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साँचे और छापे की तरह बनने और ढलकर व्यक्त रूप धारण करने के प्राकृतिक नियम पर संसार बना है। इसी नियम पर उसमें अन्यान्य परिवर्तन होते रहते हैं। भौतिक विज्ञान की प्रगति इस तरह के सिद्धान्तों की शोध के फलस्वरूप ही होती है। यदि सब कुछ छापे खाने की भाँति ही छप और बन रहा होता तब तो यह माना जा सकता था कि संसार में प्रकृति या पदार्थ की ही सत्ता सर्वोपरि सत्ता है पर जब ऐसी घटनायें भी घटित होती देखने में आती हैं जो साँचे के सिद्धान्त से भिन्न होती हैं तथा उनमें किसी न किसी प्रकार की मस्तिष्कीय व्यवस्था होती है तो यही मानना पड़ता है कि संसार में पदार्थ ही विचार की भी एक सार्वभौमिक सत्ता है जो अपनी इच्छा से विलक्षण कौतुक भौतिक आधार नहीं होता इसलिए उन्हें आध्यात्मिक ही कहना उपयुक्त लगता है। निम्न पंक्तियों में अनेक ऐसे ही उदाहरण प्रस्तुत हैं जिनका कोई भौतिक आधार नहीं वे मात्र किसी इच्छा शक्ति के ही चमत्कार प्रतीत होते हैं जो स्वतन्त्र बुद्धि के रूप में विराट विश्व में क्रियाशील होती है-उसे ही परमात्मा कह सकते हैं।

इटली के एक 43 वर्षीय गिवनी गैलेन्ट की आँखें उल्लू की आँखों जैसी हैं सन् 1928 में उसने अपने माता-पिता से मिलने हर मिन पा जाने के लिए वीसा के लिए आवेदन किया उसे अस्वीकार करते हुए पब्लिक हैल्थ इन्सपेक्टर ने कहा-आपको दिन के अन्धेपन का रोग है इसलिए यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती। सचमुच ही वह केवल रात में ही देख सकता था दिन में उसे कुछ दिखाई नहीं देता था। इस प्रकार उसने यह अमान्य कर दिया कि देखने के लिए प्रकाश आवश्यक होता है उसने एक प्रकार से सिद्ध किया कि जीवन के सारे गुण उसकी सूक्ष्म चेतना में विद्यमान है इसलिये उसे ही जानना और समझना चाहिए।

फ्राँस के टूरकुइंग नगर में मशहूर क्लेमेन्ट नाम की एक लड़की 1793 में पैदा हुई उसने शरीर विज्ञान के सारे नियमों को तोड़ दिया उसके केवल एक ही आँख थी वह भी दोनों आँखों के बीच में ठीक दोनों भौहों के मध्य। वह उससे बहुत अच्छा देख सकती थी। वैज्ञानिकों ने परीक्षण करके बताया कि जिस स्थान पर उसकी आँख है वह एक बहुत ही महत्व का स्थान है जिसके बारे में विज्ञान कुछ नहीं जानता। इस आँख को परमात्मा ने योग-दृष्टि और भारतीय योग विद्या के आज्ञा-चक्र के प्रमाण स्वरूप उपस्थिति किया हो तो कुछ आश्चर्य नहीं।

यह विचित्रतायें किसी भी अनुवाँशिक गुण (हेरेडिटी करेक्टा) पर आधारित नहीं होने से अधिक विस्मय पूर्ण हैं। जन्मान्ध हुआ, जन्म से एक आँख न रही हो पर बिना आँखों के जन्म हुआ तो ऐसा एक भी उदाहरण इतिहास में नहीं मिलता। लेकिन फ्राँस में सबेलनासी आक्स में एक ऐसा लड़का भी जन्मा जिसके एक भी आँख नहीं थी। आँखों का स्थान सपाट था और विज्ञान को चुनौती दे रहा था कि यह किस अनुवांशिक गुणों का प्रभाव है। उस लड़के के 6 और भी भाई-बहनें है जिनमें से किसी में भी इस तरह का कोई चिन्ह नहीं।

इससे भी विलक्षण था मोमिन्स का डब्लू जे. ब्रासर्ड। अभी तक विज्ञान का यही तर्क है कि स्त्री व पुरुष के गुण सूत्र (क्रोमोसोम) मिलकर ही शरीर की विविधता का निर्माण करते हैं। यह तो सम्भव है कि माता और पिता के वंशजों में किसी में नीली या भूरी आँखें रही हों और उसके फलस्वरूप भी नीली आंखों वाली तो कभी भूरी आंखों वाली सन्तानें पैदा होती रही हों पर ब्रासर्ड इन सभी वैज्ञानिक मान्यताओं का अपवाद था अर्थात् उसकी एक आँख तो नीली थी और एक भूरी ऐसा किस कारण हुआ? पता नहीं चल पाय पर इतना स्पष्ट हो गया कि जिस प्रकार कोई आदमी कापी पर अपनी इच्छा से चित्र बनाया करता है कोई एक सार्वभौमिक विचार शक्ति है जो संसार की विचित्रताओं का नियमन और सृजन करती है।

आँख वालों की दुनिया के कुछ और आश्चर्य- भौंरे की आँखों का लेन्स ऐसा होता है कि वह पहले एक आकृति की हजार आकृतियाँ बनाकर भेजती हैं पर दिखाई देती हैं अन्त में वही एक की एक वस्तु। मक्खियों ओर तितलियों की आँखें भी ऐसी ही होती है। इस विचित्रता में संभवतः एक शिक्षा यह है कि पंच-भौतिक पदार्थों से बनने वाले करोड़ों दृश्यों वाले इस संसार में मनुष्य को भूलना नहीं चाहिए वरन् एक और अनादि तत्व को ही पकड़ना और प्राप्त करना चाहिएं। यह तभी सम्भव है जब कुछ चार आँखों वाली समुद्री मछलियों के समान अपनी दृष्टि चौमुखी बनायें और आठ-आठ हाथों पावों वाली स्क्वीड मछली की तरह अपने चारों तरफ के वातावरण के अध्ययन की सक्रियता दर्शाये। आँखों की इस अनोखी दुनिया में भेड़िया मकड़ी को भुलाया नहीं जा सकता जिसके कि आठ आँखें होती हैं इन आठों आँखों का उपयोग वह अपने चारों तरफ के क्षेत्र की जाँच और अपने शिकार की टोह में करती है। शिकार को देखते ही उस पर टूट पड़ती है और खा जाती है। विवेकशील मनुष्य भी अपनी बुद्धि की आँखों से चारों तरफ देखकर निर्णय करते हैं कि तभी वह संसार के दैन्य और दुर्भाग्य को जीतकर सफल और समर्थ कहलाते हैं।

आँख या शारीरिक अंगों का मिलना न मिलना कोई बड़े महत्व की बात नहीं। प्रसंग बताते हैं कि उसने संसार के हर करण को परिपूर्ण बनाया है हमें उस मूल बिन्दु को खोजने भर की आवश्यकता है। स्काटलैंड के इनवर्नेस स्थान में 5 फरवरी 1866 में एक लड़का पैदा हुआ नाम था विलियम मैकफर्सन वह जन्मान्ध था, उसके हाथ भी नहीं थे फिर भी वह मून टाइप के उभरे हुए अक्षरों को अपनी जीभ की नोंक से पढ़ लेता था अपने इस दुर्भाग्य के बावजूद भी वह अपने आपको दुनिया का सबसे अधिक सुखी व्यक्ति कहा करता था।

फ्रैंक फोर्ट में ग्रेटेल मेयर नामक ऐसी महिला थी जिनके दो जीभें थी। लगता है वे पूर्व जन्मों में बहुत बोलने वाली थी तभी उन्हें भगवान ने दो जीभें दीं पर बोल सकना उनके लिये पूँजी के धन की भाँति दो जीभों से भी सम्भव नहीं हुआ। कुमार फैनी माइल्स अमेरिका के ओहियो प्राँत के विख्यात नगर सिनसिनाटी में 188å में जन्मी उनके पैर के पंजे 2-2 फीट लम्बे थे जबकि शरीर सामान्य था। यह विचित्रता यह संकेत देती थी कि मनुष्य कोई स्वतन्त्र इकाई न होकर इतर प्राणियों का सजातीय है। ऐसा न होता तो यह अनुवाँशिक गुण मनुष्य में कहाँ आ जाते। ऐसी घटनायें ही जीवन के अन्य योनियों में भ्रमण और पुनर्जन्म का भी प्रमाण हैं उनको ठुकराया जाना सम्भव नहीं है।

कई बार की विचित्रतायें तो और भी आश्चर्यजनक होती हैं और वह बताती हैं कि यह संसार किसी बहुत ही ए.एफ.डा.डी नामक एक स्.ी को प्रसव के समय अण्डा देते समय लोग चौंके। कुछ दिन तक यह प्रतीक्षा की जाती रही कि अण्ड फूटेगा और बच्चा निकलेगा किन्तु जब अण्डा न हिला न डुला तो उसे फोड़ा गया, भीतर से निकला एक मूँगफली का दाना। कुछ लोग इस घटना पर हंसे पर अधिकाँश यह सोचते रह गये कि यह किस विकासवाद की बला है।

शिकागो (अमेरिका) में जान.टी0 बोवर्स के वायु नली नहीं थी, स्वर तन्त्री तथा कण्ठ पिटक आदि कुछ भी नहीं थे फिर भी वह सामान्य व्यक्तियों की भाँति ही अपनी जीभ से बोलता और उच्चारण करता था। वह सारी घटनायें यदा-कदा और कहीं एक आध व्यक्तियों के साथ घटित होती है स्पेन में करवेरा ही ब्रुट्रेगा नामक एक गाँव में सभी व्यक्तियों के हाथ तथा पैरों में कई-कई अंगुलियों हैं। 6 अंगुलियां तो सभी के हैं केवल एक बुड्ढा ही ऐसा है जिसके 1å-1å अंगुलियाँ हाथ-पैरों में हैं। यह लोग संसार के सामान्य लोगों को आश्चर्य की दृष्टि से देखा करते हैं।

यह विचित्रतायें मनुष्य शरीरों तक ही सीमित नहीं अन्य जीवों में भी अपवाद भरे पड़े हैं। डेनवर (कोलम्बिया) में एक किसान केपास हरफोर्ड नामक गाय है जिसके दो स्थानों पर थन हैं सामान्य स्थान में भी और पीठ में भी। दोनों थनों से दूध निकलता है। दो जीभों वाली गायें बहुत मिलती हैं पर थनों वाली नहीं। फिर थनों में दूध पियूष ग्रन्थि (पिचुट्ररी ग्रन्थि) की क्रिया से बनता है इसलिये दोनों स्थानों से पीयूष ग्रन्थि का सम्बन्ध निर्विवाद हैं और वह यह बताता है कि भीतर ही भीतर शरीरों की गुप्त रचना करने वाली सत्ता कुछ भी कर सकने में समर्थ है। आँख फोड़वा (ग्रास हापर्स) को दो आँखें होती है वह एक नियम है पर एक ग्रास हापर्स वह भी होते है जिनके पाँच-पाँव आँखें होती हैं और पाँचों आँखें देखती भी हैं। कैलीफोर्निया के हिटियर में लैरी स्टोन नामक व्यक्ति ने एक बतख पाली। डैफी नामक यह बतख आधे-ओध अण्डे देती है और उन आधे अण्डों से ही पूरे और स्वस्थ बच्चे पैदा होते हैं। डैफी बतख दुनिया में अपनी तरह की अकेली बतख है और इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण भी कि संसार में एक ऐसी सत्ता अवश्य है जो संसार के सभी नियमों और व्यवस्थाओं का अपवाद है जो संसार के सभी नियमों और व्यवस्थाओं का अपवाद तथा अपवादों से भी बढ़कर पर शक्तिशाली है। हम यदि उससे संपर्क स्थापित कर सकें तो वैसी ही विलक्षण सामर्थ्यों से अपने आपको भी परिपूर्ण बना सकते हैं।

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Type: TEXT
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