• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ईश्वर के अनुग्रह का सदुपयोग किया जाय।
    • जीवन के अपव्यय का पश्चाताप
    • ईश्वर भक्ति और प्रेम-साधना का तत्वज्ञान
    • Quotation
    • स्थूल को ही न देखते रहें- सूक्ष्म को भी समझें।
    • Quotation
    • पूर्वाग्रह पर अड़े ही रहना, बुद्धिमत्ता नहीं
    • कलुषित अन्तःकरण स्वयं दण्ड भोगता है।
    • Quotation
    • हवाना होकीची नामक एक बालक (Kahani)
    • बाहुबलि की दूरदर्शिता
    • Quotation
    • त्वचा का सामर्थ्य सब इन्द्रियों से बढ़कर
    • Quotation
    • स्वर्गीय पं. जवाहरलाल नेहरू (Kahani)
    • महानता की दृष्टि से मनुष्य घास से भी छोटा है।
    • अमरबेल की शोषक कथा(Kahani)
    • आत्म चेतना की साँकेतिक भाषा-स्वप्न
    • Quotation
    • हारमोन नियन्त्रित और परिष्कृत किये जा सकते हैं।
    • Quotation
    • Quotation
    • तप साधना ही शक्ति और सिद्धि का स्रोत है।
    • Quotation
    • अपने आपको पहचानिये।
    • गहन अन्त चेतना को प्रभावित करने की आवश्यकता
    • Quotation
    • शिल्पकार की कारीगरी (Kahani)
    • अन्य प्राणधारी भी विभूतियों से रहित नहीं
    • महारानी विक्टोरिया की ट्रेन का कीड़ा(Kahani)
    • सामूहिकता से सुसम्बद्ध आत्म चेतना
    • मनोबल-संकटों को पार करता है।
    • Quotation
    • यह आवश्यक नहीं (Kahani)
    • विचार शक्ति का महत्व समझिये।
    • समस्त रोगों का एकमात्र कारण-असंयम
    • इकलौते लड़के का ब्याह (Kahani)
    • माँसाहार नहीं, दुग्धाहार अपनाइये।
    • अनुदान लें तो पर उसे वापिस भी करें
    • Quotation
    • वाचस्पति मिश्र (Kahani)
    • निराशाग्रस्त-निर्जीव और निरर्थक जीवन
    • प्राणायाम द्वारा सूर्य-शक्ति का आकर्षण
    • जीवन का स्वरूप और उपयोग सिखा सकने वाली शिक्षा चाहिए।
    • चींटियों को आटा खिलाने (Kahani)
    • चरित्र, सौंदर्य से भी श्रेष्ठ
    • देवाधिदेव आत्मदेव की साधना
    • विज्ञापन (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ईश्वर के अनुग्रह का सदुपयोग किया जाय।
    • जीवन के अपव्यय का पश्चाताप
    • ईश्वर भक्ति और प्रेम-साधना का तत्वज्ञान
    • Quotation
    • स्थूल को ही न देखते रहें- सूक्ष्म को भी समझें।
    • Quotation
    • पूर्वाग्रह पर अड़े ही रहना, बुद्धिमत्ता नहीं
    • कलुषित अन्तःकरण स्वयं दण्ड भोगता है।
    • Quotation
    • हवाना होकीची नामक एक बालक (Kahani)
    • बाहुबलि की दूरदर्शिता
    • Quotation
    • त्वचा का सामर्थ्य सब इन्द्रियों से बढ़कर
    • Quotation
    • स्वर्गीय पं. जवाहरलाल नेहरू (Kahani)
    • महानता की दृष्टि से मनुष्य घास से भी छोटा है।
    • अमरबेल की शोषक कथा(Kahani)
    • आत्म चेतना की साँकेतिक भाषा-स्वप्न
    • Quotation
    • हारमोन नियन्त्रित और परिष्कृत किये जा सकते हैं।
    • Quotation
    • Quotation
    • तप साधना ही शक्ति और सिद्धि का स्रोत है।
    • Quotation
    • अपने आपको पहचानिये।
    • गहन अन्त चेतना को प्रभावित करने की आवश्यकता
    • Quotation
    • शिल्पकार की कारीगरी (Kahani)
    • अन्य प्राणधारी भी विभूतियों से रहित नहीं
    • महारानी विक्टोरिया की ट्रेन का कीड़ा(Kahani)
    • सामूहिकता से सुसम्बद्ध आत्म चेतना
    • मनोबल-संकटों को पार करता है।
    • Quotation
    • यह आवश्यक नहीं (Kahani)
    • विचार शक्ति का महत्व समझिये।
    • समस्त रोगों का एकमात्र कारण-असंयम
    • इकलौते लड़के का ब्याह (Kahani)
    • माँसाहार नहीं, दुग्धाहार अपनाइये।
    • अनुदान लें तो पर उसे वापिस भी करें
    • Quotation
    • वाचस्पति मिश्र (Kahani)
    • निराशाग्रस्त-निर्जीव और निरर्थक जीवन
    • प्राणायाम द्वारा सूर्य-शक्ति का आकर्षण
    • जीवन का स्वरूप और उपयोग सिखा सकने वाली शिक्षा चाहिए।
    • चींटियों को आटा खिलाने (Kahani)
    • चरित्र, सौंदर्य से भी श्रेष्ठ
    • देवाधिदेव आत्मदेव की साधना
    • विज्ञापन (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1972 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


विज्ञापन (Kavita)

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 47 49 Last
कलाकारों और कवियों के नाम

ओ कलाकार! ओ गीतकार!! युग निर्माता-

सन्तुलित तूलिका और लेखनी करो आज ॥

मत करो कला को निर्वसना बाजारों में-

पैसे लेकर मत बेचो वैश्या के तन-सा-॥

मत दुहराओ इतिहास, दुशासन वाला फिर -

मत खोलो सबके बीच, नारी-तन कञ्चन-सा॥

विज्ञापन का साधन न बनाओ तुम इसको-

आँचल के नीचे ही रहने दो छिपी-लाज ॥ संतु0

क्यों भाता है बस, रंग गुलाबी ही तुमको-

है रंग और भी जीवन की गहराई में ॥

कल्पना करो चित्रित पट पर पतझर की भी-

मत रह जाओ बैठे-मादक अमराई में॥

है कला, सत्य, शिव, सुन्दर की शुचितम व्याख्या-

इसको न अशिव का पहनाओ अपवित्र ताज ॥ संतु0

फिर से न कामिनी मात्र बना दो कविता को-

मत भ्रमर बनाओ प्रज्ञाशाली पौरुष को॥

मत गन्दे गीतों का इनको अभ्यस्त करो-

रामायण गाने दो फिर युग के लव-कुश को॥

भूषण बन दृढ़ता और वीरता सिखलादो-

कर सके अनागत इनके ऊपर बहुत नाज॥ संतु0

मत घोलो गीतों में बस, खुशबू फूलों की-

है गीत चुभन की, और दर्द की भी भाषा॥

जन्मी थी पहली पंक्ति, आदि कवि के स्वर में-

है वही जिन्दगी की चिर-शाश्वत परिभाषा॥

क्वारी कन्या का ही घूँघट मत उठने दो-

संस्कृति के महानाश की तुम मत बनो गाज॥ संतु0

अपनी क्षमता को पहचानो ओ कलाविदों-

तुम युग की आत्मा के गायक, साहित्यकार॥

तुमको पुकारती गिरती हुई सभ्यता फिर-

मत करो अनसुनी घायल युग की चीत्कार ॥

तुम युग के-जन मानस के-सबल सृजेता हो-

तुम से ही उठता है या गिरता है समाज ॥ संतु0

(माया वर्मा)

*समाप्त*

First 47 49 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • ईश्वर के अनुग्रह का सदुपयोग किया जाय।
  • जीवन के अपव्यय का पश्चाताप
  • ईश्वर भक्ति और प्रेम-साधना का तत्वज्ञान
  • Quotation
  • स्थूल को ही न देखते रहें- सूक्ष्म को भी समझें।
  • Quotation
  • पूर्वाग्रह पर अड़े ही रहना, बुद्धिमत्ता नहीं
  • कलुषित अन्तःकरण स्वयं दण्ड भोगता है।
  • Quotation
  • हवाना होकीची नामक एक बालक (Kahani)
  • बाहुबलि की दूरदर्शिता
  • Quotation
  • त्वचा का सामर्थ्य सब इन्द्रियों से बढ़कर
  • Quotation
  • स्वर्गीय पं. जवाहरलाल नेहरू (Kahani)
  • महानता की दृष्टि से मनुष्य घास से भी छोटा है।
  • अमरबेल की शोषक कथा(Kahani)
  • आत्म चेतना की साँकेतिक भाषा-स्वप्न
  • Quotation
  • हारमोन नियन्त्रित और परिष्कृत किये जा सकते हैं।
  • Quotation
  • Quotation
  • तप साधना ही शक्ति और सिद्धि का स्रोत है।
  • Quotation
  • अपने आपको पहचानिये।
  • गहन अन्त चेतना को प्रभावित करने की आवश्यकता
  • Quotation
  • शिल्पकार की कारीगरी (Kahani)
  • अन्य प्राणधारी भी विभूतियों से रहित नहीं
  • महारानी विक्टोरिया की ट्रेन का कीड़ा(Kahani)
  • सामूहिकता से सुसम्बद्ध आत्म चेतना
  • मनोबल-संकटों को पार करता है।
  • Quotation
  • यह आवश्यक नहीं (Kahani)
  • विचार शक्ति का महत्व समझिये।
  • समस्त रोगों का एकमात्र कारण-असंयम
  • इकलौते लड़के का ब्याह (Kahani)
  • माँसाहार नहीं, दुग्धाहार अपनाइये।
  • अनुदान लें तो पर उसे वापिस भी करें
  • Quotation
  • वाचस्पति मिश्र (Kahani)
  • निराशाग्रस्त-निर्जीव और निरर्थक जीवन
  • प्राणायाम द्वारा सूर्य-शक्ति का आकर्षण
  • जीवन का स्वरूप और उपयोग सिखा सकने वाली शिक्षा चाहिए।
  • चींटियों को आटा खिलाने (Kahani)
  • चरित्र, सौंदर्य से भी श्रेष्ठ
  • देवाधिदेव आत्मदेव की साधना
  • विज्ञापन (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj