• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • स्थायी-मिलन का रहस्य
    • ज्ञान की सार्थकता
    • आत्म परिष्कार से परब्रह्म की प्राप्ति
    • महत् प्रकाश पुँज के ही हम एक स्फुल्लिंग है।
    • Quotation
    • आश्चर्य जगत के अधिष्ठाता की खोज
    • मृत्यु जीवन की अविच्छिन्न सहचरी
    • स्वप्नों में अन्तर्निहित जीवन सत्य
    • Quotation
    • अग्निहोत्र का स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • Quotation
    • बुराई का बुरा अन्त
    • Quotation
    • मालिकों को जगाओ-प्रजातंत्र को बचाओ-2
    • बीमारियाँ शरीर की नहीं- मन की
    • परोपकारी बड़ा या ताकतवर
    • नारी के गले में पराधीनता की नई फाँसी
    • दीन-दुःखी मनुष्यों की सेवा करना सर्वप्रथम है
    • लाख दिशाएं छिप न सकेंगी, गहरे मन की बातें
    • सफलता का श्रेय- संकल्पवानों को
    • ब्रह्म एक समष्टि चेतना और जीव व्यष्टि
    • KavitaSmall
    • श्री आद्य शंकराचार्य के कुण्डलिनी अनुभव
    • वही आनन्द पा सकता है
    • अपनों से अपनी बात
    • अपनी सामर्थ्य को समझें और काम में लायें
    • ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
    • स्वास्थ्य सन्तुलन बनाने बिगाड़ने वाले रहस्यमय स्रोत
    • सभी प्राणियों को अपने समान समझकर व्यवहार करो
    • ब्रह्म तेजो बलम् बलम्
    • रुग्णता को आग्रहपूर्वक आमन्त्रण
    • Quotation
    • प्रचण्ड ऊर्जा के दो प्रवाह कुण्डलिनी में
    • गायत्री मंत्र की भावनात्मक पृष्ठभूमि
    • उपासनात्मक सम्बन्धी भ्रांतियों को जड़मूल से निरस्त किया जाये
    • नश्वर संसार
    • नश्वर संसार (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • स्थायी-मिलन का रहस्य
    • ज्ञान की सार्थकता
    • आत्म परिष्कार से परब्रह्म की प्राप्ति
    • महत् प्रकाश पुँज के ही हम एक स्फुल्लिंग है।
    • Quotation
    • आश्चर्य जगत के अधिष्ठाता की खोज
    • मृत्यु जीवन की अविच्छिन्न सहचरी
    • स्वप्नों में अन्तर्निहित जीवन सत्य
    • Quotation
    • अग्निहोत्र का स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • Quotation
    • बुराई का बुरा अन्त
    • Quotation
    • मालिकों को जगाओ-प्रजातंत्र को बचाओ-2
    • बीमारियाँ शरीर की नहीं- मन की
    • परोपकारी बड़ा या ताकतवर
    • नारी के गले में पराधीनता की नई फाँसी
    • दीन-दुःखी मनुष्यों की सेवा करना सर्वप्रथम है
    • लाख दिशाएं छिप न सकेंगी, गहरे मन की बातें
    • सफलता का श्रेय- संकल्पवानों को
    • ब्रह्म एक समष्टि चेतना और जीव व्यष्टि
    • KavitaSmall
    • श्री आद्य शंकराचार्य के कुण्डलिनी अनुभव
    • वही आनन्द पा सकता है
    • अपनों से अपनी बात
    • अपनी सामर्थ्य को समझें और काम में लायें
    • ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
    • स्वास्थ्य सन्तुलन बनाने बिगाड़ने वाले रहस्यमय स्रोत
    • सभी प्राणियों को अपने समान समझकर व्यवहार करो
    • ब्रह्म तेजो बलम् बलम्
    • रुग्णता को आग्रहपूर्वक आमन्त्रण
    • Quotation
    • प्रचण्ड ऊर्जा के दो प्रवाह कुण्डलिनी में
    • गायत्री मंत्र की भावनात्मक पृष्ठभूमि
    • उपासनात्मक सम्बन्धी भ्रांतियों को जड़मूल से निरस्त किया जाये
    • नश्वर संसार
    • नश्वर संसार (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1971 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


अपनी सामर्थ्य को समझें और काम में लायें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 25 27 Last
प्रत्येक व्यक्ति क्षमता सम्पन्न है। अकूत क्षमताओं का भण्डार है। सृष्टा ने जब मनुष्य जाति की रचना की तब सबसे पहले उसने उसकी कठिनाइयों को ध्यान में रखा होगा और फिर उनका सामना करने के लिए विलक्षण क्षमताओं का समावेश किया। पर आज मानव वर्ग गुमराह हो गया है। अपनी क्षमताओं, प्रतिभाओं को देख-परख नहीं पाता। स्वयं को उस स्तर का नहीं आँकता जिस स्तर का वास्तव में वह है। यदि ऐसा हो पाता तो मनुष्य आज इतना त्रस्त नहीं होता। उससे घुटने टेकने की प्रवृत्ति जाती रहती।

महान दार्शनिक नाँरमन विनसेंट पील ने विभिन्न प्रकार के लोगों से साक्षात्कार किया और पाया कि व्यक्ति यदि चाहे तो अपनी कठिनाइयों को स्वयं निरस्त करके उन पर विजय प्राप्त कर सकता है। उसमें अद्भुत क्षमताओं का भण्डार भरा पड़ा है।

यदि जीना दूभर हो जाये तो अपने आप से प्रश्न करना चाहिए कि यह जीवन अस्त-व्यस्त क्यों है? कठिनाई क्या है? और यह पता लगते ही समस्या का निदान करना चाहिए। हर समस्या का हल अपने में मौजूद है। भगवान बुद्ध का कहना था - “मन ही सब कुछ है। आप जो भी चाहेंगे वह हो सकता।” यदि हम कमजोर हो गए और हार गए तो इसका मतलब यह होगा कि हमने असफलताओं को अपने विचारों पर हावी होने का मौका दे दिया एवं अपने आपको जानने समझने में वास्तविकता से विपरीत दिशा में बढ़ गए। यह स्वयं को अन्धेरे में भटकाने जैसी बात होगी तथा इससे क्षमताएँ कुण्ठित होंगी।

इससे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि अपने प्रति बनी गलत धारणाएँ बदली जायें जो हमारे अंतर्मन में जड़ जमाती और अपने संबंध में सही मूल्याँकन करने में असमर्थ रही है।

मन के हारे हुओं को सफलता शायद ही कभी मिलती हैं। उनके मन-मस्तिष्क में यह बात बुरी तरह घर कर गई होती है कि अक्षम हैं। कठिनाइयों, परेशानियों, संकटों का सामना करने, उन्हें हटा सकने की क्षमता उनमें नहीं है। फलतः यदि कहीं सफलता के चिन्ह दृष्टिगोचर होते भी है तो उन्हें स्वीकार एवं ग्रहण नहीं हो पाते। इसके विपरीत सशक्त मनोबल वालों के सामने बड़ी विघ्न-बाधाएँ भी नतमस्तक हो जाती हैं। कारण, कि वे हर प्रकार की समस्याओं का हल निकालने के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखते हैं। अस्तु, अन्ततः वे सफल भी होते हैं।

कवि एलाव्हीलर बीलकाँक्स ‘सही चिन्तन’ की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि “चिन्तन ही मनुष्य है। अध्ययन, कथन अथवा श्रवण वह नहीं हो सकता। लगातार चिन्तन के द्वारा वह किसी भी परिस्थिति को पार कर सकता है। चाहे वह गरीबी से संबंधित हो अथवा पाप से, स्वास्थ्य संबंधी हो अथवा डर-भ्रम से।”

हममें से अधिकाँश सृजनात्मक शक्ति का महत्व ही नहीं समझ पाते तथा उस शक्ति की पूर्णतः अवहेलना कर देते हैं। कुछ लोग सोचते हैं ‘सृजनात्मक शक्ति’ केवल कुछ प्रतिभाशाली लोगों को ही अनुदान स्वरूप मिलती है। वस्तुतः ऐसी बात है नहीं। हर व्यक्ति में अपने व्यक्तित्व और भविष्य का इच्छित निर्माण कर सकने की क्षमता विद्यमान है।

माइकेल ड्रूरी का कहना है कि सृजनात्मक शक्ति प्रत्येक मनुष्य में जन्मजात रूप से निहित होती है, परन्तु उस सामर्थ्य का उपयोग करना साहसी, धैर्यवान और प्रयत्नशील लोगों से ही बन पड़ता है।

आधुनिक खगोल विज्ञान के जनक सरविलियम हर्सचेल ने जब सर्वोत्तम दूरबीन बनाने का विचार किया तो उन्हें पहले काँच पीसना और आइने पर पालिश चढ़ाने का काम सीखना पड़ा। इस तरह कई महीनों के सतत् प्रयास के बाद वे पहला आइना बना पाए, परन्तु वह भी त्रुटिपूर्ण पाया। सतत् परिश्रम और दीर्घकालीन एकनिष्ठ अभ्यास से दो सौ असफल प्रयत्नों के बाद ही वे सन्तोषप्रद दूरबीन बना सके। गीताकार ब्रहम्स को अपनी पहली स्वर संगति की रचना करने में बीस वर्ष का समय लगा था। किन्तु वे हारे नहीं और तत्परता के सहारे समयानुसार लक्ष्य तक पहुँचे। किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए गहरी रुचि एवं लगनशीलता आवश्यक है। विश्व-विख्यात संगीत विज्ञानी मोजार्ट में तत्काल स्वर रचना करने की विलक्षण क्षमता थी परन्तु वे भी तो एक बार में एक ही रचना कर सकते थे।

ड्रूरी का कहना है कि जब हम किसी बड़े कार्य को हाथ में लेते हैं तो सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है। सूर्य समय पर उगता, पृथ्वी धीरे-धीरे घूमती है। किन्तु वे अपने कार्य को सुनिश्चित गति से व्यवस्थापूर्वक करते रहते हैं। यही सृजनात्मक शक्ति का स्वरूप एवं रहस्य है।

यदि हम कोई काम प्रभावशाली ढंग से प्रारम्भ नहीं कर सकते तो उसे शुरू करना भी नहीं चाहते। यह सृजनात्मक के लिए घातक है। हेलेन केलर ने लिखा है “जब हम किसी संकल्प को या अच्छे मनोभाव को बिना किसी उपयोग के नष्ट हो जाने देते हैं, तो उसका अर्थ होता है कि हमने सौभाग्य गँवा दिया। इसी प्रवृत्ति के कारण यथार्थतः कामों की सफलता में रुकावट आती है।”

दार्शनिक ड्रूरी का कहना है कि यदि हम कुछ करना, बनाना या दिखाना चाहते हैं तो बिखरी हुई अनेकों संभावनाओं में से एक को अपना लक्ष्य चुनकर उसी के लिए संकल्प एवं धैर्यपूर्वक कार्य करना चाहिए। केवल लक्ष्य के प्रति ही नहीं, प्रतिदिन के क्रिया-कलापों में भी गहरी रुचि होनी चाहिए। प्रयत्नों की आरम्भिक असफलताओं के बावजूद हमें पूर्ण तन्मयता से अपने निर्धारित प्रयास में तत्परतापूर्वक तब तक लगे रहना चाहिए, जब तक कि हम पूर्ण रूप से परिष्कृत होकर अपने उद्देश्य को न पा लें।

मेथम बर्ने का कहना है कि अपने आप की खोज ही सृजनात्मक शक्ति प्रदान करती है और यह खोज हमें अकेले ही करनी है, जैसे हम अकेले जन्म लेते और मरते भी अकेले ही हैं।

First 25 27 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • स्थायी-मिलन का रहस्य
  • ज्ञान की सार्थकता
  • आत्म परिष्कार से परब्रह्म की प्राप्ति
  • महत् प्रकाश पुँज के ही हम एक स्फुल्लिंग है।
  • Quotation
  • आश्चर्य जगत के अधिष्ठाता की खोज
  • मृत्यु जीवन की अविच्छिन्न सहचरी
  • स्वप्नों में अन्तर्निहित जीवन सत्य
  • Quotation
  • अग्निहोत्र का स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • Quotation
  • बुराई का बुरा अन्त
  • Quotation
  • मालिकों को जगाओ-प्रजातंत्र को बचाओ-2
  • बीमारियाँ शरीर की नहीं- मन की
  • परोपकारी बड़ा या ताकतवर
  • नारी के गले में पराधीनता की नई फाँसी
  • दीन-दुःखी मनुष्यों की सेवा करना सर्वप्रथम है
  • लाख दिशाएं छिप न सकेंगी, गहरे मन की बातें
  • सफलता का श्रेय- संकल्पवानों को
  • ब्रह्म एक समष्टि चेतना और जीव व्यष्टि
  • KavitaSmall
  • श्री आद्य शंकराचार्य के कुण्डलिनी अनुभव
  • वही आनन्द पा सकता है
  • अपनों से अपनी बात
  • अपनी सामर्थ्य को समझें और काम में लायें
  • ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
  • स्वास्थ्य सन्तुलन बनाने बिगाड़ने वाले रहस्यमय स्रोत
  • सभी प्राणियों को अपने समान समझकर व्यवहार करो
  • ब्रह्म तेजो बलम् बलम्
  • रुग्णता को आग्रहपूर्वक आमन्त्रण
  • Quotation
  • प्रचण्ड ऊर्जा के दो प्रवाह कुण्डलिनी में
  • गायत्री मंत्र की भावनात्मक पृष्ठभूमि
  • उपासनात्मक सम्बन्धी भ्रांतियों को जड़मूल से निरस्त किया जाये
  • नश्वर संसार
  • नश्वर संसार (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj